करोना काल लॉकडाउन 2.0 का दसवां दिन, नए नए षड्यंत्रों से मानवता को डसता मानव

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करोना से जुडी, कई नई नई घटनाएं घटी हैं आज, सबसे पहले तो बात अर्नब की, जिनके बेबाक, सच्चाई से भरे देशहित के तीरों से आहत हुए, चरणछपकलूस बिरादरी के विघ्नसंतोषियों ने पहले तो उनकी आवाज दबाने, उन पर आधी रात हमला किया और फिर उन्ही के ग्रेड टू कैडर ने ढेरों ऍफ़आईआर भी उन पर दर्ज करवा दी, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने विडिओ सुनवाई के जरिये ना सिर्फ इन्हे रग्ध कर दिया बल्कि उनकी सुरक्षा का आदेश भी जारी किया है, देश के न्यायतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए इस निर्णय की बेहद जरुरत थी इस समय।

उधर अपनी पार्टी के आपराधिक कर्मियों के इस कुकर्म की भर्तस्ना करने की जगह उस पार्टी प्रमुख ने, पूरी दुनिया में सराहे जा रहे भारत के जन जन के नेता, प्रधानमंत्री श्री मोदी पर वो आरोप लगाने की कुचेष्टा की, जिसकी सच्चाई दुनिया का बच्चा बच्चा जानता है, लेकिन उनकी किचिन केबिनेट नहीं। जबकि होना तो ये चाहिए था, कि इटली और आसपास के देशों की मौतों के आंकड़े और भारत के समय से लिए गए लॉकडाउन और दूसरे ठोस क़दमों की वजह से भारत में हुई बेहद कम मौतों पर एक जिम्मेदार नेता, विपक्ष के एक सक्षम और प्रमुख नेता के तौर पर उन निर्णयों की सराहना और होंसला अफजाई करते हुए, उन्होंने सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर चलने की कोशिश होती, अच्छा तो ये होता कि वो अपने एक जिम्मेदार नेता, पूर्वप्रधानमंत्री स्व। श्री पीवी नरसिंहवाराव से ही या पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणबदा से ही राजधर्म के कुछ सबक सीख लेतीं, लेकिन उन्होंने मोदी और हिंदुत्व विरोध में ढेरों लक्षमण रेखाएं लांघ ली हैं, जो किसी भी हाल ना तो एक राष्ट्रीय पार्टी को शोभा देता है और ना ही सक्षम विपक्ष के लिए ही उचित है।

वोटबेंक तुष्टिकरण में, आज तो महाराष्ट्र में, उद्धव सरकार ने सारी सीमायें लांघ दीं, रमज़ान के नाम पर सुबह ३।३० से दोपहर १२ बजे तक के लिए बाज़ारों को खोलने की छूट देकर। सौ करोड़ लोग अपने प्रधानमंत्री के आव्हान पर नवरात्रों में अपने अपने घरों में सिमटे रहे थे। जमातियों के कुकर्मों के जरिये, दिल्ली मुंबई के मजदूरों को भड़का कर उनके पलायन के जरिये, संतों की हत्या जैसे घृणित कुकर्म ने भी जिस जनसैलाब को घरों में सिमेटे रखा था, उसे वोटबैंक तुष्टिकारी सरकार ने बेहद ही आपराधिक रूप से क्रियान्वित कर दिया है, इस बीमारी की रोकथाम के लिए, अगले तीन से चार हफ्ते बेहद जरुरी थे, सोसल डिस्टेंसिंग के लिए, लेकिन इस उद्धव सरकार ने तो मानो बाल ठाकरे की यशगाथा का कुछ ही समय में सर्वनाश करने का प्रण ले रखा है। भारत सरकार को चाहिए कि तुरंत महाराष्ट्र सरकार को निलंबित कर लॉ एंड आर्डर अपने हाथ में लेकर व्यवस्था बनवाये, नहीं तो मुंबई जैसे भीड़ भाड़ वाले शहर में, जहाँ ना तो घरों में सूरज की रौशनी आती है, और ना ही शुद्ध हवा, पानी और पौष्टिक भरपेट भोजन मिलता है, वहां के हाल बेहद खतरनाक होने वाले हैं और साथ ही यहाँ से लोगों का बाहर आनाजाना भी पूरी सख्ती से बंद रहे, जब तक कि हर्ड इम्मुनिटी न डेवलप हो जाए! पर शायद केरल, बंगाल, दिल्ली पर सोती रही सरकार, यहाँ भी आँखें मूंदे रहेगी।

आज एक अद्भुत बयान तो अमेरिकी राष्ट्रपति श्री ट्रम्प ने भी दिया, उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों को, करोना के गंभीर मरीजों के फेफड़ों से गंदगी निकालने के लिए उन्हें डिसइंफेक्टेंट के इंजेक्शन लगाने चाहिए, जिस पर उनके सारे डॉक्टर, वैज्ञानिक बगलें झाँक रहे हैं।
उधर व्यापारिक ड्रेगन ने भी आज पाकिस्तान की नकेल को और कस दिया है, चीन के हाथों बिके हुए पाकी पीएम ने करोना के वेक्सीन ट्रायल के लिए अपने नागरिकों का इस्तेमाल करने की छूट देकर उसने यह साबित कर दिया है, कि इलाज की जगह कब्रगाह बनाना उसका कितना सटीक निर्णय था।

