प्रकृति को जोड़े नहीं उससे जुड़े, तभी जगत का कल्याण: सन्यासी बाबा विश्वनाथ

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प्रयागराज । तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर बसे माघ मेला में साधु – संतों की वाणी से अमृत वर्षा हो रही है। भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के साथ अमृत वर्षा में सराबोर होकर ईश्वर की भक्ति में लीन दिखाई दिए। साधकों के अराधना शिविर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। संगम क्षेत्र के पौराणिक अरैल तटबंध पर स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर के सामने अवतारी बाबा लोकनाथ ब्रह्मचारी मंदिर निर्माण स्थल पर उनके परम साधक सन्यासी बाबा विश्वनाथ चक्रवर्ती ने अपने शिविर में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब मै और मेरा की भावना निकल जाती हैं तभी जीवन जगमय हो जाता है।

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प्रकृति को जोड़ने वाली सोच से परे होकर उससे जुड़ने की कोशिश की जानी चाहिए। गंगा जल में स्नान करना तभी सार्थक होता है जब मां गंगा की निर्मलता मनुष्य में भी हो। मन में काम, क्रोध,लोभ और मोह रूपी वासना का परित्याग करना कठिन होता है लेकिन असंभव नहीं, इसलिए हर क्षण हमें इन तमो गुण से विरत रहने का प्रयास किया जाना चाहिए। सन्यासी बाबा विश्वनाथ चक्रवर्ती के सानिध्य में मौनी अमावस्या पर उनके शिष्यों ने भक्तों व श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में मुरली बाबा, लंडन बाबा, सेवक रवि शंकर, सुशीला देवी, जगदम्बा प्रसाद पटेल (बच्चा), श्रवन, सत्यनारायण देवता, नीरज शुक्ला, चंदन, दीपू, अनुराग आदि भक्तों ने सहयोग प्रदान किया।


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