इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग़लत तथ्य बता कर जमानत आदेश प्राप्त करने पर वकील के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू की

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दिनेश शर्मा “अधिकारी”।

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को ग़लत तथ्य बता कर जमानत आदेश प्राप्त करने पर वकील के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना कि कार्यवाही शुरू की।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ सीआरपीसी की धारा 439(2) के तहत दाखिल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। धारा 379, 411, 412, 413, 414, 419, 420, 467, 468, 471, 484 और 120-बी आईपीसी के तहत दर्ज जमानत आवेदन में पारित जमानत पर आरोपी-आवेदक के आदेश को रद्द करने की मांग।

इस मामले में, यह देखने के बाद कि अभियुक्त-प्रतिवादी के वकील श्री परमानंद गुप्ता ने दूसरी जमानत अर्जी को पहली जमानत अर्जी के रूप में लिख करके एक अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए चाल चली थी, राज्य ने जमानत को रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया है।

हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि यह आदेश गलत बयानी/झूठे तथ्यों पर प्राप्त किया गया था कि यह पहली जमानत अर्जी थी, आपराधिक विविध में आदेश पारित किया।

पीठ ने कहा कि “………………. श्री परमानंद गुप्ता, अधिवक्ता, ने, प्रथम दृष्टया, बार काउंसिल के नियमों, पेशेवर नैतिकता, अवमाननापूर्ण तरीके के खिलाफ खुद को संचालित किया है और उन्होंने अदालत के साथ धोखाधड़ी की है और अदालत को गुमराह करके न्याय के रास्ते में भी हस्तक्षेप किया है क्योंकि उसने इस खंडपीठ द्वारा पहली जमानत अर्जी को खारिज करने के संबंध में भौतिक तथ्य को छुपाया था। न्यायालय ने नोट किया है कि यह अकेला मामला नहीं है जहां श्री परमानंद गुप्ता, अधिवक्ता, ने अदालत को छिपाने और गुमराह करने की कार्रवाई के उक्त तरीके को अपनाया था ………।

हाईकोर्ट ने कहा कि श्री परमानंद गुप्ता, अधिवक्ता, ने, प्रथम दृष्टया, न्यायालय की अवमानना की है।

उपरोक्त के मद्देनजर, खंडपीठ ने जमानत रद्द करने की अर्जी मंजूर कर ली।


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