ऋषि और कृषि संस्कृति का मिलन ही सीता राम का मिलन है – डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा

Share:

बेनीमाधव सिंह।

श्री राम का प्राकट्य यज्ञ से हुआ जो ऋषि संस्कृति का प्रतीकहै ।सीता जी का प्राकट्य जनक जी के हल चलाने से हुई जो कृषि संस्कृति का प्रतीक है। पहले देश ऋषि प्रधान था बाद में कृषि प्रधान हुआ अब कुर्सीप्रधानहो गयाहै ।उक्त बाते सकलदीपा पाटन नवाहन परायण यज्ञ मे काशी से पधारे डॉ मदन मोहन मिश्र ने व्यक्त किया। आप ने आगे कहा कि जीव रूपी जनक साधना रूपी खेती में अनुष्ठान रूपी हल चलाता है कामना रूपी बीज बोता है तभी शक्ति रूपी सीता की प्राप्ति होती है ।ट्रैक्टर और एग्रीकल्चर के साथ कल्चर और करैक्टर का भी विकास होगा तभी राष्ट्र का पूर्ण उत्थान माना जाएगा ।गोरखपुर से पधारे हुए राष्ट्रीय संत तथा कथाकार पंडित हेमंत तिवारी ने कहा कि जब तक नारी जाति का पूर्ण विकास नहीं होगा तब तक सच्ची शांति नहीं मिलेगी । भगवान श्री राम ने सीता को प्राप्त करने के पहले अहिल्या का उद्धार करके यह सिद्ध कर दिया कि सत्ताधीश अपनी सुविधाओं के पहले प्रजा की सुविधाओं को प्रदान करें। किसी भी जड़मति पत्थर पर जब भगवान के चरण की रज पडती है उसका ज्ञान चक्षु खुल जाता है ।पति के रूप में इन्द्र को न पहचान पाने वाली भगवान की चरण राज की कृपा प्राप्त होते ही अहिल्या ने रावण वध तक की लीला का ज्ञान प्राप्त कर लिया ।गौतम अपने को इस लिए धन्य मानते हैं कि पत्नी के माध्यम से भगवान का चरण प्राप्त कर लिया ।ईश्वर पांडे ने राम नाम की महिमा का वर्णन किया।


Share: