छात्रों के चले जाने से प्रयागराज की अर्थव्यवस्था पर बड़ संकट
कोरोना जैसी भयंकर महामारी के चलते प्रयागराज सूना हो गया है, देश और प्रदेश में विभिन्न कोनों से छात्र आकर यहां प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ एकेडमिक शिक्षा ग्रहण करते हैं। फंसे छात्रों को उत्तर प्रदेश सरकार ने घर जाने का इंतजाम कर दिया है, और वे घर चले गए हैं या जा रहे हैं इसी कारण लॉकडाउन में प्रयागराज की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा जो शिक्षा से जुड़ा है वो चरमरा गया है। शिक्षण संस्थानों के साथ ही शहर के सभी कोचिंग सेंटर बंद हैं और अब तक सवा लाख से अधिक छात्र-छात्राएं शहर छोड़कर अपने घर चले गए। बचे हुए छात्रों को सरकार उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। शिक्षण संस्थान बंद होने से छात्रों का पलायन हुआ तो यहां के ढाई हजार लॉज खाली हो गए। लॉकडाउन में परीक्षाओं के फॉर्म नहीं भरे जा रहे हैं। छात्रों के सहयोग से चलने वाली शहरी अर्थव्यवस्था की सभी गतिविधियां ठप हो गई हैं। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ अप्रैल में शिक्षा से जुड़े कारोबार को लगभग 15 करोड़ का नुकसान हो चुका है। लॉकडाउन आगे बढ़ा तो अगले दो महीने में सिर्फ शिक्षा से जु़ड़ी आर्थिक गतिविधि का नुकसान अरबों में पहुंच सकता है।प्रयागराज शहर में 500 से अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं। इनमें 175 कोचिंग इंस्टीट्यूट की सालाना फीस एक लाख से ऊपर है। बाकी संस्थानों में 20 से 25 हजार तक की फीस है। सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट शहर की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग हैं। कोचिंग संस्थानों ने भी ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया है लेकिन लॉकडाउन बढ़ा तो छोटे कोचिंग संस्थानों पर भारी संकट होगा। कई संस्थान बंद भी हो सकते हैं। इसी प्रकार बड़ी परीक्षाओं के लिए तैयारी करा रहे कोचिंग संस्थानों को 50 फीसदी तक आर्थिक नुकसान हो सकता है। कोचिंग संचालकों को परीक्षाएं टलने को लेकर सबसे अधिक चिंता है। परीक्षाएं टलीं तो कोचिंग की क्लासेस प्रभावित होंगी। नए सेशन के लिए छात्र नहीं आएंगे तो मोटी फीस भी नहीं मिलेगी। कोचिंग संस्थान बंद होने से टीचरों की छुट्टी होने लगी है। कांट्रैक्ट पर पढ़ाने वाले अधिकतर टीचरों को कोचिंग संस्थान संचालकों ने अगली सूचना तक भुगतान रोक दिया है। कोचिंग संस्थानों में काम करने वालों की भी मई से छुट्टी हो सकती है। कोरोना का वायरस रोकने के लिए लॉकडाउन आगे बढ़ा तो यहां ढाई हजार से अधिक लॉज संचालकों को करारा झटका लगेगा। शहर उत्तरी के सलोरी, बघाड़ा, अल्लापुर, अलोपीबाग, दारागंज, शिवकुटी, गोविंदपुर, चिल्ला, शंकरघाट, तेलियरगंज, रसूलाबाद, नयापुरवा, म्योराबाद, मम्फोर्डगंज, कटरा, कर्नलगंज, एलनगंज में बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र रहते हैं। गंगा के तटीय इलाके में हजारों परिवारों की रोजी-रोटी किराये से चल रही है। हालात सामान्य होने तक छात्र लौटकर नहीं आने वाले हैं। ऐसे में लॉज या सामान्य मकान मालिकों को किराया नहीं मिलेगी। मकान मालिक अप्रैल के किराये को लेकर परेशान हैं। शहर से जा चुके 90 फीसदी छात्रों से अप्रैल का किराया मिलने की संभावना नहीं है।
प्रयागराज में कोचिंग का है बडा कारोबार -शहर में बड़े-छोटे कोचिंग सेंटर 500 से अधिक है जिसमें ऊंची फीस वाले कोचिंग सेंटर की संख्या लगभग175 है।जिसमें पढ़ने वाले छात्र करीब 40 हजार हैं।बाहर से आकर डेढ़ लाख छात्र यहां पढ़ाई करते हैं। कोचिंग के अलावा हर छात्र सालाना औसत 36 हजार रुपये कमरे का किराया देता है। छात्र एक साल में औसत 36 हजार रुपये खानपान पर खर्च करते हैं। एक छात्र का औसत छह हजार रुपये स्टेशनरी व किताब पर खर्च होता है। 25 हजार छात्र घरों में टिफिन मंगाते हैं। प्रयागराज में मकान मालिकों,टिपिन संचालकों, स्टेशनरी की दूकान व कापी किताब की दूकान , हाकरों, बैैनर फ्लैक्स वालों, कोचिंग में काम करने वाले कर्मचारी, होटल व्यवसाय,के साथ शहर की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा चरमरा गया है।
सौरभ सिंह सोमवंशी