छठ त्यौहार : कायम है पकवान व मान्यता की परंपरा

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संजय कुमार।

प्रयागराज। हर तीज-त्योहार के साथ पकवानों की भी जुगलबंदी रहती है। छठ पर मीठे पकवानों को खास तरजीह दी जाती है उसमें भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण ‘ठेकुआ’ होता है। यह एक खास तरह का पकवान है जिसे छठ मनाने वाले घरों में ही बनाते हैं। गेहूं के आटे से बनने वाले इस पकवान के लिए तैयारी दीपावली के साथ ही शुरू हो जाती है। छठ में बनी खाद्य सामग्रियों में सफाई एवं शुद्घता का खास ख्याल रखा जाता है लिहाजा गेहूं को धोने से लेकर सुखाने तक पर्याप्त सावधानी बरती जाती है। यहां तक की चिडिय़ा भी गेहूं जूठा न कर सकें इसकी भी सख्त निगरानी रहती है। इसके बाद गेहूं पीसने के बाद चीनी, मेवे आदि तमाम चीजों को मिलाकर तलने के साथ यह पकवान बनकर तैयार होता है।

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भगवान सूर्य और छठी मइया के भक्तिपूर्ण गीतों से सराबोर माहौल में ठेकुआ को नवनिर्मित चूल्हे पर आम की लकड़ी पर पकाने का सिलसिला देर रात शुरू हो गया। व्रती बाजार से ईख, मूली, केला, सूप, दौरा, दीप, कलश, पंखा, झाड़ू, सूप आदि खरीदते देखे गए। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को तथा चौथे और अन्तिम दिन पुन: उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व सोमवार को समाप्त होगा। लगभग सभी त्योहारों में ग्लैमर के प्रवेश के बावजूद छठ का पारम्परिक स्वरूप अभी तक कायम दिखता है। महिलाएं इसी दिन खास तौर से नाक से लेकर मांग तक सिन्दूर लगाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विवाहिता सदा सुहागिन बनी रहती हैं।


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