इविवि में शोध में दाखिले के लिए मारामारी
संजय कुमार।
एक ओर उच्च शिक्षा के प्रति छात्रों का आकर्षण कम हुआ है वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षण संस्थान में शोध (पीएचडी) करने के इच्छुक छात्रों के लिए सीटें उपलब्ध नहीं दिख रहीं। जी हां, यूं तो शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) राष्टï्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) आयोजित करता है और इसमें सफल हाई मेरिट वालों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) दी जाती है लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऐसे अभ्यर्थियों का शोध में प्रवेश मुश्किल दिख रहा है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं इसके संघटक कॉलेजों में पीचएडी में दाखिला लेने के लिए नेट व जेआरएफ अर्ह अभ्यर्थियों की भरमार है। शैक्षिक सत्र 2020-21 में इविवि एवं इसके संघटक कॉलेजों में कुल 625 सीटें उपलब्ध हैं जबकि शोध में दाखिले के लिए 7200 छात्रों ने आवेदन किया और पंजीकृत 6092 छात्र-छात्राओं में से 3836 (62.97 प्रतिशत) संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट-2020) में शामिल हुए। शोध के लिए उपलब्ध सीटों के सापेक्ष लगभग 1200 जेआरएफ अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है जो सीधे लेबल टू यानी साक्षात्कार में शामिल होंगे।
इविवि व इसके संघटक कॉलेजों में विभिन्न विषयों में शोध के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या से लगभग दोगुने अकेले जेआरएफ अभ्यर्थी हैं। जाहिर है ऐसे में सभी जेआरएफ के अभ्यर्थियों को शोध में प्रवेश नहीं मिल सकेगा। क्रेट में शामिल नेट व अन्य अभ्यर्थियों को दाखिला मिल पाना तो और भी मुश्किल होगा। विदित हो कि शोध के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या के सापेक्ष नौ गुना छात्रों ने क्रेट लेबल-वन यानी लिखित परीक्षा दी है।
इस बाबत इविवि की पीआरओ डॉ. जया कपूर ने कहा कि क्रेट लेबल-वन और लेबल टू यानी साक्षात्कार के बाद तैयार होने वाली मेरिट में जो छात्र आएंगे उन्हीं को पीएचडी में दाखिला मिलेगा। यह संभव नहीं है कि सभी जेआरएफ या नेट अर्ह अभ्यर्थियों को प्रवेश मिल सके। तय सीटों के सापेक्ष प्रवेश मेरिट के आधार पर लिया जाएगा।