करोना काल, लॉकडाउन 3.0 का सातवां दिन, एक बार फिर जिज्ञासाएं शांत करने का दिन

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जिस तरह, जिज्ञासु पाठक, मित्र और अन्य घबराये हुए लोगों के लगातार सवाल आ रहे हैं, तो आज का लेख एक बार फिर, क्या करें, क्या ना करें के नाम ।
कोरोना से संक्रमण के लक्षण और सर्दी ज़ुखाम फ्लू के लक्षणों में काफी समानता है, दोनों में बुखार और खांसी आती है लेकिन अगर आपको बुखार के साथ, सूखी खांसी भी आ रही है और सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए और तुरंत अपने डॉक्टर को इस बारे में बताकर, उनके निर्देशानुसार आपको कोविड-19 की जांच करानी चाहिए।
यूँ भी, देश में जिस गति से करोना का संक्रमण फ़ैल रहा है, उस हिसाब से इस महीने के अंत तक मरीजों की संख्या तीन लाख से भी अधिक होगी और स्वांस तंत्र के अलावा, दुनिया भर के शोधार्थियों के अनुसार, करोना का संक्रमण, संक्रमित मनुष्य के वीर्य, पेट के अंदरूनी द्रव्य, (पेरिटोनियल फ्लूड) और मल में भी पाया गया है। ठीक हो चुके और नेगेटिव थ्रोट स्वाब वाले मरीजों के मल स्वाब में तो २१ से २८ दिन तक एक्टिव वायरस लोड पाया गया है और भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में, जहाँ मलनिकास और पेयजल स्त्रोत संक्रमण एक गंभीर चुनौती है, आनेवाला समय वाकई गंभीर है।
इतिहास की सबसे भयंकर महामारी, १९१८ में आई स्पेनिश फ्लू थी, जिसने दो साल से भी अधिक समय तक प्रलय मचाई थी। इस बीमारी के तीन पीक प्रभाव आये थे, पहले संक्रमण काल के समय, क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन से घबराये लोग, पाबंदियां हटते ही सड़कों पर जश्न मनाने उतर आये थे और इसी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान दूसरी पीक में हुआ था। तब इस बीमारी से लगभग पचास करोड़ संक्रमण और पांच करोड़ मौतें हुईं थी।
इसलिए बेवजह घरों से ना निकलें और घर के सभी सदस्य, यथासंभव माहौल को खुशनुम बनाये रखने के हरसंभव प्रयास करें। आयु, अवस्था, शारीरिक क्षमतानुसार कार्यों का विभाजन भी कर लें तो सम्भवतः बहुत सी घरेलू तकलीफें, तनाव, लड़ाई झगडे कम हो सकते हैं। घर की महिला के पास, सबके भोजन पानी की व्यवस्था के अलावा, घर में साफ़ सफाई करना, पौधों में पानी देना, बुजुर्गों की देखभाल बीमारियां, दवाइयों का ख्याल, पेट्स हैं तो उनकी देखभाल, जैसे और भी बहुत काम होते हैं, और इन सबका उचित नियोजन, निःसंदेह समस्याएं कम कर सकता है। सुबह शाम व्यायाम, भजन पूजन, मनोरंजन, इनडोर गेम्स, संगीत, मूवी के जरिये सबको व्यस्त और खुश रखा जा सकता है। घर के कामकाजी पुरूषों, महिलाओं, कमाऊ सदस्यों के लिए तो, एक और बहुत बड़ा तनाव है, अपने काम की जबाबदारी, कमाई खोने का डर और भविष्य की चिंता। इसलिए यह आपदा काल, संयम बचत मेहनत सेवा सुश्रुषा मदद करने और व्याधियां त्यागने का भी स्वर्णिम काल बन सकता है।
