जन आकांक्षाओं को मूर्त रुप देना विधानसभा का मुख्य दायित्व : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

राज्यपाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि राज्य का गठन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर हुआ और आज सम्पूर्ण राष्ट्र उनके गौरव गाथा के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित कर रहा है। हाल ही में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ‘’जनजातीय गौरव दिवस’’ के रूप में मनाने हेतु निर्णय लिया गया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आदरणीय प्रधानमंत्री के इस दूरदर्शी निर्णय हेतु मैं आभार प्रकट करता हूँ।

झारखंड विधानसभा, रांची, 22 नवम्बर झारखंड विधान सभा के 21वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर राज्यपाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सर्वप्रथम, झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें। पहली बार लोकतंत्र के इस मंदिर में आकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत झारखंड राज्य का गठन भारत के 28वें राज्य के रूप में हुआ। मैं इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ जिन्होंने जन-आकांक्षाओं की भावनाओं के अनुरूप हमें झारखण्ड राज्य दिया।

उन्होने ने कहा कि आजकल विधान सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होने के कारण जनता अपने प्रतिनिधियों का सदन में आचरण एवं कार्यवाही में भागीदारी का आकलन करती है और उनके प्रति अपनी एक राय बनाती है। इसलिए आपलोगों को सदन में अपने आचरण और व्यवहार पर भी ध्यान देना होगा। राज्य की सर्वोच्च पंचायत व प्रातिनिधि संस्था होने के नाते विधान सभा का लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप प्रदान करना एक महत्वपूर्ण दायित्व है।
जनता अपने प्रतिनिधि का चयन बहुत अपेक्षा, आशा और विश्वास के साथ करती है और विधायकगण उनकी समस्याओं के निराकरण तथा क्षेत्र के विकास के लिए जिम्मेदार हैं।

जनता आज हमारे कार्यों को गंभीरतापूर्वक अवलोकन और समीक्षा करती है। हर व्यक्ति अपने प्रतिनिधियों से अपेक्षा करता है कि जनता के लिए कौन-सी कल्याणकारी योजनायें उनके क्षेत्र में संचालित हो रही हैं और वे किस हद तक उनके लिए लाभकारी हैं। माननीय विधायकों को भी इस मामले में सचेष्ट और सतर्क रहना होगा। विधायक के रूप में आप सबका यह कर्तव्य है कि आप कार्यपालिका के कार्य-निष्पादन की निगरानी करें और लोगों की समस्याओं के प्रति सजग, सचेत तथा जवाबदेह रहें।

विधायकों का यह भी दायित्व है कि वे नये कानूनों की योजना बनायें, उनका अध्ययन करें, उस पर चर्चा करें और फिर नये कानूनों के अधिनियम का अपने महत्वपूर्ण सुझाव देकर रचनात्मक समर्थन या विरोध करे। सदन के समक्ष जब भी कोई अधिनियम पारित करने हेतु लाया जाय तो आप लोग उसके प्रारूप को गंभीरतापूर्वक देखें एवं उस पर मन्थन करें, उसके लागू होने से जनता पर पड़ने वाले प्रभाव का चिन्तन करें तथा वे जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर और उसमें सुझाव देकर जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का बेहतर तरीके से निर्वहन करें।
आपका यह भी कर्तव्य है कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में जनता की चिंताओं और अपेक्षाओं का सदन में प्रतिनिधित्व करना, उनकी समस्याओं को सदन में रखकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समाधान माँगना। विधान सभा की कार्यवाही से आम जनता को काफी अपेक्षायें रहती हैं। हमें सोचने की जरूरत है कि हम उन अपेक्षाओं को पूरा करने में किस हद तक सफल होते हैं? इसलिए आज का दिवस एक तरफ विधान सभा की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करने के साथ ही दूसरी ओर उन कमियों, नीतियों और कार्य पद्धतियों पर मंथन एवं चिन्तन करने का भी अवसर है जिससे कि कैसे हम और भी बेहतर ढ़ंग से काम करें और जनहित की आवश्यकताओं और उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर और संवेदनशील रहें ताकि उसके अनुरूप सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ बनाई जा सकें। सदन में वाद-विवाद हो, उच्च स्तर का हो, उसमें गंभीरता हो और सुचारु रूप से हो, इसका भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। जनता न केवल अपने क्षेत्र के विधायक द्वारा किये गये प्रश्न को गंभीरतापूर्वक सुनती है, बल्कि सरकार का उस पर क्या विचार है, ये भी जानने को जिज्ञासु रहती है। इसे सदैव ध्यान में रखने की जरूरत है। इसलिए सदस्यों को बेहतर तरीके से प्रश्न करना चाहिये ताकि सरकार से उचित जबाब मिले। संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही में बहुत परिवर्तन आ गया है। सदन की कार्यवाही में रुकावट और व्यवधान डालना एक क्रम सा बन गया है। छोटी-छोटी बातों या विषयों पर सदन स्थगित करने की मांग करना या सदन को नहीं चलाने देना एक परम्परा सी बन गई है। देखा जाता है कि सांसद और विधायक अपने मुद्दे को अधिकृत तरिके से या स्थापित प्रणाली व नियम के तहत उठाने के बजाय सदन के बीच आकर पीठासीन अधिकारी के सामने चिल्ला-चिल्लाकर कार्यवाही में व्यवधान पैदाकर अपनी बात रखना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होने का एक कारण भी है। हमें लगता है कि ऐसा करने से हमारी तस्वीर टी.वी. पर आयेगी और जनता उसकी सराहना करेगी एवं उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

