वाराणसी न्यूज़ : पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा ” भारतीय परंपरा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया

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राजकुमार प्रसून।

13 नवंबर, वाराणसी । आज दिनांक 13 नवंबर 2022 को सुबह प्रथम सत्र संचालित हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर जयंत उपाध्याय, महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा ने किआ। इसमे कुल छः शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

जिन विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए उनके नामहैं, सुश्री इंदिरा मलपाका, तिरुपति विश्वविद्यालय, डॉक्टर राहुल कुमार सिंह, प्रतापगढ़।

प्रोफेसर उमारानी तिवारी लखनऊ, डॉक्टर अनीश चक्रवर्ती कमला नेहरू कॉलेज नई दिल्ली, डॉक्टर मलय कुमार झा,भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय ।

डॉ राघवेंद्र पांडे स्नातकोत्तर पीजी कॉलेज जमानिया तथा प्रोफेसर जयंत उपाध्याय ,महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा ने प्रस्तुत किए। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर जयंत ने सभी प्रस्तुत शोध पत्रों का सारांश प्रस्तुत करते हुए भारतीय दर्शन के आधार पर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के महत्वपूर्ण संदर्भों को व्यख्यायित किआ।

इस त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल 40 शोध पत्र प्रस्तुत किये गए । 1:30 बजे से समापन समारोह का संचालन हुआ। जिसमें प्रोफेसर खंडाल ,कुलपति, यू पी टी यू , प्रोफेसर सचिदानंद मिश्र, सदस्य सचिव ,भारतीय दार्शनिक अनुशंधान परिषद, नई दिल्ली, एवं श्री रामाशीष जी उपस्थित रहे।

समापन समारोह के पश्चात राष्ट्रवादी चिंतक ,सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।जिसमें उन्होंने राष्ट्र की विभिन्न पहलुओं पर अपनी विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की और समाज को यह बताने का प्रयास किया कि राष्ट्र तब सुरक्षित होगा जब भारत सुरक्षित होगा, भारत माता सुरक्षित होगी, इसलिए हम सबको इस भूमि के लिए, इस भारत माता के लिए त्याग और समर्पण की आवश्यकता है और जब भारत माता ,यह भारत भूमि सुरक्षित होगी तो हमारा राष्ट्र सुरक्षित होगा ।और वही वास्तविक राष्ट्रवाद और राष्ट्रभाव होगा ।इस सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डॉ ओम प्रकाश सिंह ने किया। और संचालन डॉ राहुल जी ने किआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, विभागों से पधारे विद्वान आचार्य ,सहायक आचार्य , शत की संख्या में उपस्थित शोध छात्र छात्राएं एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


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