लोक डाउन के समय में “शुरुआत” से ही गरीब परिवार और उनके बच्चों को मिल पाया है अन्न
३१ मार्च, प्रयागराज।प्रयागराज में ‘शुरूआत’ एक ज्योति शिक्षा संसथान है जो बचपन को तराश कर कोहिनूर बनाने का कठिन कार्य कर रही हैं जो बचपन भिक्षावृति की अंधेरी खान का कोयला बनकर रह गए हैं, ‘शुरूआत’ के सदस्य भिक्षावृति में लिप्त नादान बचपन के जीवन में शिक्षा की ज्योति जला रहें हैं। फुटपाथ पर गुजर बसर करने वाले परिवार जो अपने छोटे छोटे बच्चो को भिक्षावृति में धकेल देते हैं उन परिजनों को समझा कर उनके बच्चो को मुफ्त शिक्षा देने का कार्य करते हैं। ‘शुरुआत’ संस्था के सदस्य जो कि बहुत आसान कार्य नहीं हैं,कभी कभी उन बच्चो के परिजनों के विरोध का भी शिकार होते हैं। ‘शुरुआत’ के सदस्य ने ठाना हैं चाहें जो कठिनाई हो वो हार नहीं मानेंगे, अपितु समाज से भिक्षावृति को जड़ मूल उखाड़ देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
‘शुरुआत’ के सभी सदस्य , भिक्षावृति को समाप्त करने जैसे कार्य में जहाँ हमारे देश की सरकारें भी सफल नहीं हो पा रहीं हैं वही अभिषेक शुक्ला जी ने शुरूआत एक ज्योति शिक्षा की संस्था की नींव तीन वर्ष पूर्व रख कर, भिक्षावृति की जड़ पर कडा प्रहार किया जिसके फलस्वरूप आज भिक्षावृति में लिप्त कई मासूम स्कूल जाने लगे हैं। इतना ही नही अब ये बच्चे-बच्चियां राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताओ में भी भाग ले रहे हैं। ‘शुरुआत’ का भिक्षावृति को जड़ से उखाडने का प्रयास जारी हैं। शुरुआत के सभी सदस्य वह महिला हो या पुरुष सभी कंधे से कंधा मिलाकर कर ‘शुरुआत’ के सपने को पूरा करने में लगे हैं।
जिन बच्चो को ‘शुरुआत’ के सदस्य शिक्षा दे रहें हैं, आज कोरोना के आपातकाल में उन बच्चो के परिवारों के समक्ष भी भोजन की समस्या खड़ी हैं, ऐसे में भी ,शुरुआत’ परिवार पीछे नहीं रहा बल्कि एक और कदम उन परिवारों की सहायता के लिए उठाया और इन परिवारों का लिए अन्न की व्यवस्था करने में लग गया हैं। ‘शुरुआत’ परिवार जो अति सराहनीय हैं क्योकि अगर आज इन परिवारो को भोजन नहीं मिला तो जो बचपन भिक्षावृति के अंधकार से बाहर आकर जगमगा उठा हैं वह फिर से भिक्षावृति को मजबूर हो सकता हैं, लेकिन शुरूआत ने ऐसा नहीं होने देने के लिए कमर कस ली हैं और तैयार हैं इन परिवारो का हर संभव सहयोग के लिए, लाॅकडाउन के दौरान इनमें से कुछ परिवारो को शुरुआत ने खाद्य सामग्री पहुँचाने की शुरुआत कर दी हैं और आगे की भी इनका सहयोग किया जा सके उसकी रणनीति पर कार्य कर रहें हैं।