शिव के ज्योति स्वरूप को साकार करने की रिकॉर्ड कोशिश

Share:

देवदत्त दुबे ।
महाशिवरात्रि के दिन महाकाल की नगरी उज्जैन में 21 लाख दीप जला कर शिव के ज्योति स्वरूप की महत्वता स्थापित करने की कोशिश की गई। वेद और पुराणों में परमात्मा शिव को सदा ज्योति स्वरूप प्रकृति पति त्रिगुणातीत और जन्म-मृत्यु के चक्र से परे अजन्मा बताया गया। आज दुनिया को शिव के इन्हीं स्वरूप की आवश्यकता है।

दरअसल वेद, पुराणों और आध्यात्मिक दृष्टि में भगवान शिव सबसे सरल देवता के रूप में जाने जाते हैं। यहां तक उन्होंने लोकहित के लिए विष पीकर अमृत बांटने का काम किया। जिससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिएं इतनी भी विपरीत परिस्थितियां भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि जीवन में जितने आनंद के अवसर हैं उनकी ओर देखेंगे तो पूरा जीवन से हो जाएगा इसके लिए जीवन को सकारात्मक रूप मे देखने की जरूरत है क्योंकि जब व्यक्ति नकारात्मक जीवन जीता है तब अज्ञात भय से ग्रस्त हो जाता है।

इसके लिए शिव ही नहीं शिव परिवार भी शक्ति जागृत करता प्रतीत होता है। जहां गणेश विघ्न बाधाएं दूर करते हैं और तब जो शुभ फल मिलता है वही तो रिद्धि सिद्धि है और जब हम दान करते हैं तो लक्ष्मी के आठ स्वरूप प्रकट करते हैं जिन्हें हम अष्ट सिद्धियां करते हैं जबकि शिव की उपासना में कार्तिकेय की भूमिका हमारे षडविकारो को समाप्त करने की होती है। कुल मिलाकर महाशिवरात्रि पर जो भी संकल्प करें उसे पूरा करने का उद्यम भी करें और जो भी लक्ष्य बनाएं वह कल्याणकारी हो तभी हम महाशिवरात्रि की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे।

कुल मिलाकर हम सब ने महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया। देश का सबसे बड़ा उत्सव भी प्रदेश की उज्जैनी नगर में हुआ। महाकाल के दरबार में शिव की ज्योति स्वरूप को महत्त्व देते हुए 21 लाख दीपों का रिकॉर्ड प्रज्वलन किया गया जो यही संदेश देता है हमें जीवन से अंधकार मिटाना है और प्रकाश बढ़ाना है। आज के दौर में प्रदूषण का अंधकार, नशे का अंधकार मिटाने की विशेष रूप से जरूरत है जिससे कि मानव जाति की रक्षा हो सके।


Share: