प्रयागराज में दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन मामला न्याय द्वारा अगली तारीख 28 सितंबर 22 रखी गई है

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मनीष कपूर।

माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मूर्ती विसर्जन के संदर्भ में पूर्व में पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतू बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डाo पी के राय एवम समाजसेवी श्री योगेन्द्र कुमार पांडे द्वारा जनहित याचिका संख्या 1774/ 2022 पर अधिवक्ता श्री विजय चंद्र श्रीवास्तव एवम सुनीता शर्मा एडवोकेट ने माननीय न्यायमूर्ति प्रितांकर दिवाकर एवम माननीय न्यायमूर्ति जे जे मुनीर के समक्ष बहस हुई। जिसमे माननीय अदालत ने शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे जिलाप्रशासन से जानकारी लेकर एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को अवगत कराएं । मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर 22 नियत की गई है।

डाo पी के राय ने बताया कि मूर्ति विसर्जन पहले सरस्वती घाट में हुआ करता लेकिन वर्ष 2014 गंगा और यमुना में प्रदूषण ना हो तत्कालिन मुख्य न्यायमूर्ति डाo डी वाई चंद्रचूड़ जी के बेंच ने प्रदेश के 26 जिलों में जँहा गंगा बहती और प्रमुख रूप से प्रयागराज में गंगा के किनारे कृत्रिम तलाव बनाकर तथा केंद्रीय प्रदूषण के मानकों के अनुसार मां दुर्गा के मूर्तियों का विसर्जन करने का आदेश दिया था तथा वर्ष 2015 डाo पी के राय के जनहित याचिका पर बांध के नीचे काली सड़क पर गंगा के किनारे कृत्रिम तलाव बनाकर मूर्तियों का विसर्जन कराए जाय, माननीय न्यायालय के आदेश के अंतर्गत 2018 तक मूर्तियों का विसर्जन गंगा के किनारे कृत्रिम तलाव में कराया गया और फिर इस आदेश का उलंघन करते हुए मूर्तियों का विसर्जन अनधवा गंदे तालाब में कराया गया जिसे लेकर के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री भानू चंद्र गोस्वामी एवम वर्तमान डीएम श्री संजय के खिलाफ अवमानना याचिका माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है।

डाo राय ने बताया कि पूर्व में पारित आदेश के अनुपालन कराए जाने के लिए वर्ष 2020 में एक जनहित याचिका दाखिल किया था जिस पर माननीय न्यायमूर्ति एम एन भंडारी के बेंच ने आदेश पारित किया था। मां नवरात्र के प्रथम दिन बेटी के रूप में आती है और विसर्जन के बाद शांति जल एकत्र करने पर दुर्गा पूजा समारोह संपन्न होता है।


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