ब्लू थिएटर फेस्टिवल ‘युवा रंग अलफाज’ की शुरुवात नाटक असाध्य गीत व मोहना से

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शहर की संस्था एक्स्ट्रा एन ऑर्गेनाइजेशन (प्रयागराज) एवं कम्युनिटी थियेटर टोंक के संयुक्त तत्वावधान में सामाजिक सांस्कृतिक मुद्दो के अनकहे संवादो को प्रकाश मे लाता युवा –रंगमंच के नए प्रयोगों से लैस “ब्लू थियेटर फेस्टिवल” की शुरुवात मुट्ठीगंज, आरकन्या चौराहा, इंटिमेट थिएटर इलाहाबाद प्रेक्षागृह में दिनांक 27 फरवरी को सफल हुआ। जिसमें संस्था के अध्यक्ष अजीत बहादुर द्वारा फेस्टिवल की यात्रा को दर्शकों से साझा किया और पहली प्रस्तुति नाटक “असाध्य गीत” से की गयी।

चितरंजन नामा टोंक राजस्थान द्वारा निर्देशित नाटक इंसान का व्यक्तित्व जीवन की पड़ताल करता हैं। इंसान की अपनी विविधता भरी ज़िंदगी, इच्छा और अभिव्यक्ति की तलाश है। यह नाटक उस सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दे की बात करता है जहां इंसान के अंदर अकेले-अकेलेपन के घाव चुभते रहते हैं। सामाजिक परिवेश में यह सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दा बहुत तीव्र गति से मौत का कारण बनकर फैल रहा है। मशीन और इंसान एवं इंसान और मशीन के बीच का द्वंद्व प्रगाढ़ हो रहा है। जो सामाजिक अवसाद या पारिवारिक अवसाद या व्यक्तिगत अवसाद का निर्माण कर रहा है। समाज में हमारा कदम आगे बढ़े या पीछे, तमाम मंजिल के किनारे सूखे सख्त और कंकरिटी ज़मीन प्रकट हो उठते है और न जाने कितनी जिंदगियां उन किनारों पर झूलती हुई रहती है जहां न ज़मीन है न आसमान। नाटक में मंच पर संगीत संयोजन चितरंजन एवं गर्वित गिदवानी, प्रकाश संयोजन नीलेश तसेरा, आशीष धाप , प्रोप्स एवं सेट मोहित वैष्णव, अमन तसेरा, प्रस्तुति प्रबंधन रवि चावला रहे।

वहीं प्रस्तुति के मध्य भाग में अलायड इवैंट अदम गोंडवी द्वारा रचित “सौ में सत्तर आदमी” की प्रस्तुति टोंक राजस्थान के रंगकर्मी मोहित वैष्णव द्वारा की गयी। अदम गोंडवी द्वारा रचित यह कविता देश के सामाजिक, राजनैतिक मुद्दों, देश की ज्वलंत समस्याओं पर प्रहार करती हैं।

अमित कुमार द्वारा निर्देशित नाटक “मोहना” जो उदय प्रकाश की लिखी कहानी मोहनदास पर आधारित है। एक ऐसा युवक जो पढ़ा लिखा है, मेहनती है फिर भी बेरोजगार है, मेरिट में पहले नंबर पर आता है लेकिन नौकरी में नहीं लिया जाता। काफ़ी मशक्कत के बाद उसकी नियुक्ति कोलियरी में डिपो मैनेजर के पद पर होता है और सत्यापन के नाम पर उसकी सभी वास्तविक प्रमाण पत्र वहीं जमा करवा दिये जाते है, उसके बाद मोहनदास को ना तो वह नौकरी मिलती है, और ना ही उसके प्रमाण पत्र। चार साल बाद उसको पता चालता है कि उसी के नाम, पते पर एक दूसरा व्यक्ति उसी पोस्ट पर नौकरी कर रहा है। मोहनदास अपने अधिकारियों से लड़ता है और सिस्टम के चक्रव्यूह में चारों तरफ से घिर जाता है। नाटक में मंच पर संगीत संयोजन हरमेन्द्र सरताज, सचिन भारतिया एवं रवि कुमार पाठक, प्रकाश संयोजन अमित कुमार, गंगेश्वर तिवारी प्रोप्स फिरोज़ आलम, दीपक वृक्ष, सेट अमित कुमार, शिवम सिंह राजपूत, वेषभूषा संजना शुक्ला एवं गंगेश्वर तिवारी आदि अभिनय की भूमिका में भी रहे।

टोंक राजस्थान के रंगकर्मी – रवि चावला, मोहित वैष्णव, अमन तसेरा, चितरंजन नामा, आशीष धाप, आफताब नूर, गर्वित गिदवानी, आशीष चावला, नीलेश तसेरा

प्रयागराज के रंगकर्मी – दीपक कुमार, रवि कुमार पाठक, फिरोज आलम, गंगेश्वर तिवारी, संजना शुक्ला, शिवम सिंह राजपूत, अमित कुमार, सचिन कुमार भरतिया, हरर्मेन्द्र सरताज, अजीत बहादुर


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