खबर रायबरेली:फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा सेवन ही एक मात्र उपाय

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

10 अगस्त से शुरू होने वाले अभियान से पूर्व हुई मीडिया कार्यशाला 3047 टीम और 507 सुपरवाइजर मिलकर चलाएंगे सफल अभियान

जनपद में 10 अगस्त से फाइलेरिया के खिलाफ सर्वजन दवा सेवन अभियान शुरू हो रहा है। जो कि 28 अगस्त तक चलेगा। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान के दौरान पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेन्द्र सिंह का। सीएमओ मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में एक मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान व स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में सीएमओ ने कई अहम जानकारियां दीं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया को हाथी पाँव भी कहते हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह बीमारी अगर किसी को हो गई तो यह ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांगता के साथ जीना पड़ता है। इस बीमारी का केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है। इस बीमारी से लटके हुए अंग जैसे अंडकोष, हाथ, पैर और स्तन प्रभावित होते हैं। साथ ही पेशाब के साथ सफेद रंग का द्रव्य आने लगता है जिसे काईलूरिया कहते हैं। जनपद में फाइलेरिया के 12,775 मरीज हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी भीखुल्लाह ने कहा कि अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम जिसमें एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वयंसेवक जो घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। अभियान को सफल बनाने के लिए कोटेदारों, प्रधानों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर इस अभियान में अन्य विभाग भी सहयोग करेंगे। जनपद के पात्र लाभार्थियों को दवा सेवन कराने के लिए 507 सुपरवाइजर और 3047 टीम लगाई गई हैं । आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर खाना है।
फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष के बच्चों को केवल पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे – अभी पान खाए हैं, सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि। आज का यही बहाना आपको जीवन भर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाएं।
जिला स्वास्थ्य सूचना अधिकारी डीएस अस्थाना ने बताया कि दवा खाने के बाद जी मिचलाये, चक्कर या उल्टी आए तो घबराएं नहीं। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। यदि कोई दवा का प्रतिकूल प्रभाव आता है तो मीडिया से अपेक्षा है कि उसके लिए सहयोग करें और यह प्रभाव मात्र आधे से एक घंटे के लिए ही प्रभावित रहते हैं उसके पश्चात वह ठीक हो जाते है| दवा सेवन से होने वाले प्रतिकूल प्रबंधन के लिए हर ब्लॉक पर रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) बनाई गई है। इसमें चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है । दवा सेवन के बाद कोई समस्या होने पर टीम या आशा कार्यकर्ता या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें ।
स्वयंसेवी संस्था पाथ की प्रतिनिधि डॉ. पूजा धुले ने संस्था के कार्यों के बारे में जानकारी दी।
इस मौके पर सहायक मलेरिया अधिकारी अनिल क्रिस्टोफर मेसी, अखिलेश बहादुर सिंह, मलेरिया निरीक्षक नीलम, सुमित, आतिफ, सहयोगी संस्था सीफॉर और पाथ के प्रतिनिधि आदि मौजूद रहे।


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