सैैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सम्बोधन का सजीव प्रसारण कार्यक्रम का आयोजन किया गया

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सैैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को पुनर्जीवित कर प्रदेश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाये जाने के दृष्टिगत माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सम्बोधन का सजीव प्रसारण कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के बायोटेक ऑडिटोरियम में दिनांक 16 दिसम्बर 2021 को कराया गया । कार्यक्रम में जनपद प्रयागराज के लगभग 200 कृषकों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सहभागिता की । कार्यक्रम का शुभारम्भ निदेशक प्रसार प्रो॰ (डा॰) ए. ए. ब्रॉडवे द्वारा किया गया । इस अवसर पर उन्होंने कृषकांे को गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने हेतु उत्प्रेरित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा भूमि की उर्वरता एवं शुद्धता शाश्वत रूप से विद्यमान रहती है । कार्यक्रम में उपस्थित संयुक्त निदेशक प्रसार प्रो0 (डा0) आलोक एम लाल ने गोमूत्र एवं गोबर के द्वारा विभिन्न प्रकार के खेती के आयामों का विवरण दिया । माननीय प्रधानमंत्री महोदय के सजीव प्रसारण के दौरान उपस्थित केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कृषकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि तकनीकी रूप से इस कार्यक्रम में लगभग 8 करोड़ किसान देशभर से जुड़े हैं जो कि प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए तत्पर हैं । कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल महामहिम श्री आचार्य देवव्रत ने कृषकों को प्राकृतिक खेती के अपनाने के क्षेत्र में अपने संस्मरणों को साझा करते हुए बताया कि देशी गाय के गोमूत्र एवं गोबर के प्रयोग से विभिन्न प्रकार के जीवामृत एवं बीजामृत के प्रयोगों द्वारा न सिर्फ मैंने अपने बंजर खेतों को अति उत्पादक बनाया अपितु खेत उर्वरता को संरक्षित करने हेतु केवल गौ आधारित जैविक निवेशों का ही प्रयोग किया । उन्होंने बताया कि मेरे खेतांे में लगभग 33 कुन्टल प्रति एकड़ की दर से धान का उत्पादन हुआ है जबकि रासायनिक पद्धति द्वारा अन्य खेतों में मात्र 24 कुन्टल प्रति एकड़ धान ही उत्पादित हुआ है । एक एकड़ में मेरा खर्च मात्र 1000 रूपये है जबकि रासायनिक पद्धति द्वारा यह खर्च बढ़कर 14000-15000 तक होते हैं । तत्पश्चात् कार्यक्रम में जीवामृत एवं बीजामृत के निर्माण के वीडियो का प्रदर्शन कृषकों के समक्ष किया गया ।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि प्राकृतिक खेती, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन तथा कार्बनिक पदार्थों का उपयोग द्वारा कृषकों को समृद्ध बनाने में एक महती भूमिका निभा सकता है । विगत 6-7 वर्षों में भारत सरकार द्वारा मिट्टी का परीक्षण, उन्नतशील बीजों का विकास, पी.एम. किसान निधि एवं लागत का डेढ़ गुना एम.एस.पी. तय करने से जैसे कार्यों द्वारा कृषक समृद्धता की दिशा में विशेष प्रयास किये गये हैं । प्राकृतिक खेती का मुख्य लक्ष्य कम लागत – अधिक मुनाफा है । प्राकृतिक खेती का सबसे अधिक लाभ हमारे देश के 80 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त किसानों को होगा क्योंकि गोमूत्र एवं गोबर के प्रयोग द्वारा लागत में अत्यन्त कमी भी परिलक्षित होगी क्योंकि प्राकृतिक खेती द्वारा न सिर्फ रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का खर्च बचता है बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होती है । इस कार्यक्रम में प्रसार निदेशालय के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।


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