“वेद और विज्ञान” पर गोष्ठी सम्पन्नसुखी,सम्पन्न व शांतिमय जीवन के लिए वेद विज्ञान आवश्यक -अतुल सहगल

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डाॅ अजय ओझा।
नई दिल्ली, मंगलवार, 14 जून।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्त्वावधान में “वेद और विज्ञान” विषय पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 408 वा वेबिनार था ।वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने विज्ञान की विस्तृत परिभाषा प्रस्तुत की और सृष्टि रचना की वैज्ञानिक प्रक्रिया की संक्षेप में व्याख्या की l इस तथ्य को उजागर किया कि किस प्रकार वेद वाणी से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है और यह वाणी आज भी समाधि अवस्था में अष्टांग योग द्वारा सुनी जा सकती है l इसीलिए वेदों को श्रुति कहा जाता है l उन्होंने ब्राह्मण ग्रंथों की चर्चा की और इस बात को प्रकट किया कि वैदिक भौतिकी जो वेद विज्ञान की आधारशिला है — इसका विस्तृत वर्णन ऐत्रेय ब्राह्मण ग्रन्थ में मिलता है l वेदों से निकले लघु ग्रन्थ -वेदांग और उपवेदों के विषयों को प्रस्तुत किया l हर वेद मंत्र के तीन प्रकार के अर्थ– अधिभौतिक, अधिदैविक और आध्यात्मिक की चर्चा की l विशेष विज्ञान के सूत्रों का उद्घाटन करते हुए कुछ वेद मन्त्रों की अर्थ सहित व्याख्या की l इस बात पर बल दिया कि वर्तमान का विज्ञान जो पाश्चात्य देशों में विकसित हुआ है, वह अपूर्ण और अधूरा है और इसीलिए यह संसार पर अनेक दुष्प्रभाव छोड़ रहा है l ऋतु विकार और प्रदूषण की समस्याएं उत्पन्न हो गयी हैं l इन सबका समाधान करने के लिए हमें वैदिक विज्ञान को अपनाना होगा l यदि ऐसा नहीं किया तो हम वातावरण को और भावी पीढ़ियों को सुरक्षित नहीं रख पाएंगे l मनुष्य अल्पज्ञ है और ईश्वर सर्वज्ञ है l ईश्वर प्रदत्त वैदिक ज्ञान द्वारा हम  विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं l वेद मन्त्रों के अर्थ ठीक प्रकार समझने के लिए पलि संस्कृत को पुनः स्थापित करना होगा l

हम वेद और ब्राह्मण ग्रंथों के ज्ञान सूत्रों के आधार पर अपनी प्रोद्योगिकी निर्मित करें,  जिससे एक सुन्दर, सुखी, शान्तिमय और संपन्न भविष्य का निर्माण हो lकेन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि वेद विज्ञान सम्मत है और सत्यता, तर्क की कसौटी पर खरा उतरता है ।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद जी ने भी वेद को सब सत्य विद्याओं की पुस्तक बताया है और पढ़ना पढ़ाना धर्म बताया है ।


गायक रविन्द्र गुप्ता, प्रवीना ठक्कर, पिंकी आर्या,रजनी चुघ,कमलेश चांदना, कमला हंस,विजय खुल्लर,जनक अरोड़ा, ईश्वर देवी,कौशल्या अरोड़ा, कुसुम भंडारी आदि के भजन हुए ।


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