१३ मार्च को पड रहा है “शनैश्चरी अमावस्या” पर शनि देव को कैसे करें प्रसन्न

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फाल्गुन मास की अमावस्या को शनैश्चरी अमावस्या कहते हैं। इस वर्ष २0२१ में यह १३ मार्च शनिवार को पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनैश्चरी अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय करने से शनि की साढ़ेसाती एवं शनि ढैय्या के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।
अमावस्या तिथि १२ मार्च दोपहर तीन बजकर दो मिनट से १३ मार्च दोपहर तीन बजकर पचास मिनट तक है। कहा जाता है कि शिव की उपासना करने से शनि ग्रह शुभ फल देते हैं। इसलिए इस दिन शिव की अराधना करें, पूजा करें। शनि के प्रकोप का भय दूर करने के लिए शिव सहस्त्रनाम शिव के पंचाक्षरी के मंत्र का पाठ करें, इससे सभी बाधाएं दूर होंगी। इससे शनि द्वारा मिलने वाला नकारात्मक परिणाम समाप्त हो जाता है।
इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नीले रंग का अपराजिता फूल चढ़ाएं तथा तिल के तेल और काले रंग की बाती से दीप जलाएं। ऊंँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिश्चराय नमः मंत्र का तीन माला जप करें। माना जाता है कि इससे शनि दोष दूर होता है।
शनिदेव की कृपा बनाए रखने और घर का वास्तु दोष दूर करने के लिए शनैश्चरी अमावस्या पर शमी का वृक्ष लगाकर उसकी नियमित पूजा करें। शनैश्चरी अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद शनिदेव का ध्यान करें, तत्पश्चात सरसों के तेल का दीया जलाएं। शनिदेव के अभिन्न मित्र हैं बजरंगबली। शनैश्चरी अमावस्या पर बजरंगबली की पूजा करें। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमानजी के मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं। यह सब शनि दोष दूर करने के कारगर उपाय हैं और शनि देव को प्रसन्न करने के भी।


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