यह भी कालांतर में साबित हो जाएगा कि अस्सी पर्सेंट से अधिक लोग इस बीमारी में, अपनी इम्युनिटी से खुद बखुद ठीक हो जायँगे, लेकिन बाकी बीस में, अधिक उम्र, बीमारियां, डायबिटीस, बीपी, टीबी, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां तथा इम्म्युनिटी की कमी के चलते गंभीर परिणाम होंगे और इसीलिए जैसे कि हम बार बार चेता रहे हैं कि फिलहाल तो इस बीमारी का, किसी भी अनजान वायरस की तरह, कोई वेक्सीन दवाई या उपचार उपलब्ध नहीं है, साथ ही जिस तेजी से यह वायरस अपने ढेरों म्यूटेशंस उत्पन्न कर रहा है, उसके चलते, कोई भी वेक्सीन या हर्ड इम्मुनिटी कितनी कारगर होगी, यह भी अभी कहा नहीं जा सकता, इसलिए लाभ होगा तो सिर्फ, संयम, तनावमुक्त जीवन, भरपूर नींद, सुबह की ताजी धूप और शुद्ध हवा में व्यायाम और सात्विक पौष्टिक भोजन के जरिये, जो ना सिर्फ आपकी अंदरूनी ताकत बढ़ाएंगे बल्कि आपकी इम्यूनिटी भी मजबूत करेंगे।
कई स्वार्थी व्यापारिक लोग फर्जी आंकड़ों, रिपोर्टों के जरिये आपको शर्तिया दवाई वाले इलाजों, सप्प्लीमेंट्स और विटामिन्स के कमर्शियल वर्ल्ड की और ले जाने की भरसक कोशिश करेंगे लेकिन जागरूक रहने से गंभीर शारीरिक और आर्थिक नुकसानों से बचा जा सकता है।
इस समय ताजा, शुद्ध सात्विक, पौष्टिक और प्राकृतिक भोज्य पदार्थ ही सर्वोत्तम है और दवाई के रूप में ली गई कोई भी चीज, शरीर के अंदरूनी रक्षातंत्र “इम्युनिटी” के लिए हानिकारक ही साबित होगी।
हमारी आँतों में, ख़ासतौर पर बडी आंत में, सात सौ से भी अधिक किस्म के बैक्टीरिया, “सहयोगी परजीवी” की तरह रहते हैं और कई अन्य जरुरी न्यूट्रिएंट्स के साथ साथ बेहद जरुरी विटामिन, “के” और “बी”, ( बायोटीन्स) का भी निर्माण करते हैं, यह बेहद जरुरी तत्व, आपको किसी भी अन्य भोजन या दवाई के द्वारा प्राप्त नहीं हो सकते। जहां ताजा दही इनके लिए अमृत है, वहीँ एंटीबायोटिक्स, स्टीरॉइड्स या पेनकिलर्स आपके इस सहयोगी के लिए मौत का सबब बन सकते हैं, पेट में अल्सर, एसिडिटी, गुर्दों को ख़राब करने के अलावा।
इसलिए समय के साथ चलिए, “अरली टू बेड, अरली टू राइज”, सुबह जल्दी उठकर जितना हो सके, हल्का गरम पानी पियें, उसमे आवश्यकतानुसार शहद, नीम्बू, दालचीनी डाल सकते हैं। फिर पंछियों संग, उगते सूर्य को प्रणाम कीजिये और एक से दो घंटे तक, सुबह की ताजा धूप और शुद्ध हवा में जी भर कर, प्राणायाम, व्यायाम कीजिये, गहरी गहरी सांस लेते हुए !
सुबह का नाश्ता, आयु अनुसार भरपेट करें, जरूर करें और फिर दो से तीन बार, जब भूख लगे तब ही खाएं और हल्का भोजन करें। सूर्यास्त पश्चात भारी भोजन तो हरगिज ना करें।
अपने नाश्ते या दिन के भोजन में मोटे अनाज शामिल करें, जैसे ज्वार बाजरा चना मक्का। जहाँ तक हो सके, गेंहू का सेवन हरगिज ना करें या कम से कम करें (क्योंकि गेंहू मोटापा और डायबिटीज का कारक है और अंग्रेजकाल के पहले यह हमारे देश में नहीं होता था, इसका सीधा सा अर्थ ये है कि यह हमारे वातावरण के अनुकूल नहीं है। हमारी इसी खोज और सिद्धांत की वजह से ढेरों शुगर के मरीज और उनके लाइलाज जख्म ना सिर्फ ठीक हो रहे हैं बल्कि उनका ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी बेहतर हो रहा है और शुगर भी कम हो रही है! हरी पत्तेदार साग सब्जियां, सलाद, ब्रोक्कोली, सभी तरह के फल (एवाकोडो, बेरी और सेव) मोटे अनाज, मिल्क एवं ताजे डेरी पदार्थ, दही, लेग्यूम्स (लेंटिल्स, पीस, चिकपीस, बीन्स, सोयाबीन्स, पीनट्स), नट्स, अंकुरित अनाज, सनफ्लॉवर सीड्स एवं अलसी का या इनके विभिन्न प्रकारों का, सामंजस्यपूर्ण उपयोग आपके भोजन में होना चाहिए !
