झारखंड में फिल्म निर्माण की अपार संभावना : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची में आयोजित पांचवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का राज्यपाल रमेश बैस ने किया उद्घाटन।

रांची, 18 दिसंबर । डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची में आयोजित पांचवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मेंराज्यपाल रमेश बैस ने संबोधित करते हुए कहा कि पांचवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। पिछले वर्ष भी मैं इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आया था। यह देखकर काफी प्रसन्न हूँ कि इस महोत्सव द्वारा झारखंड में फिल्म के क्षेत्र में एक रास्ता प्रशस्त होता नजर आ रहा है। मुझे बताया गया कि इस महोत्सव में 32 देशों की 134 फिल्में प्रस्तुत की गई और इस दो दिवसीय समारोह में 53 फिल्मों का प्रदर्शन हुआ, यह सबके लिए गौरव का विषय है। इस तरह के कार्यक्रम से युवाओं के व्यक्तित्व का विकास तो होता ही है, साथ ही भविष्य के लिए विभिन्न माध्यमों से कैरियर बनाने का भी अवसर प्राप्त होता है।

हम सब जानते हैं झारखंड राज्य प्राकृतिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यन्त समृद्ध है। प्रकृति ने इसे अपार खूबसूरती प्रदान की है। यहाँ की कला एवं संस्कृति भी अत्यन्त समृद्ध है। फिल्म जगत से जुड़े हस्तियों को इन विषयों पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देकर इस प्रदेश का पूर्णतः अवलोकन कर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। झारखंड में फिल्म निर्माण के भरपूर अवसर हैं। झारखंड में फिल्म नीति है और यहां पर फिल्म निर्माण पर सब्सिडी का प्रावधान भी है। मैं चाहूँगा कि यहाँ अधिक-से-अधिक फिल्में बने जिससे झारखंड की कला-संस्कृति को पूरी दुनिया देखे और जाने। साथ ही साथ राज्य के पर्यटन का विकास हो।

फिल्मों के लिए यहाँ बिल्कुल अनुकूल वातावरण है। झारखंड राज्य के युवा अत्यंत मेधावी हैं। फिल्म व अभिनय के प्रति भी उनकी काफी रुचि है। ऐसे में यहाँ फिल्म शूटिंग होने से उन्हें भी अपनी प्रतिभा दिखाने के बेहतर अवसर मिलेगा। मुझे बताया गया की एक्टिंग और फिल्म मेकिंग पर दो दिनों की निःशुल्क कार्यशाला यहां के छात्रों के लिए आयोजित की गई और कल भिखारी ठाकुर पर गोरखपुर से आए एक नाट्य दल के नाटक का मंचन भी हुआ। इस तरह के कार्यक्रम लगातार होते रहना चाहिए जिससे युवाओं में जोश व उत्साह के साथ-साथ देशभक्ति का जज्बा भी विकसित होगा। आप सबको यहाँ के विभिन्न महान स्वतंत्रता सेनानी पर फिल्म निर्माण की दिशा में भी पहल करना चाहिए ताकि हमारी आने वाली युवा पीढ़ी इन महान स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी तथा उनके योगदान के बारे में जान सके।

तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल, पश्चिम बंगाल और अन्य कई राज्यों के फिल्म निर्माता भी यहां आए हैं। मैं आपको बधाई देता हूँ। आपने संस्कृत भाषा में भी फिल्म बनाकर एक जज्बा दिखाया है और हिम्मत दिखाई है। इससे संस्कृत का विकास तो होगा ही लेकिन साथ ही साथ संस्कृत का प्रचार-प्रसार भी होगा। आजकल सिनेमा मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है और शुरूआत से ही इसका समाज के साथ गहरा संबंध रहा है। प्रारम्भिक दौर में भारत में पौराणिक एवं ऐतिहासिक फिल्मों का बोल-बाला रहा, किन्तु समय बीतने के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक फिल्मों का भी बडी संख्या में निर्माण किया जाने लगा। आजादी के बाद देशभक्ति पर भी फिल्में बनने के साथ-साथ महान देशभक्तों पर भी फिल्में बनने लगी।

आज भारतीय फिल्म उद्योग का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में निर्मित फिल्में ऑस्कर पुरस्कार के लिए चुनी जाती हैं। हमारे निर्देशकों, अभिनय करने वाले कलाकारों को न सिर्फ हॉलीवुड से बुलावा आता है, बल्कि धीरे-धीर वे विश्व स्तर पर भी अपना और देश का नाम रौशन करने लगे हैं।

आज यहाँ हमारे बीच कई बॉलीवुड कलाकार भी झारखंड के कलाकारों को प्रेरित करने के लिए उपस्थित हैं, मैं उन्हें बधाई देता हूँ। आपने झारखंड आकर यहां की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। आपसे राज्य को काफी अपेक्षाएँ हैं। आशा है कि इस प्रदेश को फिल्म शूटिंग हब के रूप में विकसित और स्थापित करने में आप सब अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
अंत में, एक बार पुनः आयोजकों को इस कार्यक्रम के लिए बधाई देता हूँ।


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