ऊब और भय को भगाओ

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देवदत्त दुबे

जिस तरह से विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन चल रहा है, उससे कुछ लोगों में ऊब और भय अपना ठिकाना ढूंढने लगे हैं। यह स्थाई निवास बनाएं इससे पहले इनको भगाने की जरूरत है ,क्योंकि ना यह महामारी स्थाई है और ना ही लॉक डाउन ऐसे में हमें व्यस्तता और उत्साह बनाए रखना है।

दरअसल जिस तरह की भागदौड़ भरी प्रतिस्पर्धा के जीवन में हम जी रहे है उसमें जो लोग अपने आप को पिछड़ता समझते थे उनमें निराशा पनपने लगती थी और जिसके कारण वे उत्साह से ना काम कर पाते थे और ना ही व्यस्त रहने की उपाय खोज पाते थे। आराम से वक्त काटने के कारण उन्हें बोरियत होने लगती थी बोर होना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक साथ दिमाग में जब कई प्रकार के विचार चलते हैं तब वे दिमाग को जाम करने लगते हैं और ऐसे में किसी काम मे रुचि का अभाव देखा जाता है वैसे तो हमारा दिमाग समस्याओं के हल ढूंढने की क्षमता विकसित करता है। लेकिन कई बार अति उत्तेजित होने पर दिमाग के तर्क करने देखने और सुनने की क्षमता घटने लगती है और व्यक्ति को समस्याओं को सुलझाने में दिक्कत होने लगती है, जिससे दिमाग उबा ओपन महसूस करने लगता है जिससे अप्रसन्नता का एहसास होता है और इसके नकारात्मक प्रभाव के रूप में भय प्रमुख रूप से भरा जाता है।

इस समय जबकि अधिकांश दुनिया कोरोना महामारी के कारण घरों में लॉक डाउन है तब भविष्य को लेकर भय का वातावरण बन रहा है यदि हम वर्तमान को अपना घर और अपने जीवन की प्राथमिकता बना लें तो फिर ना ऊब होगी और ना ही भय आसपास फटके गा अन्यथा भय विभिन्न रूपों में प्रकट होगा जिसमें बेचैनी चिंता व्यग्रता अधीरता तनाव प्रमुख है।

भय के अनेक कारण हो सकते हैं मसलन कुछ खोने का भय, असफलता का भय, चोट लगने का भय, लेकिन सबसे बड़ा भय मृत्यु का होता है, जोकि कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में हो रही मौतों के कारण कुछ ज्यादा ही प्रभाव दिखा रहा है जबकि हम आसपास देखेंगे तो ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। बल्कि यदि हम फुर्सत के समय में नए-नए खेल खेलें जिज्ञासाओं को शांत करने वाली पहेलियां या ऐसी चीज़ जिनसे आप अब तक बचते थे, उनमें रुचि लें और उत्साहवर्धक विचारों से स्वः स्फूर्त हो तो फिर ना ऊब होगी और ना ही किसी प्रकार का भय रहेगा।

मन हमेशा वर्तमान को नकारने और उससे भागने की कोशिश करता रहता है, लेकिन हमें यह अच्छे से समझ लेना चाहिए की हमारे पास केवल वर्तमान क्षण ही है वर्तमान को अपने जीवन की प्राथमिकता बना लें पहले हम समय में रहते थे और कभी-कभी वर्तमान में आते थे। अब वर्तमान को अपना घर बना लो और भूत या भविष्य में तभी जाओ जब जीवन की किसी व्यवहारिक परिस्थिति को समझना हो, अन्यथा वर्तमान में रहो इस समय सब अपने अपने परिवार के साथ हैं जो दूर हैं वह भी कुछ दिन में आ जाएंगे और यह महामारी भी उस दिन में चली जाएगी हमें केवल भय को भगाना है और उत्साहित जीवन जीना है।


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