“कोरोना” के साथ “कावासाकी” का हमला झेल रहा है अमेरिका
कल हमने जाते जाते जिक्र किया था कि कोरोना से घुटनों पर आ चुके अमेरिका को अब एक और नई बीमारी “कावासाकी” ने बेदम कर दिया है। ख़ासतौर पर बच्चों को होने वाली इस बीमारी के प्रारंभिक दौर में चकत्ते उभरते हैं, लक्षणों में तेज बुखार और त्वचा का छिलना भी शामिल हैं। त्वचा के चकत्ते ज्यादातर पेट, हाथ पैर और डायपर क्षेत्र में होते हैं। चमकदार लाल फटे होंठ, जीभ का लाल होना ( आमतौर पर इसे स्ट्राबेरी जीभ कहा जाता है) और हाथ और पैरों में लाली और सूजन आ सकती है। इसके बाद त्वचा एक विशेष तरह से छिलना शुरु होती है, यह अंगुलियों की नोक से शुरु होती है (दूसरे से तीसरे हफ्ते में )। आधे से ज्यादा बच्चों में गर्दन का एक तरफ का लिम्फ नोड बढ़ जाता है, कभी-कभी अन्य लक्षण जैसे जोड़ों में दर्द या सूजन, पेट में दर्द, दस्त, चिड़चिड़ापन या सिरदर्द भी हो सकता है। जिन देशों में बी.सी.जी. का टीका दिया जाता है (जोकि टीबी की बीमारी से बचाता है), उन देशों में, छोटे बच्चों में उस निशान क्षेत्र का लाल होना भी दिख सकता है। यह लसीका तंत्रिकाओं, त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली, जैसे की मुंह के भीतर, को भी प्रभावित करता है। इस बीमारी में एक ऐसी स्थिति निर्मित होती है जिससे शरीर में कुछ रक्त वाहिकाओं की दीवारों में सूजन आ जाती है और प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ने और रक्त वाहिकाओं तथा हृदय की धमनियां फैलने से एन्यूरिज्म बनने से स्थिति विकट होने लगती है।
कावासाकी रोग का आमतौर पर उपचार संभव है. प्रारंभिक उपचार में एस्पिरिन और किसी चिकित्सा सुविधा में आईवी (अंतःशिरा) इम्युनोग्लोबुलिन थैरेपी देना शामिल है और अधिकतर केस ठीक हो जाते हैं, लेकिन इस बार अमेरिका में इस बीमारी की तीव्रता देखी जा रही है और जिस तरह से अमेरिका में करोना का संक्रमण बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुँच गया है, वहां एक और नए संक्रमण ने अमेरिका को बेदम कर दिया है।
डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत