राहुल गाँधी ने कहा, आलोचना का वक्त नहीं, हमें लॉकडाउन खोलने की रणनीति की जरूरत

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केंद्र को राज्य सरकारों और जिलाधिकारियों को पार्टनर के तौर पर देखना चाहिए

नई दिल्ली, 08 मई (हि.स.)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार से छोटे कारोबारियों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को खासकर एमएसएमई के तहत लोगों को आर्थिक मदद जल्द मिलनी चाहिए, उसके बाद लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाने पर विचार करना चाहिए। इस प्रक्रिया से अचानक पाबंदी हटने से स्थिति भयावह होने की आशंका कम होगी और जब ऐसा होगा तो व्यापारी वर्ग पूरी तरह से अस्थायी नहीं रहेगा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से कोरोना वायरस के बढ़ते संकट व लॉकडाउन की वजह से आ रही मुश्किलों पर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार को सही फैसला लेने और कारगर कदम उठाने में सहायक की भूमिका निभा रही है। लगातार सुझाव का जो काम विपक्षी पार्टी कर रही है, वह जनहित के कार्यों को प्रभावी बनाने की दिशा में ही है।

राहुल ने कहा कि सरकार को अब जो प्रमुख कार्य करने की जरूरत है, वह यह है कि अपने कार्यों में थोड़ी पारदर्शिता बरते। सरकार को बताना चाहिए कि कोरोना वायरस लॉकडाउन को खोलने को लेकर उसका मापदंड क्या होगा। लोगों को बताना जरूरी है कि किस परिस्थिति में लॉकडाउन खुलेगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान काफी कुछ बदल गया है, लोगों ने बड़ा संयम भी दिखाया है। इसके बावजूद यह महामारी अब भी खतरनाक स्थिति में है। ऐसे में आगे की योजना को लेकर भी सरकार को अपनी रणनीति लोगों के साथ साझा करनी चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह समय आलोचना का नहीं है, जो हो चुका है उस पर समय खपाने से बेहतर है कि हम आगे की सोचें। वर्तमान में लॉकडाउन खोलने के लिए एक रणनीति बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवसायी बताएगा कि आर्थिक आपूर्ति श्रृंखला को पूरा करने के लिए ‘लाल, नारंगी और हरे रंग के क्षेत्रों’ के बीच काफी टकराव है, जिसे हल करने की आवश्यकता है। ऐसे में जरूरी है कि फैसला लेने का काम केंद्र अपने हाथ में रखने के बजाय राज्यों को भी दे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि संक्रमण के क्षेत्र ‘लाल, नारंगी और हरे’ का निर्धारण दिल्ली में बैठकर किया जाता है लेकिन राज्यों में यह स्थिति एकदम उलट है। क्योंकि स्थानीय हालात की जानकारी दिल्ली में बैठे लोगों के बजाय राज्यों, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को ज्यादा है। सरकार से अनुरोध है कि वो राज्य सरकारों को, जिलाधिकारियों को अपने पार्टनर के तौर पर देखे और केंद्रीकृत फैसला लेने से बचे।

राहुल गांधी ने केंद्र को न्याय योजना की तरह लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि इससे 65 हजार करोड़ का खर्च आएगा। देश में बहुत से लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, इसलिए जरूरत है कि लोगों को काम दिया जाए। उनके हाथों में पैसा दिए बिना कोई रणनीति कारगर नहीं साबित होगी।

एक सशक्त प्रधानमंत्री की भूमिका के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी की अपनी शैली है लेकिन इस मामले में हमें केवल एक मजबूत प्रधानमंत्री की आवश्यकता नहीं है। हमें एक मजबूत प्रधानमंत्री के साथ कई सशक्त मुख्यमंत्रियों की भी जरूरत है। मैं वर्तमान स्थित में सभी डीएम और निर्णय निर्माताओं को मजबूत देखना चाहता हूं।’


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