लॉक डाउन का उन्नीसवां दिन अराजक गैरजिम्मेदार नेता और डर के साये में जीता जनमानस अपने अनुत्तरित असंख्य सवालों के साथ और कुछ कोरोना कल में स्वस्थ की बातें

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डॉ भुवनेश्वर गर्ग

जैसे-जैसे घरों में सिमटे रहने का समय बढ़ता जा रहा है, अधिकतर लोगों के मन में अनेको प्रकार की शंकाएं, भय और भविष्य को लेकर तनाव गहराता जा रहा है यह आशंकाएं निर्मूल भी नहीं हैं और इसके अनेकों कारणों में एक कारण भाँती भाँती के परम् विद्वानों के स्वार्थी, व्यापारिक सोशिअल मैसेज भी हैं और तंत्र की ढेरों असफलताएं भी।

हीं तो क्या कारण है कि लॉक डाउन एक्स्टेंड करने की जो घोषणा सत्ताप्रमुख और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री श्री मोदी को करना चाहिए थी, उसे अतिउत्साह या स्वार्थ या अराजक सोच के चलते एक आधे अधूरे शहर को अपनी सल्तनत मानने वाला निकर्मण्य लुटेरा, विज्ञापन नरेश कर देता है, जबकि यह सूचना जब तक आधिकारिक तौर पर अधिकृत मंच से घोषित न हो, तब तक इसे जनता में भय फ़ैलाने वाला अपराध क्यों नहीं माना जाना चाहिए ?

पंजाब, उड़ीसा जैसे बड़े और सम्पूर्ण संवैधानिक अधिकार प्राप्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा की, लेकिन अपने अपने राज्यों में की, ना कि सम्पूर्ण देश के करता धर्ता बन कर सारे देश को विचलित, बैचेन और भयाक्रांत कर दिया। इस गंभीर असंवैधानिक अपराध के बाद ऐसे मुख्यमंत्री को दिल्ली का पद तुरंत छोड़ देना चाहिए और वैसे भी सबने देखा है कि एक वर्ग विशेष के तुष्टिकरण में उसने सारी सीमाएं लाँघ दी हैं और भ्रष्टाचार, मजदूरों का पलायन, दस लाख लोगों का डेली अदृश्य भोजन भ्रष्टाचार सबके सामने है ।

दिल्ली की अराजकता का मुद्दा हो या बंगाल का बीमारी नियंत्रण में असहयोग, राजस्थान, महाराष्ट्र भी अपनी ढपली अलग ही अराजक अंदाज में बजा रहे हैं, कतिपय मुस्लिम, जमात, नेता और धनवान भी राजाज्ञा की अवहेलना और तुष्टिकरण में आकंठ डूब, अनैतिक अनर्गल कार्यों में जुटे हुए हैं। यह एक गंभीर, असहयोग मुद्दा है आज राष्ट्र के सम्मुख। सरकार तो इन सबसे जब निपटेगी तब निपटेगी, लेकिन इन्हे राजा बनाने वाली जनता अगर क्षणिक लालच और तुष्टिकरण को कूड़े के डब्बे में डाल, राष्ट्र हित में चुनाव करे तो आने वाले समय में इस देश की दशा सुधर सकती है, साथ ही अगर इस गंभीर समय में सारी राज्य सरकारों को निलंबित कर केंद्र, सेना जरिये सारा तंत्र अपने हाथ में लेले, तो ही सम्भवतः सुरसा के मुख जैसी विकराल होती बीमारी को तनिक थामा जा सकता है ।

वाई जहाज यात्रा करते समय सभी ने देखा होगा कि विमान में बैठने के पश्चात् द्वार बंद होने के बाद सबसे पहले एयर होस्टेस कुछ जानकारी, नियम, सावधानियां बताती है, गोया कि ऐसा होने ही वाला है और सबके लिए उसका पालन करना अतिआवश्यक है हालांकि सड़क दुर्घटना या बस ट्रेन के मुकाबले विमान दुर्घटना में होने वाली मौतें बहुत ही नगण्य हैं लेकिन फिर भी कोई इन नियमों के पालन में ना तो किसी तरह की अवहेलना करता है और ना ही कोई कोताही बरतता है लेकिन सड़कों पर जानते बूझते हुए भी लोग कितने उद्धण्ड, ढीठ और नियमों की अवहेलना करने लगते हैं क्यों ?

क्योंकि कारण साफ़ है, सड़क पर मानव के पैर जमीं पर टिके होते हैं और वो खुद को अजर अमर, सर्वशक्तिमान समझने लगता है और यही इस समय इस महामारी के समय हम कतिपय समाज को, जमातियों को, धनपशुओं को, मूर्ख प्राणियों को करते देख रहे हैं, अकारण भीड़ लगाना हो, या अपनी जिम्मेदारियों से विमुख होना, संसाधनों का दुरूपयोग हो, या अनर्गल उपयोग, कालाबाजारी ।। हर कहीं यही सब देखा जा रहा है और यही प्राणी जगत के भयानक विनाश का कारण भी बन रहा है। रामायण में तो लक्ष्मण रेखा की उपयोगिता हजारों साल से बताई गई है, उसको अनावश्यक रूप से पार करने पर बड़े भारी संकट झेलने पड़ सकते हैं और संकट के समय छोटे से छोटे साधन, वस्तु, प्राणी की महत्ता कितनी आवश्यक हो सकती है, यह एक छोटे से तिनके के जरिये माँ सीता ने सबको बताया है और कहा भी तो यही जाता है कि डूबते को तिनके का सहारा ।

सार यही है कि संयम, संचय, सदुपयोग और सहारा यानि कि विश्वास की आज मानव जाति को कितनी भारी जरुरत है और यही रामायण का, महाभारत का और गीता का सार है। और यही हमारी विशाल सनातनी परंपरा का आधार, विश्व में सर्वोत्तम सभ्यता के मापदंड भी है, नहीं तो और कौन सा पंथ है जिसका स्वरुप इतना विशाल, इतना सहृदय और इतना सहयोगी हो, जो कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, षड्यंत्र नहीं करता, किसी और को किसी लालच, भय या स्वार्थ के चलते अपनी आस्था, धर्म, परम्परा में शामिल होने को मजबूर नहीं करता और इसीलिये कल भी हिंदुत्व सारे विश्व में था, है और आज तो सारी दुनिया इसकी और निहार रही है और इसीलिए आज सबकी यही सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी है कि अपने राष्ट्र, धर्म और परंपरा के बचाव, संवर्धन के लिए एकजुट होकर हरसंभव प्रयास करें और अपने वीर सेनानायक को सम्पूर्ण शक्ति प्रदान करें, तभी सोमनाथ, काशी, अयोध्या, मथुरा को एक बार फिर लुटने और नालंदा जैसी संस्थाओं को बार बार जलने से बचाया जा सकता है ।

मेरे कई मित्रों, जिज्ञासु पाठकों ने कई तरह की शंकाएं जाहिर की हैं और व्हाट्सएप्प, फ़ोन के जरिये लगातार सवाल भी पूछ रहे हैं, पिछले सभी लेखों में हालांकि इन सभी बातों का ऑथेंटिक साइंटिफिक जबाब बारबार दिया गया है और एक बार फिर उनकी प्रमुख जिज्ञासाओं का समाधान करने की कोशिश की जा रही है ।

पहली प्रमुख जिज्ञासा: क्या लक्षण हैं, मुझे तो नहीं हो जाएगा या क्या सावधानी रखें ?

सार्स वायरस सीरीज के इस सातवें, कोरोना वायरस से सर्दी, जुखाम, बुखार, शरीर दर्द, सुखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ के अलावा सरदर्द और अंत में निमोनिया से मृत्यु होती है यह तो सबको पता ही हैं लेकिन यह वायरस फीको ओरल रुट (अर्थात भोजन नलिका के जरिये मलनिकास द्वारा) के जरिये भी आपके पेय जल को दूषित कर फ़ैल सकता है और सांस के लक्षणों से पहले मरीज को उलटी दस्त, पेट में दर्द मरोड़, पीलिया हो सकता है, यहाँ तक कि लिवर भी खराब हो सकता है ।

