खबर रायबरेली:जतुआ टप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया रोगियों किया गया संवेदित

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन अभियान(आईडीए)शुरू हो रहा है | जिसमें लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जाएगा
इसी क्रम में सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च ( सीफॉर) के सहयोग से जतुआ टप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी) के अंतर्गत ग्राम पंचायत सराय मुबारक के सामुदायिक केंद्र और ग्राम पंचायत किलौली के पंचायत भवन पर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर(डीए) और फाइलेरिया रोगियों को रोग की गम्भीरता के प्रति संवेदित किया गया।


इस मौके पर सीएचसी के स्वास्थ्य निरीक्षक एम.पी.सिंह ने ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर्स से कहा कि 10 अगस्त से घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल(आईडीए) खिलाने के लिए आईडीए राउंड चलेगा | जिसमें घर-घर जाकर लोगों को दवा का सेवन आपको कराना है | एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को छोड़कर सभी को दवा का सेवन् करवाना है | दवा खिलाते समय यह सुनिश्चित करें कि खाली पेट कोई दवा का सेवन न् करे |इसके अलावा दवा किसी को देकर नहीं आनी है, अपने सामने ही दवा खिलानी है |
फाइलेरिया मच्छरजनित रोग है और यह एक लाइलाज बीमारी है | अगर हो गई तो ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांग बना देती है | केवल व्यायाम और देख रेख से इसका प्रबंधन किया जा सकता है | इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय दवा का सेवन् करना है | तीन साल तक लगातार साल में एक बार दवा के सेवन से इस बीमारी से बचा जा सकता है |
दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।


सीफॉर के राज्य प्रतिनिधि डा. सतीश पांडे ने उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को फाइलेरिया प्रभावित अंगों के प्रबंधन के व्यायाम करने एवं साफ सफाई करने की जानकारी दी | उन्होंने फाइलेरिया मरीजों से कहा कि आप जैसे फाइलेरिया रोगियों का समूह लखनऊ में बना है और जब फरवरी माह में फाइलेरियारोधी दवा खिलाई गई थी तब इन रोगियों ने फाइलेरियारोधी दवा खिलाने में बहुत से लोगों को प्रेरित किया था | इसलिए आप सभी लोग आईडीए राउंड के दौरान स्वयं दवा का सेवन करें और अपने परिवार व गाँव के लोगों को भी फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें |
सराय मुबारक निवासी फाइलेरिया पीड़िता और अविवाहिता 23 वर्षीय गायत्री ने बताया कि उन्हें फाइलेरिया को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन अब हमको यह जानकारी प्राप्त हुई है | हम अपने गांव और मोहल्ले वालों से इस विषय पर बताएंगे , स्वयं भी दवा खाएंगे और अधिक से अधिक लोगों को दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करेंगे जिससे कि मैं जिस तरह से दिक्कतों का सामना कर रही हूँ और लोग न करें।

क्या है फाइलेरिया ?
यह एक मच्छरजनित बीमारी है जिसे हाथी पाँव भी कहते हैं | फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलूरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से लोग ग्रसित हो जाते हैं | किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात् बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं |
इस अवसर पर दो आशा संगिनी, आठ आशा कार्यकर्ता चार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बीसीपीएम सुनील कुमार गुप्ता और 35 फाइलेरिया रोगी जो कि इस अभियान के स्वैच्छिक कार्यकर्ता के रूप में सहयोग करेंगे व सीफॉर के प्रतिनिधि मौजूद रहे।


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