कायरों के लिए आँसू बहाता और शहादतों पर मुँह फैरता देश

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जाओ तो ऐसे जाओ कि ज़र्रा ज़र्रा तुम्हारी कमी महसूस करे, नाकि ऐसे जाओ कि धरा भी ख़ुद को बोझमुक्त समझे !
करोना कालखंड के चौदहनवें दिन आज बात देश के वीर सैनिक की शहादत को नकारते लेकिन एक कायर के पलायन पर आँसू बहाते देश की!आज एक और एक वीर सैनिक ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपनी कर्तव्यबेदी पर हँसते हँसते अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, वहीं दूसरी और एक कायर बेहद ही शर्मनाक अवस्था में देश दुनिया से क्विट कर गया! लेकिन अफ़सोस, देश किसपर बिना सोचे समझे अपने आँसू बहा रहा है?सुक़र्म के सहारे अपनी बुलंदियों की सीढ़ियाँ चढ़ना गीतासार है, और देश पर जान न्योछावर करना तो श्रेष्ठतम मानवक़र्म लेकिन एक महिला के सहारे या देश धर्म परम्परा पर कीचड़ उछाल कर प्रसिद्धि पाना, किसी हाल सराहनीय नही हो सकता और फिर आत्महत्या तो सबसे बड़ा कायराना कृत्य है, जिस पर ना तो कोई बात की जानी चाहिए, ना ही ऐसे निकृष्ट लोगों की आत्महत्या पर दुःख मनाया जाना चाहिए! यह बम्बईय्या मसखरे किस तरह देश के युवाओं का आदर्श हो सकते हैं? क्या इनके बिगड़ैल रहनसहन, ड्रग्स और व्याभिचार को सभ्यता के पैमाने मान लिया जाना चाहिए ? सच तो ये है कि, सीमा पर अपना सर्वस्व न्योछावर करते वीरों के लिए आपके पास दो शब्द भी नही हैं, आँसू तो बहुत बड़ी और दूर की बात, लेकिन ऐसे कायरों के लिए देशभर के मीडिया और बड़े बड़े नेताओं की घड़ियाली शब्दांजलियाँ वेसी ही फ़िल्म कथाएँ हैं, जैसी यह बोलिवुड़, दशकों से दूसरों के लिए ग़ढता और उससे धन बटोरता आया है, इसलिए यदि आपके पास थोड़ा सा समय और शर्म हो, तो अपनी मातृभूमि की रक्षा करते, अपनी वीर भारतीय सेना के इस बहादुर योद्धा के सुप्रीम बलिदान को भी याद कर, थोड़ी सी श्रद्धांजलि इनको भी दे दीजिएगा, जिनके बलिदानों से धरा भी आज गमगींन है और आप सब अपने अपने घरों में सुरक्षित! लेकिन कितना दुखद है, सर्वत्र आत्महत्या करने वाले कायरों का महिमामंडन होते देखना, गोयाकि इनके बग़ैर दुनिया थम जाएगी ? ऋष्टि ने, परमात्मा ने बेशक़ीमती मानव शरीर तुम्हें दिया, लेकिन तुमने उसका क्या सदुपयोग किया, ज़रा बताओ तो ? किसी अंधे से पूछो, एक आँख की क़ीमत? तिल तिल मरते, ऑर्गन ट्रान्सप्लांट के लिए पलपल राह निहारते, बाट जोहते बच्चों युवाओं से पूछो, लिवर किडनी हार्ट बोनमेर्रो की क़ीमत ? एक मरा जानवर भी, तुम्हारे पेरों को चोट ना लग़ने देने के लिए, जूते चप्पल बनाने के लिए, अपने शरीर की चमड़ी का अनमोल बलिदान देकर इस दुनिया से जाता है! सम्पूर्ण ब्रह्मांड के देवों ऋषि मुनियों ने तो महर्षि धदीचि से उनके जीवंत शरीर की हड्डियाँ माँग लीं थी, असुर संहार हेतु वज्र बनाने के लिए, जो उन्होंने हँसते हँसते ख़ुद को समाप्त कर दे भी दीं थी, पर प्राणिमात्र के कल्याण के लिए, तुम क्या करके गए अपने करोड़ों अरबों के शरीर का, जरा बताओ तो ? ऊपर से सडाँध गंधाते पोस्टमार्टम कक्ष में अपने नंगधडंग शरीर की, जिससे तुम्हें नाम काम धन यश मिला, दुर्गति होते देखोगे सो अलग !
माना कि यह वीर सैनिक भले ही कोई मॉडल व् ग्रीक गॉड जैसे लुक्स का धनी नहीं था, भले इसके पास स्टारडम और ग्लैमर नहीं था, भले ही इसे अभिनय नही आता था, लेकिन जीवन और क़र्मकसौटी पर सर्वश्रेष्ठ क़र्म किसने किया? यह आपकी पैड स्क्रीन पर हीरो का अभिनय करते, आपको कभी नहीं दिखा होगा और इसने भले ही कभी आपका सपने में भी मनोरंजन नहीं किया होगा किंतु वास्तव में एक सच्चे हीरो की तरह आपके देश की रक्षा में इसने अपना सर्वस्व लुटाया है और आपको शत्रुओं के हमले और उनके नाइटमेयर्स से भी यक़ीनन बचाया ही है!यह होता है दैविय क़र्म, सुप्रीम त्याग और सर्वोच्च बलिदान, जिनके जाने पर कायनात भी आँसू बहाती है, पर तुम क्या करके गए और क्या साबित हुए, इस धरती पर, एक कायर बोझ के सिवाय ? और यह कृतघ्न राष्ट्र क्या कर रहा है, शहादतों को वेतनभोगी बोलकर नकार देता है और सबसे बड़े कायराना अपराध का महिमामंडन करता है? आख़िर क्यों और कब तक, आडम्बर, छपास और ढोंग, इस देश में सुकर्म, त्याग और सेवा पर भारी पड़ते रहेंगे ?
कोई लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई ।ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई ॥
और चलते चलते, देर से ही सही, लेकिन केंद्र सरकार ने हालातों पर क़ाबू पाने के प्रयास शुरू किए हैं, शायद कुछ अच्छा हो !बड़े ही दुखी मन से एक बार फिर करबद्ध निवेदन, सेफ़ रहिए, स्वस्थ रहिए, और हाँ सुकर्म करते चलिएगा, वही काम आएँगे, इस लोक में भी और परलोक में भी! मिलते हैं कल, तब तक जय श्रीराम  ॥

डॉ भुवनेश्वर गर्ग  drbgarg@gmail.comhttps://www.facebook.com/bhuvneshawar.garg डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारतफ़ोन 9425009303


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