पूरी दुनिया आज भारत और उसके सक्षम प्रधानमंत्री की करोना को लेकर की गई तैयारियों और समय से किये गए लॉकडाउन की तारीफें करते नहीं थक रही लेकिन वहीँ दूसरी और बीबीसी भी आज लॉक डाउन पर भारत और मोदी की निंदा करके उसी जमात में जा खड़ा हुआ है, जिसे लोग बिकाऊ और मौकापरस्त के नाम से जानते हैं। विश्वसनीयता खोता देश विदेश का समाचार तंत्र अपनी इस मूर्खता, स्वार्थ और धनलोलुपता के भंवर में खुद ही कब खुर्दबुर्द हो जाएगा, यह शायद वो जानते हुए भी नहीं जानना चाहता और इसीलिए जबकि आज जब उनकी धन के बोझ तले दबी कलम अपने आकाओं की चरमवंदना कर रही है, तब सच्चाई देखने, बयाँ करने की जगह, इन मौकापरस्तों की आँखे आसमां की जगह धरती में उनके पैरों में गड़ी हुई हैं।

और जिन बातों को हम पिछले दो माह से लगातार लिख रहे हैं, उनमे से एक यह है कि यह करोना वायरस चीन द्वारा उसकी लेब में तैयार केमिकल हथियार है और उसका कोई उपचार नहीं है, यह चीन का खुद के नागरिकों (तियाँनमेंन चौक की तरह) को मरवाने या दुनिया के अन्य लोगों को महामारी से ग्रसित कर धन कमाने की लिप्सा मात्र है और यही बात आज नोबेल पुरुस्कार विजेता जापानी प्रोफेसर डॉ होन्जों ने भी कह दी है।

दूसरी बात, जब ट्रम्प महाशय ने वेक्सीन की खोज और क्लोरोक्विन दवा के फर्जी दावे किये थे, तब हमने कही थी कि शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक क्लोरोक्विन दवा इस बीमारी का उपचार नहीं हो सकती और इसके उपयोग से बीमार शरीर को फायदे की जगह नुकसान ज्यादा होंगे, और यह भी बार बार लिखा है कि, किसी वायरस का कोई इलाज नहीं होता, यह आपके शरीर को मजबूती देने, इम्मून सिस्टम प्रगाढ़ करने के लिए प्रकृति, ईश्वरदत्त देवदूत हैं, आपका शरीर इन्ही देवदूत बैक्टीरिया, वायरस से अटा पड़ा है, यही हैं वो सृष्टि के कर्ताधर्ता, जिनसे आपका शरीर, आंतें, मनमस्तिष्क, विचारतंत्र चलता है और बेहद जरुरी विटामिन्स, एन्ज़ाइम्स बनते हैं, लेकिन अगर यह सामंजस्य टूट जाए, जैसे कि किसी घोर बीमारी, एड्स, टीबी, कैंसर, डायबिटीस आदि में या बुढ़ापे में, तो ये वायरस जानलेवा भी साबित हो सकते हैं और पूरी दुनिया में यही हो भी रहा है। और यह बात भी आज सारी दुनिया के विशेज्ञय भी कह रहे हैं। पूरी दुनिया में, दो महीनो के मरीजों के उपचार के परिणामों ने भी यही साबित किया है, कि जिन मरीजों को क्लोरोक्विन दवा दी गई, उनमे ज्यादा मौतें हुईं हैं।
तीसरी एक और प्रमुख बात, हम सबको समझाने, बार बार लिख रहे थे, कि अपने शरीर की इम्मुनिटी मजबूत रखने और करने के लिए गरम पानी, गरम चाय (इसके फिनॉल्स कम्पाउंड बेहद कारगर हैं), हल्दी, तुलसी, आंवला, नीम्बू, आदि के सेवन के साथ साथ, अगर आप सुबह की धूप में एक से दो घंटे योग, प्राणायाम, डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज़ करें, तो यह इम्मुनिटी बढ़ाने के साथ साथ हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस का भी नाश करता है और यह भी आज अमेरिकी एजेंसियों ने स्वीकार कर लिया है।
बातें तो और भी लिखीं हैं आपके खाकसार ने, जिन पर अभी भी देश दुनिया बेखबर है, फिर वो बात चाहे हर्ड इम्मुनिटी भी फ़ैल होने की हो, या अनजाने में ही नवम्बर दिसंबर में आ चुके एक अनजान वायरस की या फिर पेयजल स्रोतों के जरिये फैलने वाले इस वायरस संक्रमण की, हम लगातार चेताते रहे हैं और चेताते, लिखते भी रहेंगे, शायद कभी तो कोई सुने और समय से सुधार हो जाएँ। क्योंकि यही तो है एक सच्चे मानवता की रक्षक कलम की पहचान और जब वो कलम एक सर्जन, लेखक, इन्नोवेटर की हो तो फिर?
और एक सुखद खबर भी आ रही है, करोना जांच के लिए, आईआईटी की सबसे सस्ती किट को मंजूरी दे दी गई है, सिर्फ 300 रुपये में होगी कोरोना की जांच, अभी जो विदेशी किट उपलब्ध है, उससे प्रति टेस्ट का खर्च लगभग 4500 रुपये आता है और उसकी गुणवत्ता भी बेहद शंकास्प्द और ख़राब है, तो यही समय है, अपने प्रधानमंत्री के साथ कंधे से कन्धा मिलाये आगे बढ़ने और मेक इन इण्डिया के जरिये देश को सशक्त बनाने का।

तो करते रहिये, प्रयास इस दिशा में और हाँ, एकजुट रहियेगा, विघ्नसंतोषियों की हर चाल को नाकाम करने, तो मिलते हैं कल, तब तक जै जै रामजी की।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक


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