चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को लेकर बदल रहा ट्रेंड, अब बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी

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डा अजय ओझा।

आज चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस पर विशेष

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स यानी सीए आज टाइपराइटर व टेलीप्रिंटर से होते हुए आज डिजिटल तकनीक में प्रवेश कर चुका है। काम करने की तकनीक पूरी तरह से बदल चुकी है। आज का सीए पेपरलेस की तरफ आगे बढ़ रहा है। कम्प्यूटर में इस तरह के टूल्स इस्तेमाल होने लगे हैं जिसके जरिए ऑडिट आसान हो गया है। सरकारी महकमों के कई काम मसलन आयकर, जीएसटी, फाइनेंसिग या फिर कोई नया प्रोजेक्ट इनकी सलाह से बेहतर होते है। यकीनन इसने समाज में इन्हें सम्मान और पहचान दिलाई है। सीए को लेकर क्रेज भी पहले की तुलना में कई गुणा बढ़ गया है। खास बात यह है कि पहले की तुलना में महिलाएं इस पेशे में अधिक आने लगी है। ऐसा जागरुकता के चलते हुआ है।

हर साल एक जुलाई को मना रहे दिवस
हर साल एक जुलाई को नेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, आईसीएआई 1 जुलाई, 1949 को संसद के एक कानून से अस्तित्व में आया था। देश में कुछ ही पुराने पेशेवर संस्थान हैं, जिसमें आईसीएआई का नाम भी शामिल है। सीए कोर्स का आयोजन आईसीएआई द्वारा किया जाता है। वहीं सीए को लाइसेंस भी आईसीएआई संस्थान देता है। चूंकि इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की स्थापना 1 जुलाई को हुई थी इसलिए हर साल एक जुलाई को सीए दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वित्तीय स्थिति को सही राह दिखा रहे
चार्टर्ड अकाउंटेंट का काम किसी भी देश की वित्तीय स्थिति को सही दिशा दिखाना है। सरकार और करदाता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी सीए है। सरकार की मंशा करदाता तक पहुंचाने से लेकर करदाता की सहूलियत का भी ध्यान रखते हैं। नियमों की पेचीदगियों के बीच करदाता का काम आसान करना इन्हें खूब आता है।

महिलाओं का झुकाव बढ़ रहा
अब जमाना टेक्नोलॉजी का है। अधिकांश ऑफिस पेपरलेस हो चुके है। एक जमाना वह भी था जब टाइपराइटर एवं टेलिप्रिंटर के जरिए काम किया जाता था लेकिन अब तकनीकी तेजी से आगे बढ़ रही है। कम्प्यूटर में कई तरह के ऐसे टूल्स आ गए हैं जिनके जरिए काम काफी आसान हो गया है। जीएसटी, आयकर समेत कई काम जो पहले विभिन्न विभागों के जरिए होते थे वे काम अब क्लाइन्ट को खुद ही करने होते हैं। ऐसे में सीए का काम बढ़ा है। कई व्यापारी खुद के बूते सभी काम नहीं कर पाते हैं। कई काम ऐसे हैं जिनमें तकनीक की अधिक जरूरत रहती है। जीएसटी का पचास फीसदी तक काम सीए के माध्यम से ही हो रहा है। विशेष बात यह है कि सीए के प्रति क्रेज पहले की तुलना मे अब बहुत अधिक बढ़ गया है। आज से दो दशक पहले महिलाएं केवल दस फीसदी इस क्षेत्र में आती थी लेकिन अभी यह ट्रेंड बदल चुका है और महिलाएं एवं पुरुष करीब-करीब बराबर इस क्षेत्र में कदम रखने लगे हैं। जैसे-जैसे जागरुकता बढ़ रही है वैसे वैसे महिलाओं का झुकाव भी सीए की तरफ बढ़ रहा है।


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