मन की मजबूती से ही महामारी की होगी मात

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देवदत्त दुबे

कोरोना महामारी के कारण दुनिया की अधिकांश आबादी इस समय लॉक डाउन है। इस दौरान तरह-तरह के विचार मन में आते जाते रहे हैं खासकर विश्वव्यापी बीमारी की भयावहता के कारण मन में नकारात्मक विचार भी आए अब जरूरत है मन को मजबूत बनाकर महामारी को मात देने की।

दरअसल देश में लॉक डाउन लागू होने के बाद जो जहां था जिस स्थिति में था वही रह गया ऐसे ही में कुछ लोगों के परिजन विदेश में तो कुछ लोगों के परिजन देश में ही दूसरे शहरों में दूर-दूर रह गए जिन लोगों को और न्य किसी प्रकार की बीमारी थी या उन्हें अस्पताल जाना था वह भी घरों में ही रुक गए उन लोगों की हालत और भी खराब हो गई जो दिन भर कमा कर शाम को घर में खाने की व्यवस्था करते हैं। ऐसी अनेक प्रकार की समस्याओं में घिरा हुआ आदमी जब घर मैं ही रुका रहा तब कई प्रकार के विचार मन में आते रहे किसी को भविष्य की चिंता किसी को रोजगार की चिंता किसी को परिवार के खाने पीने की व्यवस्था करने की चिंता तो किसी को स्वास्थ्य की चिंता इन सब चिंताओं के बावजूद भी लोगों ने लॉक डाउन का पालन भी किया और मन को मजबूत भी करने के प्रयास कीजिए अन्यथा स्थिति कितनी भयावह होती इसकी कल्पना नहीं की जा सकती इस सब के बावजूद भी कुछ लोग ऐसे भी रहे जिन पर नकारात्मक विचार हावी होते रहे और इन विचारों का असर भावनाओं पर होता है।

घर चाहे कितना भी साफ हो लेकिन घर के वातावरण में यदि चिंता तनाव डर रहता है तो नकारात्मक ऊर्जा का असर व्यक्ति की सोच और भावना पर भी होता है। इस दौरान दुनिया में हुए सर्वे भी बता रहे हैं की नकारात्मक विचारों के कारण चिंता बढ़ती है जिससे सोचने समझने की शक्ति भी कमजोर होती है और डर के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है ।शारीरिक बीमारियां भी घेरने लगती क्योंकि लगातार वायरस से उत्पन्न हुई परिस्थितियों के कारण चिंता और तनाव में रहने से मानसिक और शारीरिक कमजोरी भविष्य के लिए खतरनाक हो सकती है।

एक ना एक दिन इस बीमारी का अंत होना ही है कोई ना कोई वैक्सीन बन ही जाएगी लेकिन ऐसा ना हो तब तक हम किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हो जाए इसके लिए जरूरी है की मन को बार-बार सकारात्मक विचारों से उसी तरह साफ किया जाए जैसे कि हम साबुन से बार-बार हाथ शरीर और कपड़ों को साफ कर रहे हो। इसी तरह मन की सफाई भी निरंतर होना जरूरी है विभिन्न प्रकार के अध्ययन और शोध भी बताते हैं की हम जो महसूस करते हैं या सोचते हैं उसी से तंत्रिका तंत्र अपना आकार लेता है और अपनी प्रतिक्रिया देता है अतः बेहतर यही होगा की हम जो दिमाग को बदलने की शक्ति रखते हैं उसका सदुपयोग किया जाए और मन को सही दिशा में सोचने की ओर बार-बार मोड़ा जाए क्योंकि इस समय असुरक्षित हम अकेले नहीं बल्कि अधिकांश दुनिया ऐसे ही वातावरण में जी रही है। उन लोगों के संघर्ष से भी प्रेरणा ले सकते हैं जो इस बीमारी को मात दे कर अस्पताल से अपने घरों को लौट आए इस समय बुद्धिमानी इसी बात में है की बीमारी से होने वाली घटनाओं को सुनकर हम विचलित नहीं हो।

बहरहाल अनेकों ऐसे उपाय है जिससे हम शरीर के स्वास्थ्य और मनकी खुशी के लिए प्रयास कर सकते हैं। शुद्ध शाकाहारी भोजन, योग, प्राणायाम, ध्यान और डर पर काबू करके सकारात्मकता बढ़ा सकते हैं क्योंकि कोरोना वायरस दुनिया में ना केवल लाखों लोगों की शारीरिक सेहत को बिगाड़ा है वर्णन करोड़ों लोगों को मानसिक और भावनात्मक आघात भी पहुंचाया है। इस समय यही महत्वपूर्ण है की किसी भी खराब स्थिति में हम लोग उसका सामना कैसे करते हैं कुछ लोग जहां बुरे वक्त में टूट जाते हैं वही ऐसे भी लोग हैं जो पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर बाहर निकलते है। अभी इस बात की है कि हम सब शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होकर इस बीमारी से बाहर निकले क्योंकि बीमारी की रात जब खत्म होगी तब नया सवेरा अपना होगा और फिर हम पहले की तरह अपनी जिंदगी जी सकेंगे लेकिन जो लोग टूट जायेंगे बिखर जाएंगे वे अपना नुकसान तो करेंगे ही अपने परिवार को भी कष्ट दे जाएंगे।

क्योंकि इतना तो तय है की दुनिया में हम आए हैं सुख और दुख दोनों ही हमारे जीवन में आएंगे। हम दुख तकलीफों से बच नहीं सकते इसलिए बेहतर यही होगा कि हम उस वक्त को भी अच्छे से जीना सीख जाएं इसके लिए मन का मजबूत होना बहुत जरूरी है। कहा भी गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।


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