कोरोना से जंग, सेवाभाव के संग

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शहडोल। हम भारतीयों में लोगों की सेवा करने का एक तरीका चला रहा है कि नेकी कर दरिया में डाल, लेकिन जैसा कि हमारे तमाम रीति-रिवाजों में आधुनिकतावाद व बाजारवाद की छाप दिखाई देने लगी है वैसे ही अब इसमें भी देखने को मिलने लगा जब लोग यह भी मानने लगे हैं कि नेकी कर प्रचार में डाल। हालांकि हमारे देश में अभी भी न जाने कितने ऐसे लोग होंगे जो गुमनाम तरीके से लोगों की मदद के लिए हर पल तत्पर रहते हैं।

ऐसे लोगों का चेहरा आम दिनों में भले ही देखने को ना मिले किंतु जब भी कोई बड़ा संकट समाज के सामने आता है तो ऐसे योद्धा चुप चाप जनसेवा में जुट जाते हैं। आज जबकि पूरा विश्व कोरोना के संकट से गुजर रहा है भारत भी इसकी चपेट में है। कोरोना को लेकर अभी तक कोई वैक्सीन ईज़ाद नहीं हो पाई है ऐसे में विशेषज्ञ इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कुछ सावधानी बरतने व सोशल डिश्टेंसिंग बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं जिसके कारण अन्य देशों की भांति भारत में भी लाकडाउन किया गया।

लाक डाउन की अवधि को लगभग 2 माह होने को आ रहे हैं ऐसे में जो सबसे बड़ी परेशानी सामने आई वह घर से दूर रह रहे लोगों की व्यवस्था को लेकर रही। फिर चाहे उनके वापस आने का हो या परदेस में ही उनके रहने खाने की व्यवस्था का हो। कोरोना के इस संकट मे जहाँ केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारें हर संभव व्यवस्था बनाने में जुटी रही वहीं दूसरी ओर देशभर में लोगों में जनसेवा का भाव भी देखने को मिला। अन्य प्रांतों की तरह मध्यप्रदेश के भी लोग बड़ी संख्या में दूसरे प्रांतों में काम करने, पढ़ने अथवा कोचिंग लेने के लिए गए हुए थे और कोरोना के चलते हुए लाकडाउन के कारण वही फस गए। ऐसी स्थिति में इन लोगों को मदद पहुंचाने सोशल मीडिया के माध्यम से एक तरीका प्रदेश के पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक राजेंद्र शुक्ला ने निकाला, जिसमें वह व्हाट्सएप, फेसबुक व ट्वीटर के माध्यम से अलग-अलग टीम बनाकर दिन रात जुटे रहे कि कैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, दमन दीव सहित मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में फंसे लोगों को उनके रहने खाने की व्यवस्था मुहैया कराई जाए तथा बीमारी व अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में उन्हें वापस उनके घर भेजने के लिए ई पास व वाहन उपलब्ध कराया जाए। बताया जा रहा है कि अब तक लगभग 3 से 4 हजार  लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से श्री शुक्ल द्वारा मदद पहुंचाई गई है। इसमें वह इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि किसी तरीके से इस कार्य का सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार ना किया जाए और न ही जरूरतमंद लोगो की फोटो दिखाई जाए। श्री शुक्ल के इस कार्य के लिए उन्हें मुंबई की एक संस्था द्वारा 12 मई को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है।

शिव नारायण त्रिपाठी (शहडोल, मध्य प्रदेश)


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