तो क्या करें ? समय के साथ चलिए । सूर्य के साथ उठिये, सुबह की शुद्ध हवा और व्यायाम आपके मन प्राण कर्मों को सदैव तरोताजा रखेगी, सुबह का नाश्ता आयु अनुसार भरपेट करें और फिर दो से तीन बार जब भूख लगे तब ही खाएं और हल्का भोजन करें। सूर्यास्त पश्चात भारी भोजन हरगिज ना करें। अपने नाश्ते या दिन के भोजन में मोटे अनाज शामिल करें जैसे ज्वार बाजरा चना मक्का। जहाँ तक हो सके गेंहू का सेवन हरगिज ना करें (क्योंकि गेंहू मोटापा, डायबिटीज का कारक है और अंग्रेजों के आने से पहले यह हमारे देश में नहीं होता था। शुगर की जगह गुड़, वो भी काला वाला, का सेवन किया जा सकता है इससे शरीर को प्रचुर मात्रा में आयरन भी मिलता है। विटामिन सी भी इम्मुनिटी बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है और इसके लिए आंवला, हरी मिर्च, नीम्बू आदि का अपने भोजन में उचित समावेश करें । सुबह उठ कर जितना हो सके, गरम पानी का सेवन करें, उसमे आवश्यकतानुसार शहद, नीम्बू, दालचीनी डाल सकते हैं। दिन में तीन चार बार गरम चाय भी इस बीमारी में, इम्मुनिटी बढ़ाने में मदद करेगी । दिन भर प्रचुर मात्रा में पानी और अन्य पेय पदार्थ, दही छाछ मठ्ठा आमपना आदि का सेवन करते रहें, मौसम अनुसार फल फ्रूट सब्जियों की इस देश में प्रचुरता है देवीय वरदान है, उनका सेवन करें। हल्दी के औषधीय गुण जगजाहिर हैं और दिन में एक या दो बार हल्दी वाला दूध आपके शरीर को ना सिर्फ बीमारियों से लड़ने की ताकत दे सकता है बल्कि आपकी रक्त प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी मजबूत करेगा। बात बेबात भीड़ का हिस्सा ना बनें, अनर्गल दवाइयों, ख़ास तौर पर एंटीबायोटिक्स का सेवन हरगिज ना करें, ये आपके इम्मून तंत्र को चौपट कर सकते हैं ।अपने घर में ही नहीं, घर के आसपास भी साफ़ सफाई रखे, हर व्यक्ति अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाए और घर के आसपास पीपल, नीम, पलाष और अन्य फलदार वृक्ष लगाए। पेय जल स्त्रोतों को सुरक्षित और संरक्षित रखें।

सके साथ ही बेहद जरुरी है कि आप खांसी, छींक के जरिये फैलने वाले इस इन्फेक्शन के ड्रॉपलेट के संपर्क में आने से बचने के सारे प्रयास ।। जैसे गमछा लपेटना, मास्क पहनना, भीड़ में ना जाना, बार बार हाथ धोना, कंम्यूनिटी फैलाव रोकने के लिए संभावित लोगों को स्वतः ही खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। साथ ही, अब यह भी अत्यंत आवश्यक हो गया है कि जनता पूरी ताकत से अपने पेय जल स्त्रोतों को भी सुरक्षित करे, करवाए और सरकारें, अदालतें जलसंक्रमण को गंभीर अपराध घोषित करें ।

दूसरी जिज्ञासा सेनिटाइज कैसे करें और कैसे सफाई रखें, क्या उपाय बेहतर है?
कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से बार बार धोएं। सभी विशेषज्ञों ने बार बार चेताया है कि महंगे सेनिटाइज़र्स या मार्केटेड सोलूशन्स की बजाय सामान्य साबुन पानी सबसे बेहतर है क्योंकि वायरस की झिल्ली चूँकि चर्बी से बनी होती है, और इसीलिए साबुन ही सर्वोत्तम उपाय है जो उसे तुरंत ब्रेक कर देता है।
जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं। इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं, संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस, आँख, मुंह के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंच सकते हैं। इसलिए मास्क या गमछे का उपयोग, खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना, सुरक्षित रहने और इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

कहा जा रहा है कि करोना वायरस 28 – 30 डिग्री से अधिक तापमान सहन नहीं कर सकता इसलिए यह हिन्दुस्तान के पक्ष में है कि मौसम अब लगातार गर्मी की और अग्रसर होगा और जनता जितनी जागरूक और सावधान रहेगी, सोसियल डिस्टेंसिंग का गंभीरता से पालन करेगी, उतनी ही जल्दी इस पर कंट्रोल पाया जा सकेगा । लेकिन बदलते समय और मौसम के साथ आगामी ठण्ड में इसका नया और अधिक विकृत प्रकार सामने आ सकता है । जैसे कि हरेक वायरस के साथ होता है और हम फ्लू या अन्य वायरल बीमारियों में देखते रहते हैं ।
आकार में बड़ा होने और मानव शरीर के लिए नया होने की वजह से इसका प्रकोप ज्यादा है, और यह मेटल सतहों पर दस से बारह घंटों तक एक्टिव रह सकता है इसलिए जहां तक हो सके, भीड़ का हिस्सा ना बनें और जहां तक संभव हो सके सार्वजनिक उपयोग की वस्तुओं, डोर हेंडल, डोरबेल्स, फोन, पेन, नोट्स आदि को ना छुएं, हैंडशेक कतई ना करें, करना ही पड़ जाए तो ऐसी स्थिति में अपने हाथों को पानी साबुन से बराबर साफ़ करते रहें! और इन जगहों पर भी साबुन वाला पानी बार बार डालते रहना भी उचित सेनिटाइज़ेशन का काम करेगा और आपको नुक्सान भी नहीं पहुंचाएगा । बाहर से आने पर अपना सब सामान, अलग रखें, अच्छे से हाथ धोकर घर में प्रवेश करें, बाहर से लाये गए या आने वाले सामान को भी जितना समय तक हो सके, बाहर या धूप में पड़ा रहने दें, जिसका बाहरी आवरण हटाया जा सकता है, उसे हटा कर उपयोग में लें, और बाकि सामान को, फल फ्रूट सब्जियों को गरम पानी, साबुन के पानी से धोकर धूप में रख सकें तो सबसे बेहतर !
अधिकाँश मामलों में, लापरवाह व्यक्ति सबसे पहले अपने घरवालों और मित्रों को संक्रमित कर लेता है और एक संक्रमित व्यक्ति लाखों लोगों को ये बीमारी दे सकता है जैसा कि सब देख रहे हैं और जैसा कि चाइना, ईरान, इटली, अमेरिका, स्पेन, फ़्रांस और अन्य अतिविकसित धनाढ्य देशों में देखा जा रहा है।

