आओ खेले लट्ठमार होली
होली भारत के प्रायः हर हिस्से में खेली जाती है। इसे प्रेम और भाईचारे का त्यौहार भी कहते हैं। इस दिन लोग पिछली दुश्मनी भूलकर एक दूसरे के गले लगते हैं। यह त्यौहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा की शाम को प्रारंभ होता हैे। इसे छोटी होली भी कहते हैं। इस दिन होलिका दहन होता है। अगले दिन सुबह से रंग वाली होली खेली जाती हैं। बरसाना की होली लट्ठमार होली के नाम से प्रसिद्ध है।
लट्ठमार होली –
बरसाना को लट्ठमार होली के लिए जाना जाता है। बरसाना श्री कृष्ण के प्रिय राधा का गांव है। वहां पर होली बहुत ही जोश के साथ खेली जाती है क्योंकि श्री कृष्ण राधा और गोपियों के साथ मजाक करने के लिए जाने जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि होली की शुरूआत श्री कृष्ण ने राधा के चेहरे पर रंग लगा के की थी।
बरसाना की महिलाएं आज भी श्री कृष्ण के इस मजाक का बदला नंदगांव के पुरूषों से लेती हैं। नंदगांव के पुरूष भी बरसाना की महिलाओं को रंग लगाने के लिए आतुर होते हैं। परंपरा के अनुसार श्री कृष्ण के जन्म स्थान नंदगांव के पुरूष बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने आते हैं परंतु उनका स्वागत रंगों की जगह लाठियों से होता है।
पुरूष यह जानकर ही आते हैं और अपने बचाव की तैयारी भी करके आते हैं। उस दिन नंदगांव के पुरूष बरसाना की महिलाओं से बदला नहीं ले सकते। कुछ पुरूष बच निकलते हैं तो कुछ महिलाओं से मार खाते हैं। उसकेे बाद उन्हें महिलाओं की पोशाक में लोगों के बीच में नचाया जाता है। लेकिन सब होली की मस्ती में, कोई बुरा नहीं मानता।
अगले दिन बरसाना के पुरूषों की बारी होती है। वे नंदगांव की महिलाओं को रंगने के लिए जाते हैं। उस दिन बरसाना के पुरूष नंदगांव की महिलाओं से मार खाते हैं।