दुनिया में कितने गम है मेरा गम कितना कम है दुनिया के गम देखा तो मैं अपना गम भूल गया

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देवदत्त दुबे

जो लोग सर्व सुविधा युक्त घर में अपने परिवार के साथ रहने में भी कष्ट महसूस कर रहे हैं । वाद-विवाद कर रहे हैं । उन्हें “अमृत” फिल्म में मोहम्मद रफी द्वारा गाया हुआ है यह गाना “दुनिया में कितने गम है मेरा गम कितना कम है” सुन लेना चाहिए साथ ही टीवी पर मुंबई दिल्ली जैसे महानगरों से मजदूर वर्ग अपने गांव को पैदल ही सामान सिर पर लादें छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल ही निकल पड़े हैं। उनका गम देख लेंगे तो शायद अपना गम भूल जाएंगे।

फिल्म “अमृत” का गाना “दुनिया में कितने गम है मेरा गम कितना कम है

इस समय पूरी दुनिया के साथ-साथ देश और प्रदेश में भी कोरोना का कहर से हाहाकार मचा हुआ है। अधिकांश लोग अपने-अपने घरों में दुबक गए हैं, क्योंकि इसी में समझदारी है। लेकिन कुछ लोगों पर ऐसी मुसीबत आन पड़ी है कि वे यह समझदारी भी नहीं दिखा सकते देश में अचानक से लॉकडाउन हो जाने से जो जहां था वहीं रह गया क्योंकि हवाई रेल और सड़क यातायात बंद हो गया। ऐसे में उन लोगों की मुसीबत और भी बढ़ गई है, जो मजदूर वर्ग से आते हैं और रोजी रोटी के लिए देश में जहां बिहार और उत्तर प्रदेश से दिल्ली और मुंबई गए हुए थे और अब पैदल ही अपने-अपने राज्यों और घरों की ओर निकल पड़े है । पैदल भी चल रहे हैं, सामान भी लादे हैं और छोटे-छोटे बच्चे हैं ना कहीं रुकने की व्यवस्था है, ना कहीं खाने पीने की व्यवस्था है। कब गांव पहुंचेंगे कहा नहीं जा सकता । ऊपर से मौसम में कहीं बरसात, कहीं ओले पड़ रहे हैं। इसी तरह प्रदेश में भी महानगरों से मजदूर गांव की ओर लौट रहे हैं सोचो इन लोगों के कितने कष्ट हैं।

दूसरी ओर अधिकांश लोग अपने-अपने सुविधा युक्त घरों में परिवार के साथ रहने में कष्ट बता रहे हैं। बार-बार लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं पुलिस वालों को उन्हें सड़क पर पिटाई करनी पड़ रही जबकि इस समय सबसे बड़ी जरूरत अपने-अपने घरों में रहने की है। जिससे कि यह महामारी लोगों को संक्रमित नहीं कर पाए। सब लोग जानते हैं ना तो पूरी तरह इस रोग की टेस्ट की सुविधा है ना अस्पताल हैं और ना कोई दवाई है जब सब कुछ सामने है तो फिर समस्या क्यों हो रही है बार-बार कहां जाना पड़ रहा है कि आप घर में रहे और घर पर रहकर ही आप बहुत लोगों की मदद कर सकते हैं। जो लोग बाहर फंसे हैं, उनकी सूचनाएं सरकार तक पहुंचा सकते हैं। संपन्न लोगों की घरों में जो काम करने आते थे, सफाई, बर्तन कपड़े धोने वाले, ड्राइवर, आदि की व्यवस्था कर सकते हैं। उन्हें छुट्टी देकर 2 महीने का एडवांस दे सकते हैं क्योंकि आप बहुत सुरक्षित हैं बाकी कितने परेशान हैं अपने घर पहुंचने के लिए आप घर पर हैं तो परिवार परंपरा को मजबूत कर सकते हैं।

अपने संस्कारों को जीवित कर सकते हैं बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है, कि 21 दिन घर में रहना पड़ेगा यह अवधि आगे भी बढ़ सकती है अभी तो केवल दुनिया के गम देखो तो अपने गम को भूल जाओगे। कुल मिलाकर इस समय पूरी दुनिया इस समय एक ही बात याद रहा चाहिए दुनिया में कितने गम है मेरा गम कितना कम है दुनिया के गम देखे तो मैं अपना गम भूल गया की। भयावह तस्वीर है जिस घर में किसी सदस्य को कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है। उसको अस्पताल में भर्ती किया जाता है वहां कोई आजा भी नहीं सकता और जो ठीक नहीं होते वह अस्पताल से सीधे श्मशान घाट चले जाते हैं। सोचो कितना छोटा सा उपाय है केवल घर में रहना है परिवार के साथ है और ना खुद को संकट में डालना है ना किसी और को डालना है ।


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