दूसरी बात मैंने यह पाया कि आजकल समाचार पत्रों/अखबारों में भी ऐसे ही सांसदों और विधायकों की तस्वीर प्रथम पृष्ठ पर होती है। संसद या विधायक लोकतंत्र में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली और एक विधायी संस्था है जो नागरिकों की सामूहिक इच्छाओं को दर्शाकर कानून बनाती है। यह सदन प्रजातन्त्र का सर्वोच्च मंदिर है। हमें इसकी गरिमा का सदैव ध्यान रखना चाहिये और इसकी मर्यादा को हमारे किसी आचरण से ठेस न पहुँचे, इसका भी ख्याल रखना होगा। विपक्ष का दायित्व है कि वह प्रभावी रूप से जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखें, सरकार का ध्यान आकृष्ट करायें और अपनी रचनात्मक भूमिका निभायें।

राज्यपाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि झारखण्ड विधान सभा ने राज्यहित में कई महत्वपूर्ण कार्य किये तथा जनहित की समस्याओं के निदान एवं राज्य के विकास की दिशा में कई सफलताएँ भी अर्जित की है। मुझे यह जानकर प्रस्न्नता हुई कि माननीय विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधान सभा की समिति व्यवस्था को और भी अधिक प्रासंगिक बनाने का कार्य किया जा रहा है। समितियाँ राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की योजनाओं, कार्यकलापों पर निगरानी रखने का कार्य करती है, वे सरकार की कमियों को अपने प्रतिवेदनों द्वारा उजागर करती है और उनमें संशोधन की अनुशंसा करती है।

मैं जब लोक सभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता समिति का चेयरमैन था, हमारी समिति ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक, ट्रांसजेंडर विधेयक, द राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज (दिवयांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक अधिनियम) जैसे अनेक महत्वपूर्ण विधेयकों को गौर से अध्ययन करके हितधारकों से देश भर में जाकर और मिलकर उनकी समस्याएँ सुनी और सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये जिनकी सरकार ने सिर्फ सराहना ही नहीं की बल्कि स्वीकार भी किया तथा सदन में संशोधित विधेयक लाकर पारित कराया गया। झारखंड विधानसभा को हाल में प्रथम झारखंड छात्र संसद के सफलतापूर्वक आयोजन हेतु भी बधाई देता हूँ। मुझे खुशी है कि झारखंड विधानसभा लेस पेपर की पड़ाव को पार कर पेपरलेस होने को तैयार है और सचिवालय ऑनलाइन प्रश्नोत्तर प्रणाली की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।

यह प्रसन्नता का विषय है कि झारखण्ड विधानसभा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष एक विधायक को उत्कृष्ट विधायक से सम्मानित करती है। मैं इस वर्ष उत्कृष्ट विधायक का सम्मान ग्रहण करने वाले श्री रामचन्द्र चंद्रवंशी जी को हार्दिक बधाई देता हूँ। उत्कृष्ट विधायक के रूप में सम्मानित होने पर उनसे जनता को अपेक्षायें तो बढ़ ही जाती हैं, साथ ही साथ सदन में उनका दायित्व एवं ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाता है।

मैं पुरस्कार ग्रहण करनेवाले विधानसभा के पदाधिकारियों एवं कर्मियों को भी बधाई देता हूँ और अपेक्षा करता हूँ कि वे इसी निष्ठा के साथ कार्य करते रहें ताकि और लोग भी उनसे प्रेरित हों | झारखण्ड विधान सभा का नाम देश की आदर्श विधान सभाओं में हो, इसके लिए प्रत्येक सदस्य को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी, एक बेंचमार्क सेट करना होगा।


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