अपने इस्तेमाल के कपड़ों, रुमाल, तोलिये अलग रखें और उन्हें अच्छी तरह धोकर, धूप में सूखा कर या इस्त्री करके ही इस्तेमाल करें
अगर आपकी सर्दी, जुखाम, बुखार, सूखी खांसी तीन चार दिन से अधिक समय ले जाए तो तुरंत सरकार द्वारा अधिसूचित स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें और उनके निर्देशनुसार अपना पूरा इलाज करवाएं । ध्यान दें कि बिना बात भीड़भाड़ वाली जगहों, अस्पतालों की और भागना भी बीमारी को निमंत्रण दे सकता है ।

यह भी समझें कि, वायरस हमेशा नुक्सान ही नहीं करते, ये आपको बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूत भी बनाते हैं, शायद इसलिए १३५ करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले देश में इटली ईरान जैसा प्रकोप नहीं देखा गया है ।

वायरस ईश्वरदत्त टॉनिक भी कहे जा सकते हैं यह मनुष्य या जानवरों की इम्मयूनिटी को जाग्रत करने और शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देने का बेहद जरुरी काम करते हैं, उसी तरह, जैसे कई बैक्टीरिया मानव शरीर में बड़ी आंत में बेहद जरुरी विटामिन्स बनाने का काम करते हैं ।
और इसीलिए यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले कुछ महीनों का समय बड़ा क्रूशियल है, ख़ास तौर पर भारत जैसे विशाल जनसँख्या वाले देश के लिए क्योंकि वायरस एक बार तो सब तक पहुंचेगा, तभी इसके खिलाफ इम्मुनिटी डेवलॅप होगी और इसलिए यह बहुत जरुरी है कि आप बेहद सावधानी बरतें, बेबजह भीड़ में ना जाएँ, जितना कम से कम वायरस का लोड आपको छुएगा, उतना ही जल्दी आपके शरीर में इससे लड़ने की ताक़त डेवलप होगी और लिखे अनुसार अपनी इम्मुनिटी दुरुस्त, तंदरुस्त रखने के हर संभव प्रयास करते रहें और हाँ, यह भी बेहद जरुरी है कि आप घबरा कर या बेवकूफी से, बिना विशेषज्ञ की सलाह और उचित जांच करवाए, दवाइयों, ख़ास तौर पर एंटीबायोटिक्स, का हरगिज सेवन ना करें । क्योंकि ये आपकी इम्मून सिस्टम को बिगाड़ सकते हैं और वायरस आप पर हावी हो सकता है ।

भीड़भाड़ वाली, ठंडी जगहों से दूर रहें, छोटे बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों का विशेष ध्यान रखें, इनपर इस वायरस का संक्रमण घातक हो सकता है।

याद रखें कि महंगे मास्कों की सामान्य जनता को कोई जरुरत नहीं है और ये सिर्फ उनके लिए हैं जो या तो संक्रमित हो चुके हैं या इन मरीजों की सेवा में लगे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, पुलिस, सफाईकर्मी या अत्यावश्यक सेवायें दे रहे अन्य देवदूत हैं ।और चलते चलते अति हर चीज की बुरी ।
वैज्ञानिकों ने सेनिटाइज़र्स, हाइपोक्लोराइट सोलूशन्स और सेनिटाइज़ेशन चेम्बर्स के अधिक उपयोग के खिलाफ चेतावनी जाहिर की हैं, उन्होंने स्पष्ट रूप से सरकार को कहा है कि इनसे वायरस नष्ट नहीं होता बल्कि इसका क्लोरीन, मानव शरीर के नाजुक अंगों, आँख, नाक, मुंह और स्किन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है ।तो सबसे अच्छा पारम्परिक गमछा और सहज घर घर उपलब्ध साबुन ।तो सहज रहिये, तनाव मुक्त रहिये और राष्ट्र के सजग प्रहरी बन, अपनी परम्पराओं की रक्षा कीजिये ।

जयहिंद


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