जीवन बदलना चाहते है तो यह लेख पढ़िए नहीं तो बिलकुल भी मत पढ़िए

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श्मशान घाट पर जो वैराग्य भाव मन में आता था वह बाहर आते ही मोह माया की जाल में उलझ जाता था लेकिन कोरोना महामारी के चलते लंबे समय तक लॉक डाउन में रहने के कारण अब सादा जीवन उच्च विचार के प्रति स्वीकृति बढ़ती जा रही है। यदि आधा प्रतिशत लोगों में ही यह स्थाई भाव आ जाएं तो फिर देश दुनिया की बहुत सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा।
दरअसल सदियों से भारतीय जीवनशैली को हर क्षेत्र में सर्वोत्तम विधि के रूप में माना जाता रहा है। इस पद्धति में मानव प्रकृति से अपने संबंधों को वर्तमान के लिए तथा भावी पीढ़ियों के लिए भी संजोकर जाता था। कोरोना महामारी का कहर सर्वाधिक समृद्धि को श्रेष्ठ मानने वाले देशों और महानगरों में ज्यादा पर प्रहार है। वही गांव में इसका कोई असर नहीं है क्योंकि गांव में आज भी भारतीय जीवन शैली बहुत कुछ बची हुई है दुनिया के तमाम चिकित्सक इस महामारी से बचने के लिए मजबूत प्रतिरोधक क्षमता की बात कर रहे हैं और भारतीय आहार में क्षमता विकसित करने की तमाम औषधियां मसाले के रूप में उपलब्ध है। सुबह से धूप और फिर खेत में पसीना बहाना भारत के गांव में आज भी देखा जा सकता है इसी तरह सादा जीवन ही गांव में देखने को मिलता है।
भारतीय ऋषि-मुनियों ने सादा जीवन उच्च विचार को जीवन का आधार बताया था। तमाम ग्रंथ किसी और मार्ग दिखाते आए हैं लेकिन जैसे-जैसे देशवासी पश्चिमी सभ्यता के शिकार होते गए वैसे वैसे सादा जीवन और उच्च विचार के मूल मंत्र को भूलते गए कोरोना महामारी के चलते इस बार गर्मियों में करोड़ों रुपए का कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम नहीं बिकी उल्टे गरम पानी पीने की सलाह बचाने के लिए दी गई। उन लोगों को समझ जाना चाहिए जो कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम को अनिवार्य रूप से उपयोग करते आए। आज नींबू शहद का पानी और हल्दी वाला दूध उपयोगी माना जा रहा है। इसी तरह वसुदेव कुटुंब की भावना ही उपयोगी मानी जा रही है।
बहरहाल पूरी दुनिया भारतीय जीवन पद्धति की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। तब हम भारतीयों को ना केवल स्वयं में इस जीवन पद्धति को अपनाना है वरन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संजोकर देना है।
कहीं ऐसा ना हो कि पूरी दुनिया भारतीय जीवन शैली को अपना लें और भारतीय ही भूल जाएं जैसा भी योग के संबंध में हुआ। विदेशों में जब योगा नाम से योग चर्चित हुआ तब भारतीय योग तरफ़ लौटे।
आज सबसे बड़ी आवश्यकता जल संरक्षण। जंगलों का संरक्षण और जैविक खेती को महत्व देने की है। इसी से आर्थिक समस्याएं दूर होगी और इसी से स्वच्छ स्वास्थ्य और शक्तिशाली भारत का निर्माण होगा। हमारा सदियों से मूल मंत्र सादा जीवन उच्च विचार रहा है। उसी पर आगे बढ़ने का इशारा यह कोरोना महामारी कर रही है। यदि अभी नहीं समझे तो फिर भविष्य कितना भयावह होगा इसकी कल्पना करना भी कठिन है।

ब्यूरो प्रमुख : देवदत्त दुबे


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