उपवास के बाद चखा खरना का प्रसाद सूर्य षष्ठी पर अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ्य

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संजय कुमार।

प्रयागराज। कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को मनाया जाने वाला चार दिवसीय छठ व्रत के दूसरे दिन खरना के अवसर पर शनिवार को बड़ी संख्या में छठ व्रतियों ने तड़के सुबह गंगा और यमुना के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगायी। स्नान करने के बाद दिन भर निर्जला उपवास रखा। तत्पश्चात व्रत रखने वालों ने देर शाम दूध और गुड़ से बने ‘खीर’ का प्रसाद (तस्मई) को ग्रहण किया। इसके बाद प्रारंभ हुआ व्रतियों के घर खरना का प्रसाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं का आने-जाने का सिलसिला। इसके साथ ही शुरू हो गया 36 घंटे का निराहार व्रत।

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इस महाव्रत को करने वाले महिला व पुरुष को काफी मान और श्रद्धा से देखा जाता है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरम्भ यह महापर्व बिहार के अलावा प्रदेश के पूर्वी हिस्से में व्यापक तौर पर मनाया जाता है लेकिन इधर बीच प्रयागराज में भी इस पर्व को मनाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पहले जहां छठ पर्व का सामान पहले इक्का-दुक्का दुकानों पर मिलता था वहीं आज नगर का कोई बाजार, गली, मोहल्ला ऐसा नहीं है जहां छठ पूजा का सब सामान न बिक रहा हो। यहां तक कि कोई मनौती पूरी होने पर छठ पर्व पर भरी जाने वाली ‘कोसियांÓ जिन्हें पहले बलिया अथवा बिहार से मंगवाना पड़ता था, आज शहर के हर गली-मोहल्ले में प्रचुरता से उपलब्ध है।

अब ये व्रती भगवान सूर्य और षष्ठी देवी की अराधना के साथ-साथ शुक्रवार की संध्या अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में व्यस्त हो गए हैं।


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