न्यूज़ उन्नाव:स्वास्थ्यकर्मी की बात आई समझ, नसबंदी अपनाई

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

सूरज ने परिवार की भलाई के लिए परिवार नियोजन का स्थाई साधन अपनाया।
उन्नाव शहरी क्षेत्र में रहने वाले 38 वर्षीय सूरज(परिवर्तित नाम) केतीन बच्चे हैं और वे मजदूरी करते है।सूरज बताते हैं कि तीन बच्चों का पालनपोषण बहुत मुश्किल से हो पाता है। मेरी पत्नी पूरे दिन घर के कामों में लगी रहती हैं।बच्चों के अच्छे भविष्य और पत्नी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर मैनें नसबंदी अपनाने का निर्णय लिया और मैं अपने इस निर्णय से बहुत खुश हूँ।साथ ही वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद भी ले रहा हूँ। सूरज बताते हैं कि हमारे क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता व पॉपुलेशन सर्विसेस इंटेरनेश्नल (पीएसआई इंडिया) संस्था के स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता द्वारा मुझे नसबंदी के बारे में जानकारी मिली। मैंने अपनी पत्नी से सलाह मशवरा कर स्वयं नसबंदी अपनाने का निर्णय लिया क्योंकि मुझे पता चला कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान है और सुरक्षित भी है लेकिन मेरी पत्नी ने यह कह कर नसबंदी करवाने से मना कर दिया कि मुझे कमजोरी हो जाएगी।पत्नी की आशंकाओं का समाधान करने के लिए जिला अस्पताल स्थित डॉ. संजय वर्मा से मिले और उन्होंने पत्नी की शंकाओं का समाधान किया।जिसके बाद मैने नसबंदी अपनाई। नसबंदी अपनाने के बाद मुझे अपने क्षेत्र में बहुत से लोगों ने कहा कि मेरा वैवाहिक जीवन प्रभावित होगा लेकिन मैं अब सभी से कहता हूँ कि हमारा वैवाहिक जीवन बहुत ही बढ़िया चल रहा है।पहले तो शारीरक संबंध बनाते हुए यह डर लगा रहता था कि कहीं बच्चा न ठहर जाये लेकिन अब ऐसा नहीं है। मेरा पुरुषों से यह कहना है कि परिवार पूरा होने के बाद नसबंदी अपनाए।यह बिल्कुल सुरक्षित है।
इतना ही नहीं आशा कार्यकर्ता अर्चना सैनी बताती हैं कि जुलाई 2022 में सूरज ने नसबंदी करवाने के बाद अपने क्षेत्र के योग्य पुरुषों को नसबंदी अपनाने के लिए प्रेरित किया| सूरज की इस पहल की वजह से पांच पुरुषों ने नसबंदी अपनाई|

नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी) पर तैनात सर्जन डॉ अखिलेश विक्रम बताते हैं कि पुरुष नसबंदी पूरी तरह सुरक्षित है | इसके असफल होने की संभावना बहुत ही कम या न के बराबर होती है | नसबंदी कराने के दो दिन बाद ही नियमित काम – काज शुरू कर सकते हैं और एक हफ्ते बाद से भारी काम शुरू कर सकते हैं:- जैसे साइकिल चलाना आदि | नसबंदी कराने के बाद अगर कोई समस्या होती है तो चिकित्सक से संपर्क करें |
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. अरविन्द का कहना है कि परिवार नियोजन में महिला एवं पुरुषों दोनों की बराबर भागीदारी होनी चाहिए | पुरुष नसबंदी बहुत ही आसान प्रक्रिया है | बिना चीरा टांका के यह प्रक्रिया होती है और लाभार्थी को 3,000की क्षतिपूर्ति प्रेरक को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है | पुरुष नसबंदी, महिला नसबंदी की अपेक्षा ज्यादा आसान है | यह बिना चीरा टांका वाली एक आसान प्रक्रिया है और परिवार नियोजन का एक स्थाई उपाय है।इस प्रक्रिया में शुक्राणु नालिका बंद कर दी जाती है जिससे शुक्राणु वीर्य में नहीं मिल पाते और महिला को गर्भ नहीं ठहरता।इसे वह सभी पुरुष करवा सकते हैं जो 22 से 60 वर्ष से कम उम्र के हों और जिनका कम से कम एक बच्चा हो।इसलिए पुरुषों को आगे आकर इस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।


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