सीधे रास्ते की यह टेढ़ी ही चाल है

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देवदत्त दुबे

पूरी दुनिया पर जिस तरह से कोरोनावायरस कहर ढाया है, उससे केवल बचाव का एकमात्र रास्ता घर के अंदर रहना है। लेकिन मंगलवार को जिस तरह से मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भीड़ एकत्रित हुई यह सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल जिससे बचना चाहिए अन्यथा देश में हालात कितनी भयावह हो जाएंगे इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

रअसल इस समय संकट के बेहद गंभीर दौर से देश गुजर रहा है, कोरोना महामारी पैर पसार ती जा रही है जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया, क्योंकि दुनिया के समृद्ध विकासशील देश इस बीमारी के आगे लड़खड़ा गए इस बीमारी का अब तक कोई रामबाण इलाज भी नहीं मिला। भारत देश की समृद्ध विरासत है जब भी किसी चुनौती का सामना करना होता है तो भारत वासियों की अंतर्निहित शक्ति उभर कर सामने आती है। कई लोगों को याद होगा या पढ़ा होगा की साठ के दशक में जब देश में खाद्यान्न का संकट गहराया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों से हर दिन एक वक्त का भोजन छोड़ देने की अपील की थी और देश ने उनका पूरा साथ दिया था। ऐसे ही साथ की जरूरत इस समय है और इस समय केवल नए सिरे से संकल्प लेने का है कि हम घर के अंदर रहेंगे कुछ लोग इस समय तरह-तरह के प्रश्न भी खड़े कर रहे हैं। अधिकार और कर्तव्य की व्याख्या की जा रही है लेकिन कर्तव्य के साथ-साथ दायित्व का स्थान भी संविधान में विशेष तौर पर है। हम अपने कर्तव्य को कैसे पूरा कर सकते हैं इसको आज समझने की जरूरत है। कोरोनावायरस के खिलाफ सामूहिक इच्छा शक्ति और प्रत्येक व्यक्ति के कर्तव्य पालन से देश यह जंग जीत सकता है और देश दुनिया में अपना परचम लहरा सकता है। आज जरूरत इस बात की है कि प्रत्येक भारतीय स्वयं से केवल यह नहीं पूछें की देश ने आपको क्या दिया है बल्कि यह भी सोचे आप देश को इस समय क्या दे सकते हैं। देश में अभी तक लगभग 200000 से अधिक लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है लेकिन अभी भी लाखों और लोगों का परीक्षण किया जाना है। जरूरत की पूर्ति के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इस समय जरूरत लॉक डाउन के प्रति और अधिक सतर्क और सावधान होने की है क्योंकि लॉक डाउन के अमल में जिन देशों ने लापरवाही बरती है इसका भारी खामियाजा भुगत रहे।

कुल मिलाकर लॉक डाउन का समय बढ़ाया जाना देश की जरूरत है, हमारे और परिवार की जरूरत है, इसलिए सभी को धैर्य रखने की जरूरत है। धैर्य कठिन परिस्थिति में व्यक्ति की सहनशीलता की अवस्था माना जाता है। धैर्य रखने से क्रोध और खीज जैसे नकारात्मक भाव नहीं आते है। लंबे समय तक समस्याओं से घिरे होने के कारण व्यक्ति दबाव या की तनाव महसूस करने लगता है इसे सहन करना ही धैर्य का सबसे अच्छा स्वरूप है। हम सभी धैर्य के लाभ से परिचित हैं फिर भी अमल नहीं कर पाते जैसा कि मुंबई में मंगलवार को कुछ लोगों ने किया। भगवान ना करे इससे संक्रमण व्यापक रूप ले, लेकिन बाकी देशवासियों को इससे सबक लेना है और ऐसी घटना देश में कहीं और नहीं घटित होने देना है। हो सकता है इस समय धैर्य विष के समान लगे बेचैनी पैदा करें, लेकिन धैर्य का फल अमृत की तरह होगा शांति और सुकून देगा। आगे के जीवन में याद रखना जब भी घर से पैर बाहर निकालो, यह जरूर सोच लेना ऐसा कौन सा काम है जो जिंदगी से भी ज्यादा जरूरी है। महामारी से निपटने का सीधा और सरल रास्ता घर के अंदर रहना है इसलिए हमें घर के बाहर निकल कर कोई टेढ़ी चाल नहीं चलना है और यह भी याद रखना है देश हमें देता है सब, कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे।


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