मध्य प्रदेश :मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट हुई तेज
मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की हलचल तेज हो गई है। 14 अप्रैल को लाक डाउन अवधि समाप्त हो रही है। आगे लॉक डाउन अवधि बढ़ने के पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। विपक्षी दल कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि प्रदेश में बिना मंत्रियों के सरकार चल रही है। जिससे अव्यवस्था बढ़ रही है सिंधिया समर्थक भी मंत्री बनने बेताब क्योंकि उन्हें फिर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ना है।
दरअसल कोरोना महामारी पूरे विश्व का कैलेंडर गड़बड़ा दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है की हवाई जहाज रेल सुविधाएं ठप पड़ी है। देश में लॉक डाउन के लागू होते ही जो जहां था वहीं रह गया। अधिकांश देशवासी घरों के अंदर है ।
प्रदेश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं। यही कारण है कि अब मंत्रिमंडल गठन का दबाव बढ़ रहा है। खासकर मोर्चे पर डटे विभागों के मंत्रियों की अनिवार्यता बताई जा रही है। लेकिन मंत्रिमंडल गठन करना आसान नहीं है। कांग्रेस के बागी विधायकों जिनमें सिंधिया समर्थक अधिकांश है लगभग 10 से 12 मंत्री बनाए जाने है। जबकि भाजपा में लगभग 50 विधायक ऐसे हैं जो शपथ लेने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे में लगभग 30 मंत्रियों का चयन करना बेहद कठिन कार्य है चौथी बार मुख्यमंत्री बने चौहान की असली अग्निपरीक्षा मंत्रिमंडल गठन के साथ ही शुरू हो जाएगी। विपक्षी दल कांग्रेस इस कारण मंत्रिमंडल गठन पर दबाव बना रही है। उसे उम्मीद है जिस मंत्रिमंडल गठन के कारण उनकी सरकार गई है वही मंत्रिमंडल गठन भाजपा के गले की हड्डी भी बनेगा। कम से कम चौहान के लिए काम करना इतना आसान नहीं रहेगा। जितना कि उन्हें पिछले 3 कार्यकाल में मिला था। तब प्रदेश में कांग्रेश भी कमजोर थी और भाजपा मैं शिवराज का एकछत्र राज्य था। संगठन और सरकार में उन्हें कोई चुनौती नहीं थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है प्रदेश में विधायकों को दलबदल का चस्का भी लग गया है। खासकर जिस तरह से सिंधिया समर्थक विधायकों का मंत्री बनना तय है उतना भाजपा के विधायकों का नहीं।
कुल मिलाकर कोरोना महामारी से सामूहिक रूप से निपटने के लिए मंत्रिमंडल का गठन अनिवार्य होता जा रहा है, जिससे कि स्वास्थ्य और गृहमंत्री विभागों के काम संभाल सकें साथ ही 15 अप्रैल से गेहूं उपार्जन की घोषणा मुख्यमंत्री चौहान कर चुके हैं। इसके लिए कृषि मंत्री का भी होना जरूरी है और जिलों में जनप्रतिनिधियों भागीदारी भी जरूरी मानी जा रही है। तमाम राजनीतिक हालात मंत्रिमंडल गठन इशारे कर रहे यदि पार्टी हाईकमान से मंजूरी मिल गई।
कुल मिलाकर कोरोना महामारी से सामूहिक रूप से निपटने के लिए मंत्रिमंडल का गठन अनिवार्य होता जा रहा है। जिससे कि स्वास्थ्य और गृहमंत्री विभागों के काम संभाल सकें साथ ही 15 अप्रैल से गेहूं उपार्जन की घोषणा मुख्यमंत्री चौहान कर चुके हैं। इसके लिए कृषि मंत्री का भी होना जरूरी है और जिलों में जनप्रतिनिधियों भागीदारी भी जरूरी मानी जा रही है तमाम राजनीतिक हालात मंत्रिमंडल गठन इशारे कर रहे यदि पार्टी हाईकमान से मंजूरी मिल गई तो फिर 15 अप्रैल या इसके बाद कभी भी मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है।