इलाहाबाद संग्रहालय में आधुनिक नाटक ‘परंपरा एवं प्रयोग’ का व्याख्यान का आयोजन किया गया

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मनीष कपूर।

प्रयागराज। इलाहाबाद संग्रहालय में आज दिनांक 21 मार्च 2021 को संग्रहालय व व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में ‘आधुनिक नाटक: परंपरा एवं प्रयोग’ विषय पर श्री व्योमेश शुक्ल का व्याख्यान आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आचार्य रामनरेश त्रिपाठी व सभाध्यक्ष रुप में सुश्री शुषमा शर्मा उपस्थित रहीं।ईश वंदना और दीप प्रज्जवन से कार्यक्रम आरंभ हुआ। स्वागत वक्तव्य के रूप में संग्रहालय के शिक्षा प्रभारी डॉ राजेश मिश्र दोनों संस्थाओं की तरफ से सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि सांस्कृतिक संस्था होने के अपने मूल दायित्व के निर्वहन क्रम में संग्रहालय नाट्य परंपरा व प्रयोग विषय की मेजबानी कर रहा है।

बनारस से पधारे मुख्य वक्ता श्री व्योमेश शुक्ल ने अपनी बात को साझा करते हुए कहा कि गंभीर परंपराएं हमारा पीछा नहीं छोड़ती बस स्वरूप बदलता है।वस्तुत: नाट्य परंपरा ऋग्वैदिक है जो सामवेद व शुक्ल यजुर्वेद से होते हुए भास व महाकवि कालिदास में प्रत्यक्ष होती है।श्री शुक्ल ने नाट्य कला के साथ ही सारी कलाएं वस्तुत: युद्ध व हिंसा का प्रतिकार व शांति की वाहक होती हैं जिसे नाटककार भास ने अपने नाटक पंचरात्र में महाभारत युद्ध को नकार कर स्थापित किया। अंततः उन्होंने हिंदी नाट्य मंच व परंपरागत नाट्य परंपरा जैसे रामलीला, रासलीला, नौटंकी,तमाशा के बीच की दूरी पर चिंता व आश्चर्य व्यक्त करते हुए रामनगर की रामलीला व नागरी प्रचारिणी सभा की मनसा दूरी का उदाहरण दिया।

आचार्य रामनरेश त्रिपाठी ने अपने संबोधन में इस सुंदर आयोजन हेतु दोनों संस्थाओं को बधाई देते हुए काशी प्रयाग की समृद्ध नाट्य परंपरा को रेखांकित किया।अपने अध्यक्षीय संबोधन में सुश्री सुषमा शर्मा ने सुंदर वक्तव्य के लिए वक्ता व्योमेश शुक्ल को बधाई देते हुए कहा कि आप जैसे पृथक सोच के लोग ही आधुनिक रंगमंच पर नवीन प्रयोग करेंगे ऐसा विश्वास है।


सभा का संचालन डॉ धनंजय चोपड़ा ने और आभार ज्ञापन सचिव व्यंजना डॉ मधु रानी शुक्ला ने किया।इस अवसर पर श्री हसन नकवी, अरिंदम घोष, डॉ अंकिता चतुर्वेदी श्री राजेश तिवारी, डॉ नम्रता सहित बड़ी संख्या में संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।


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