हल्दी, तुलसी, आंवला, नीम्बू, हरी मिर्च, प्याज लहसुन,और सफ़ेद की जगह काले नमक का सेवन, इम्मुनिटी बढ़ाने के साथ साथ हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस का भी नाश करता है।
दिन में दो तीन गरम चाय जरूर पियें, बिना शक्कर डाले (इसमें मौजूद फिनॉल कम्पाउंड सेहत के लिए बेहद कारगर हैं), शुगर यानि शक्कर, ढेरों बीमारियों की जड़ है, इसका सेवन ना करें और ना ही आर्टिफिशियल शुगर का, इनसे आपके अंदरूनी अंगों हार्ट किडनी लिवर और इम्यून तंत्र को गंभीर हानि हो सकती है।
काले गुड़ का सेवन करें, इससे शरीर को प्रचुर मात्रा में आयरन मिलता है। नवरात्रों, शुक्रवार, माँ, की पूजा में गुड़ चने का प्रसाद, अनंत काल से विख्यात है, सोचिये क्यों? ताकि महिलाओं के शरीर में, रक्त में आयरन पहुँच सके और खून पर्याप्त बनता रहे। दिनभर प्रचुर मात्रा में पानी और अन्य पेय पदार्थ, दही छाछ मठ्ठा, आमपना आदि का सेवन करते रहें, (ठन्डे पेय कदापि ना लें ) मौसम अनुसार फल फ्रूट सब्जियों का भरपूर सेवन करें।
हल्दी के औषधीय गुण जगजाहिर हैं और दिन में एक या दो बार हल्दी वाला दूध आपके शरीर को ना सिर्फ बीमारियों से लड़ने की ताकत दे सकता है बल्कि आपकी रक्त प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी मजबूत करेगा।
खुले में थूकने, छींकने से हवा और सतह पर मौजूद थूक की लार से COVID-19 बीमारी के फैलने का खतरा होता है, सतर्क रहें, सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें, ना किसी को थूकने गंदगी फैलाने दें!
बिना जरुरत और बिना प्रॉपर सुरक्षा, मास्क किट के, बाहर कतई ना निकलें। अपने इस्तेमाल के कपड़े, रुमाल, तोलिये अलग रखें और उन्हें अच्छी तरह धोकर, धूप में सुखाकर या इस्त्री करके ही इस्तेमाल करें, बिना बात, भीड़ भाड़ वाले अस्पतालों की और भागना भी बीमारी को निमंत्रण दे सकता है।
भीड़भाड़ वाली, ठंडी जगहों से दूर रहें, छोटे बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों का विशेष ध्यान रखें, इन पर इस वायरस का संक्रमण, घातक हो सकता है।
ध्यान दें, वायरस खुद से आप तक नहीं पहुँच सकता, किसी संक्रमित व्यक्ति के बोलने छींकने खांसने से यह दो से तीन फिट हवा के जरिये आपके हाथ, नाक मुंह चेहरे तक पहुँच सकता है, इसलिए किसी भी कपडे, रुमाल गमछे से अपने नाक मुंह चेहरे को अच्छी तरह से ढँक कर रखें, किसी सतह से हाथ का, और फिर हाथ ओर नाक मुंह का संपर्क ना होने पाए! सुरक्षित रहें, सतर्क रहें, स्वस्थ रहें !!
मिलते हैं कल, तब तक जय श्रीराम।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत


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