सामने आ गया चीन का अमानवीय चेहरा!
जहाँ आज पूरा संसार कोरोना महामारी के प्रकोप से त्रस्त है, तो वहीं चीन अपना अमानवीय रूप दिखाते हुए , बाजार मजबूत करने में लगा है, गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा चीन से कोरोना संक्रमण की जाँच करने के लिए आयात किए गए पीपीई किट में अधिकांश की गुणवत्ता खराब होने के कारण कोरोना संक्रमण की जाँच रिपोर्ट गलत आ रही थी, जिसको देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने स्पष्ट तौर पर इन मेड इन चाइना टेस्टिंग कीटों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दिया, उल्लेखनीय है कि आईसीएमआर ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से निर्देशों का पालन करने कहा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि आईसीएमआर द्वारा पूर्व में जितनी भी किट राज्य को मुहैया करवाई गई थी, वे सभी वापस लौटाई जाएं।
भारत द्वारा चीन के किट को वापस लौटानें की खबर सुनकर चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने प्रतिक्रिया देते हुए अपनी गलती न मानकर अकड़ते हुए कहा, हमारे देश से निर्यात होने वाले चिकित्सा उत्पादों में गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जाती है लेकिन कुछ लोगों द्वारा चीनी उत्पादों को ‘बेकार’ करार देना अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है ये तो वही बात हुई “उल्टा चोर कोतवाल को डाटे” ।
चीन की इस हरकत को देखकर उन शंकाओं को बल मिलता है जिनमें अमेरिका समेत कई देश चीन को कोरोना महामारी फैलाकर जैविक जंग छेड़ने का आरोपी मानते रहे हैं, गौरतलब है कि कोरोना वायरस का जन्म चीन के वुहान शहर से ही हुआ है यह तो स्पष्ट हो गया है साथ ही ये भी स्पष्ट है कि चीन ने कोरोना जैसे घातक वायरस की जानकारी होने पर भी महीनों तक विश्व समुदाय से इस प्राणघातक बीमारी के सत्य को छुपाए रखा, इस कारण चीन विश्व मानव समुदाय का अपराधी भी है,क्योंकि जब ये वायरस विदेशों में फ़ैलने लगा तब जाकर चीन ने इस घातक वायरस के विषय में दुनिया को बताया, अगर चीन ने इस घातक वायरस के बारे में पहले ही बताया होता तो इसे वुहान शहर में रोका जा सकता था, लेकिन चीन ने ऐसा कुछ करने के बजाय उन डॉक्टरों को दण्डित करना प्रारंभ कर दिया जो कोरोना पैदा होने की सच्चाई को बता रहे थे। वहीं चीन ने आज तक यह स्पष्ट नही कर सका कि वायरस के अचानक फ़ैलने का कारण क्या है ,कभी वह कहता हैं कि कोरोना वुहान के फिस मार्केट से चमगादड़ के माँस से निकला है ,तो कभी कहता है अमेरिका ने अपनी सेना के द्वारा इसे वुहान में प्लांट किया है।
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है कि चीन के लिए वुहान शहर अपने आप में कुछ खास है ,क्योंकि चीन में वुहान ही वह जगह है जहाँ विश्व की सबसे खतरनाक जैविक प्रयोगशाला में सुमार “वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है” सन् 2015 में वुहान टेलीविजन पर इस इंस्टीट्यूट का प्रसारण हुआ था, जिसमे इसकी जैविक हथियार की उपलब्धियों का जिक्र किया जा चुका है। कई बार चीन की सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस संस्थान के बारे में स्वीकार किया है चूंकि चीन एशिया महाद्वीप में सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है किंतु उसकी महत्वाकांक्षा संपूर्ण विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की सदियों से रही है ,ऐसे में हो सकता है,चीन ने पहले कोरोना महामारी को फैलाकर उससे लड़ने के लिए स्वास्थ्य उत्पादों की वैश्विक स्तर पर एक बड़ी मांग पैदा की हो । और अब उसी मांग का फायदा उठाकर “फैक्टरी ऑफ द वर्ल्ड” आपूर्ति के लिए दुनिया भर के देशों को अपने उपर निर्भर जानकार घटिया स्तर का चिकित्सीय उत्पाद निर्यात कर रहा है और लगातार अपना बाजार मजबूत करने में लगा है। अगर ऐसा है तो ये चीन का बहुत ही निंदनीय कृत्य है, ऐसे में भारत समेत दुनिया भर के तमाम कोरोना पीड़ित देशों को अमेरिका के नेतृत्व में चीन के ऊपर दबाव बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करना चाहिए।
आकाश सिंह -9956399024