कोरोना से अर्थव्यवस्था पर गहराता संकट

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आकाश सिंह

कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए देश में हुए तीन सप्ताह के लॉकडाउन का पहला चरण पूरा हो चुका है, लेकिन स्थिति सामान्य ना होने के कारण आज से लॉकडाउन का उन्नीस दिनों का दूसरा चरण शुरू हो रहा है।

बीते तीन सप्ताह में लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है , विश्व बैंक ने भी कोरोना संकट के कारण देश की आर्थिक वृद्धि दर को इस वित्तीय वर्ष में 1.5 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है , गौरतलब है कि ऐसा हुआ तो देश का आर्थिक विकास दर 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर होगा वहीं राष्ट्रीय सैंपल सर्वे और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वेज के मुताबिक करीब 14 करोड़ गैर कृषि रोजगारों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है इनमें स्थायी कर्मचारी ही नहीं, दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं वहीं देश के महानगरों में असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों, फुटकर विक्रेताओं, ऑनलाइन डिलीवरी में कार्यरत कर्मचारियों, सब्जी और फल विक्रेताओं के लिए भी हालत बुरे बने हुए हैं, देशभर में कंपनियों में कार्यरत कर्मचारिकों, सिक्टोरिटी स्टाफ, माली, चपरासी, गार्ड आदि जैसी नौकरियों पर भी छंटनी का खतरा मंडरा रहा है, जिससे देश में आने वाले समय में बेरोजगारी संकट का गहराना लगभग तय है ।

दूसरी ओर हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी भागीदारी रखने वाले पोल्ट्री फार्मिंग, मत्स्य पालन , चमड़ा उद्योग, हस्त शिल्प, रेशम, खाद्य उत्पादन ,मधुमक्खी पालन, औषधि खेती व दुग्ध उत्पादन जैसे अन्य बहुत से छोटे उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। व्यापारियों के शीर्ष संगठन कैट का अनुमान है की कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये हुए देशव्यापी बंद से खुदरा कारोबार में 30 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है, चूकिं भारत में छोटे उद्योग अधिकांशतः मध्यमवर्गीय लोग करते है, अधिकांश मध्यमवर्गीय उद्यमी अपना लघु उद्योग शुरू करने के लिए बैंकों से लोन भी लिए रहते हैं, ऐसे में इन उद्योगों पर कोरोना की मार सबसे ज्यादा पड़ रही हैं उपर से छोटे उद्यमियों को इनके रखरखाव का खर्च भी झेलना रहा है, जबकि इनके उत्पाद की बिक्री न के बराबर है ,छोटे उद्यमी बैंको को लोन की किश्त तक देने में समर्थ नहीं है, बहुत सारे उद्यमी तो घाटा सहकर अपने उद्योगो को खत्म कर भी कर रहे हैं, लेकिन बैंक से लिये गए लोन को वह कैसे खत्म कर पायेंगे, यह समस्या सबसे बड़ी व विकट है , लॉकडाउन जारी रहे अथवा हट जाए दोनो स्थिति में इन्हें नुकसान होगा, ऐसे में सरकार को ज्यादा नही तो कम से कम छः महीने की लोन किश्त की भरपाई स्वंय करें, अन्यथा छोटे उद्यमी लॉकडाउन खत्म होने के बाद नीलामी के कगार पर आ जाएगा , इस स्थिति से बचने के लिए सरकार इन उद्योगों से जुड़े उत्पादों में जिस भी उत्पाद की बिक्री संभव हो उसके लिए नीति बनाकर व्यवस्था करे, साथ ही छोटे उद्योगों व असंगठित क्षेत्र से जुड़े हुए श्रमिकों के मदद लिए भी कुछ विशेष पैकेज जारी करे, इसके अतिरिक्त अभी से लॉकडाउन खत्म होने के बाद उत्पन्न होने वाले बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के संकट का सामना करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करे।

लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय मीडिया स्टडीज डिपार्टमेंट के छात्र हैं।


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