लाइलाज महामारी में हद दर्जे की लापरवाही

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देवदत्त दुबे।
पिछले डेढ़ वर्षो से पूरी दुनिया में कहर बरपा रही कोरोना महामारी का अब तक कोई कारगर इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। वैक्सीनेशन केवल बचाव का उपाय है इसके बावजूद अनलॉक होते ही जगह जगह लापरवाही सभी हदों को पार कर रही है। यहां तक की अधिकांश लोगों ने मास्क लगाना ही छोड़ दिया है। जगह जगह भीड़ एकत्रित हो रही है कहीं यह लापरवाही तीसरी लहर में भारी न पड़ जाए।
दरअसल जिस तरह की तस्वीरें सामने आ रही है उसमें लोगों की लापरवाही हैरान करने वाली है। अभी जबकि दूसरी लहर पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि डेल्टा प्लस तीसरी लहर का कारण बन सकता है और सितंबर तक तीसरी लहर का पिक भी आ सकता है। दूसरी लहर में कोरोना महामारी का भयानक रूप हम सब देख चुके हैं। इसके बावजूद भी सतर्क और सावधान ना होना चिंताजनक है। यह समझ से परे है कि सब कुछ जानते और समझते हुए भी बात कर लो ऐसा जोखिम क्यों मोर ले रहे हैं। भीड़ में कौन व्यक्ति संक्रमित है या कौन बिना लक्षणों वाला संक्रमित है किसी को पता नहीं चलता। पिछले डेढ़ साल में यह भी अनुभव में आया है कि जहां-जहां भीड़ बड़ी है वहां वहां संक्रमण तेजी से फैला है।

अभी यह तय नहीं है की कोरोनावायरस कितने रूप बदल कर सामने आता है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लैवडा नाम के वेरीयट ने 30 से ज्यादा देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। डेल्टा प्लस पहले ही सभी जगह पहुंच चुका है। ऐसा में कैसे लोग लापरवाह हुए जा रहे हैं समझ से परे है।
बहरहाल देश में आंकड़े एक बार फिर से पलटने लगे हैं। ठीक होने वालों से ज्यादा संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं। कुछ दिन पूर्व को ही देश में 45724 लोगों की रिपोर्ट जहां पाज़िटिव आई वही 44506 लोग ठीक हुए पर 819 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हो गई। लगभग 56 दिनों बाद नए केस ठीक होने वालों मरीजों से ज्यादा आए हैं। तीसरी लहर की आने की ना केवल संभावनाएं बनी है। वरन कोरोना के गंभीर स्वरूपों का भी पता चल रहा है। जो कोरोना के संक्रमण की रफ्तार को बढ़ा सकते हैं। अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के रूप में कोरोना की मौजूदगी सामने आ चुकी है। देश के 8 राज्यों में सख्त पाबंदियां की गई है। वहीं 22 राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लागू है। लेकिन जिन प्रदेशों में अनलॉक की स्थिति बढ़ती जा रही है, वहां आपराधिक लापरवाहीया देखने को मिल रही है।
कुल मिलाकर कोरोना महामारी से केवल बचाव में ही उपाय है, इसके बावजूद लोग महामारी से बचने की महत्वपूर्ण उपाय, मास्क लगाना, हाथ सैनिटाइज करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जैसे भूल ही गए हैं। और यदि इसी तरह से लापरवाही जारी रही तो फिर तीसरी लहर का कहर कितना खतरनाक होगा कुछ पूर्व में जाकर याद कर ले अप्रैल और मई महीने के दौरान जब लाखों लोग वैश्विक महामारी के भेंट चढ़ गए थे और किसी भी श्मशान घाट में चिता पर अग्नि बुझती हुई नहीं दिख रही थी।


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