हिंदी रंगमंच दिवस पर परिचर्चा का आयोजन

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मनीष कपूर।

हिंदी रंगमंच दिवस के अवसर पर 03 अप्रैल 2021 को प्रयागराज शहर का बहुचर्चित नाट्य संस्थान नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान प्रयागराज के तत्वाधान में सिविल लाइंस स्थित द पिक्सेलबीट स्टूडियो में परिचर्चा का आयोजन किया गया।
विषय था ‘रंगमंच : नुक्कड़ नाटक दशा व दिशा
यह परिचर्चा बेहद संवेदनशील और गंभीरता से भरा रहा इस पर चर्चा में शहर भर के युवा रंग कर्मियों ने अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखी।

परिचर्चा की शुरुआत संचालन कर रहे युवा रंगकर्मी कृष्ण कुमार मौर्या ने कहा,
देश में कोई आपदा हो, या कोई बात बेबाकी से कहनी हो, या किसी के इलाज के लिए नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पैसा इकट्ठा करना हो तो एक ही माध्यम जहन में आता है और वह है नुक्कड़ नाटक फिर भी यह अन्य कलाओं के बराबर का सम्मान क्यों नहीं पाता? रंगमंच इसे सार्वजनिक तौर पर क्यों नहीं अपनाता? क्या प्रेक्षागृह में नाटक करने वाले ही असली रंगकर्मी है ?

जबकि कोई प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता हो या रंगमंच का हो, जब भी उसे अपने शुरुआत दिनों की बात करनी होती है तो वह नुक्कड़ नाटक की बात करता है फिर भी नुक्कड़ नाटक को लेकर बात क्यों नहीं की जाती?

वक्ता जतिन कुमार ने कहा :- रंगमंच से रंग राजनीति को हटानी होगी तब जाकर सार्थक रंगकर्म हो पाएगा साथ ही उन्होंने प्रयागराज शहर में रंगकर्म को लेकर रंग बहरूपिया की बात करी कहा साल भर नुक्कड़ नाटक करके हम लोग लोगों को जागरूक करते हैं और जब बात व्यवसायिक होती है कहीं पैसे की बात आती है तब कोई रंग बहरूपिया कर इस अवसर को भुना लेता है ऐसा क्यों?
कला क्षेत्र में कैरियर क्यों नहीं बनाया जा सकता?

वक्ता वरुण कुमार ने रंगमंच नुक्कड़ नाटक दशा व दिशा पर बात करते हुए कहा रंगमंच और नुक्कड़ नाटक एक दूसरे के पूरक हैं जहां रंगमंच में लोग स्वेच्छा से काम करते हैं वहां नुक्कड़ नाटक में काम करने के लिए पैसा मांगते हैं और नुक्कड़ नाटक को व्यवसायिक मानते हैं ना कि रंगकर्म । जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।

वक्ता संजू साहू ने पर चर्चा में आए सभी को हिंदी रंगमंच दिवस की बधाई दी और कहा कि जब हिंदी रंगमंच में अंग्रेजी नाटककारों के नाटक होने लगे तो हिंदी रंगमंच का पतन तो होना ही है। यदि हिंदी रंगमंच को बेहतर ढंग से आगे ले जाना है तो हिंदी नाटककारों के नाटक हमेशा होने चाहिए । हिंदी के नाटक जितने सरल व सहज होते हैं शायद अन्य भाषाओं के नाटक उतने सरल व सहज नहीं होते होंगे हिंदी दर्शकों के लिए।

परिचर्चा में शामिल लव कुश कुमार व हर्ष श्रीवास्तव ने वर्तमान समय में नुक्कड़ नाटक की दशा व दिशा पर बात करते हुए कहा की कलाकार को नुक्कड़ नाटक का नाम आते ही व्यवसायिक हो जाना हमेशा स्वभाव के अनुसार गलत होता है।
नुक्कड़ नाटक हमें बहुत चीजों को सिखाता है जब भी हम नुक्कड़ नाटक के माध्यम से किसी मुद्दे को जागरूक करते हैं तो सबसे पहले स्वयं को जागरूक हो जाते हैं यही नुक्कड़ नाटक की सबसे बड़ी खूबी है।

कलाकारों ने द पिक्सलबीट स्टूडियो के विजय रतन का धन्यवाद दिया । कलाकारों को इस परिचर्चा के लिए उन्होंने एक जगह उपलब्ध कराई जहां कलाकार इस विषय पर बात कर सके।

इस परिचर्चा में अभिषेक मिश्रा, आनंद प्रकाश शर्मा, आलोक मौर्य, अभिषेक खत्री, देवेंद्र राजभर, विजय रतन , कुमुद कनौजिया , रोशनी मौर्य, मोहम्मद करीम , हर्षराज पाल इत्यादि कलाकार मौजूद रहे।

सभी वक्ताओं ने संस्थान के सचिव कृष्ण कुमार मौर्य के बारे में कहते हुए कहा कि आप नुक्कड़ नाटक को लेकर एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं और हम सभी इस मुहिम में आपके साथ हैं अभी तक शहर में हर मुद्दे पर बेबाकी से बोलने के लिए नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान प्रयागराज को सभी वक्ताओं ने एवं रंग प्रेमियों ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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