मां बलारी मंदिर पर यज्ञ संपन्न डेढ़ लाख से अधिक भक्तों ने पाई प्रसादी

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आलोक एम इन्दौरिया।

भोपाल..म प्र के शिवपुरी जिले मे स्थित माधव नेशनल पार्क मे टाइगर रोको छोड़े जाने के बाद बलारी मां मंदिर पर आयोजित शतचंडी यज्ञ और हवन विवाद में पड़ गया था ,लेकिन स्थानीय विधायक, और कैबिनेट मंत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया के हस्तक्षेप और भागीरथी प्रयासों के बाद मंदिर प्रबंधन और कलेक्टर शिवपुरी रविन्द्र चौधरी एंव माधव नेशनल पार्क प्रबंधन के साथ हुई बैठक में यह निष्कर्ष निकाला कि शिवपुरी जिले के हजारो भक्तो का आस्था का केन्द्र बलारी माता का धूमधाम से शतचंडी यज्ञ आयोजित किया जाऐगा। माधव राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में प्रसिद्ध मां बलारी मंदिर पर क्षेत्रवासियों एवं जिले वासियों के सहयोग से हर वर्षों की भांति इस वर्ष भी विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। 7 दिन चले इस यज्ञ और पाठ में कई लाख लोगों ने अपनी आमद दर्ज की और मां बलारी के प्रति आस्था व्यक्त की । ऐसी क्षेत्र के लोगों की आस्था है और मान्यता भी है कि बलारी मां दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है ।

प्रसादी का निर्माण के कंक्रीट मिक्सर का इस्तेमाल

इस अनोखे भंडारे में मालपुओं का घोल तैयार करने के लिए बिल्डिंग निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट-कंक्रीट मिक्सर की मदद ली गई. साथ ही सब्जी और खीर को कड़ाहों से निकालकर बर्तनों की जगह ईंट-सीमेंट की बनीं हौद यानी टंकियोंएए में स्टोर किया गया. इसके अलावा मालपुए के भी ढेर के ढेर लगा दिए गए ।

यूं परोसा गया प्रसाद
टंकियों और ट्रॉलियों में भरी सब्जी-खीर और मालपुओं को बाल्टियों में भरकर पत्तलों में परोसा गया. लगभग 250 स्वयंसेवकों की टीम परोसने के लिए काम में लगी हुई थी. वहीं, बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाने में 100 से ज्यादा हलवाइयों के लोग लगे हुए थे.
इस तरह की व्यवस्था
इसके अलावा,भंडारे की व्यवस्था का जिम्मा मंदिर के महंत ने गांव वार बांट दिया था. मसलन, किसी एक गांव के लोगों को प्रसाद तैयार करवाने, दूसरे गांव को परोसने और तीसरे गांव को पत्तल उठाने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. वहीं, कुछ स्वयंसेवकों ने मंदिर आने वाले श्रद्धालओं की गाड़ियां सही ढंग से पार्क करने का बीड़ा उठाया।

  • इतना लगा सामान
    जिसमें 90 क्विंटल आटे, 45 क्विंटल गुड,से पुआ बनाए गए तो 80 क्विंटल दूध की खीर, 3 क्विंटल हरी मिर्च, 5 क्विंटल मासलों से सब्जी का निर्माण हुआ। भोजन परोसने के लिए दो लाख पत्तल आई थी। 20 पानी के टैंकरों से पानी व्यवस्था की गई। सुबह 8 बजे से ही पंगत प्रसादी शुरु हुआ जो रात 12 बजे तक चला ।

हजारों वर्ष पुराना मंदिर: मंदिर के महंत की मानें तो मां बलारी का मंदिर काफी प्राचीन है। जंगल से एक बार एक बंजारा निकल रहा था तो मां बलारी उसकी बैलगाड़ी पर सवार होकर यहां पर आ गई और उन्होंने बंजारे से कहा था कि वह पीछे मुड़कर न देखे लेकिन जब बंजारे ने पीछे मुड़कर देखा तो मां यहीं पर रुक गई और उसके बाद श्रद्घालुओं ने यहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया।


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