शक्ति पीठ कैसे बनें

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जयती भट्टाचार्या
शक्ति पीठ का अर्थ है शक्ति का स्थल। यह शाश्वत शक्ति का पवित्र स्थल है। यह वह तीर्थ स्थान हैं जहां पर सती के मृत देेह के टुकड़े या गहने गिरे थे। देवी सती के मृत देह और गहनों केे 51 टुकड़े धरती पर गिरे और उन जगहों को शक्ति पीठ कहा जाता है। शक्ति पीठ भारत के बाहर पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में भी है। 51 शक्ति पीठों में से 18 महा शक्ति पीठ हैं।
यूँ तो शक्ति पीठ कैसे बनें इसके बारे में अनेक कथाएं हैं। परंतु जो सबसे अधिक प्रचलित है वह भगवान शिव और देवी सती से संबंधित है। वैष्णव पुराण के अनुसार भगवान शिव की प्रथम पत्नी देवी सती थीं। देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के खिलाफ जाकर भगवान शिव से विवाह किया था। राजा दक्ष को बेटी का यह विवाह कतई मंजूर न था। एक बार राजा दक्ष ने अपने यहां यज्ञ का आयोजन किया। भगवान शिव और देवी सती के अलावा दक्ष ने सभी देव – देवियों, ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया। भगवान शिव की मर्जी न होने पर भी सती वहां गई। सती के सामने राजा दक्ष ने भगवान शिव का खूब अपमान किया। सती इसे सह न सकीं और हवन कुंड में कूदकर जान दे दी। इसके पश्चात क्रोधित शिव वहां आए और देवी सती के मृत देह को लेकर तांडव नृत्य करने लगे। सभी बहुत डरे हुए थे। जब तक सती के मृत देह को भगवान शिव से अलग नहीं किया जाएगा तब तक उनका क्रोध शांत नहीं होने वाला था। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव के तांडव को रोककर उनके क्रोध को शांत करना आवश्यक था। अंत में भगवान विष्णु आगे आए और अपना सुदर्शन चक्र छोड़ दिया जिससे देवी सती के मृत देह के टुकड़े हो गए और धीरे धीरे भगवान शिव का क्रोध भी शांत हुआ। जिन जगहों पर सती के देह के टुकड़े या गहने गिरे वह शक्ति पीठ बन गए। इसके बाद जब तक देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म नहीं हुआ भगवान शिव एकांतवास में रहे।
18 महा शक्ति पीठों में से कामाख्या, गया और उज्जैन सबसे महत्वपूर्ण हैं।
18 महा शक्ति पीठ –
1. श्रीलंका के त्रिंकोमाली में देवी सती का हृदय गिरा था जहा शंकरा मंदिर है। यहां शंकरा देवी की पूजा होती है।
2. कश्मीर के शारदा में देवी का दांया हाथ गिरा था जहां पर शारदा पीठ है। यहां पर मां शारदा देवी की पूजा होती है।
3. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में देवी के नाक गिरे थे जहां विषलक्क्षी मंदिर है। वहां मां विषलक्क्षी की पूजा होती है।
4. बिहार के गया में मंगला गौरी मंदिर है। यहां देवी के स्तन गिरे थे। यहां मां सर्वमंगला की पूजा होती है।
5. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में देवी का जीभ गिरा था। जहां ज्वालामुखी मंदिर है। यहां पर मां ज्वालामुखी की पूजी होती है।
6. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित अलोपी देवी मंदिर में देवी की उंगलियां गिरी थीं। यहां मां माधवेश्वरी की पूजा होती है।
7. असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर में देवी की योनी गिरी थी। यहां देवी कामाख्या की पूजा होती है।
8. आंध्र प्रदेश के द्रकशारामम स्थित भीमेश्वरा मंदिर में देवी का बांया गाल गिरा था। यहां मां मानिकयम्बा की पूजा होती है।
9. ओडिशा के जाजपुर में बिराजा मंदिर है जहां देवी की नाभि गिरी थी। यहां मां बिराजा की पूजा होती है।
10. आंध्र प्रदेश के पिथापुरम में कुक्कूटेसवरा स्वामी मंदिर है। यहां देवी की पीठ गिरी थी जहां मां पुरूहितिका की पूजा होती है।
11. उत्तर प्रदेश के सहरानपुर स्थित शाकम्बरी में देवी का शीश गिरा था। यहां शाकुम्बरी देवी की पूजा होती है।
12. महाराष्ट्र के माहुर में एका विरीका मंदिर है जहां देवी का बांया हाथ गिरा था। यहां एका विरीका की पूजा होती है।
13. महाराष्ट्र के कोहलापुर में महालक्ष्मी मंदिर है जहां देवी की आंख गिरी थी। यहां आई अम्बाबाई की पूजा होती है।
14. आंध्र प्रदेश के श्रीसैलम में देवी का गला गिरा था। यहां भ्रमारम्बा मल्लिकार्जुना मंदिर में मां भ्रमाम्बिका की पूजा होती है।
15. तेलेंगाना में देवी के दांत गिरे थे। गडवाल जिले के आलमपुर में जोगुलम्बा देवी है जहां पर योगम्बा की पूजा होती है।
16. कर्नाटका के मैसूर में देवी के बाल गिरे थे जहां चामुण्डेश्वरी मंदिर है। यहां चामुण्डेश्वरी की पूजा होती है।
17. पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के पांडुया में देवी के पेट का एक हिस्सा गिरा था। यहां मां शंकरा की पूजा होती है।
18. तामिल नाडू के कांचीपुरम में देवी की नाभि गिरी थी जहां कामाक्षी अम्मान मंदिर है। यहां कामाक्षी अम्मान की पूजा होती है।


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