जाति और धर्म से ऊपर नहीं उठ पा रही राजनीति!

Share:

देवदत्त दुबे।
अधिकांश राजनीतिज्ञ और राजनीतिक दल जाति और धर्म के इर्द-गिर्द ही राजनीति करना पसंद करते हैं। बहुत कम प्रयासों से थोक में वोट मिल जाते हैं। यदि गरीब और पिछड़ों की चिंता इन्हें रहती तो फिर यह केवल मानव हित की बात करते, जिसमें सभी जाति वर्ग और धर्म के उपेक्षित आ जाते।

जैसे कोई विद्यार्थी पूरे वर्ष मेहनत करता है, स्कूल जाता है, ट्यूशन भी पढता है वहीं दूसरी ओर कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो स्कूल से भी गोल मारते हैं और खेल-कूद में मस्त रहते हैं, लेकिन परीक्षा के समय गेसिंग जुगाड़ करके या फिर परीक्षा के बाद कार्यों में सुधार करवा कर पास हो जाते हैं। यहां तक की अव्वल आ जाते तब मेहनत करने वाला परीक्षार्थी निराश होता है और वह भी शॉर्टकट रास्ते की तलाश करने लगता है। ऐसा ही कुछ मंडल और कमंडल से लेकर अभी तक राजनीति से जुड़े लोग जब भी कोई बात करेंगे जाति और धर्म आस पास ही रहेगी क्योंकि ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जिसमें संघर्षशील और ईमानदार नेता को जाति की दम पर निष्क्रिय उम्मीदवार ने चुनाव में पराजित कर दिया।

विष्णु दत्त शर्मा

ऐसे ही कुछ कारणों से राजनीति में कानून व्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाएं, प्रभावी मुद्दे नहीं बन पा रहे हैं। बहरहाल प्रदेश में एक बार फिर पिछड़े वर्ग में आरक्षण लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने वर्ष 2019 में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया था, लेकिन शिवराज सरकार ने लागू अमल करने के कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। इस आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में कुछ याचिकाएं दायर की गई लेकिन सरकार द्वारा उचित पैरवी नहीं की जाने से प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के लिए बढ़ा हुआ आरक्षण अब तक लागू नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार अपनी पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता से आगे सभी इस वर्ग को पढ़े हुए आरक्षण का लाभ मिल सकता है। कमलनाथ के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा कि कमलनाथ कभी भी पिछड़ा वर्ग के उत्थान और विकास के लिए चिंतित नहीं रहे। उनकी तो सिर्फ इस वर्ग का राजनीतिक इस्तेमाल करके चुनावी फायदा उठाने में रही है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लोग में कमलनाथ ने आरक्षण बढ़ाने की घोषणा कर दी थी लेकिन उन्होंने अपनी इस घोषणा पर अमल करने में कोई रुचि नहीं ली।

कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस में एक बार फिर पिछड़ा वर्ग वह आरक्षण दिए जाने के मुद्दे को हवा दे दी है और यह मुद्दा ऐसे समय उछाला जा रहा है जब महंगाई और कोरोना महामारी से आमजन त्रस्त है।
फोटो अमरनाथ और विष्णु दत्त शर्मा


Share: