कुंभ संदेश यात्रा’ का प्रयागराज में भव्य स्वागत

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देवता-असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकले अमृत कुंभ के रहस्य तथा कुंभ मेला के धार्मिक, पौराणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक रहस्य से जन-जन को जोडऩे की यह कोशिश है। जी हां, कुछ इसी उद्देश्‍य को लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 27 फरवरी को निकली ‘कुंभ संदेश यात्रा’ का सोमवार को प्रयागराज आगमन हुआ। जगह-जगह यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। संतों, वकीलों, चिकित्सकों व नेताओं ने पुष्पवर्षा करके यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत करके कुंभ के संदेश को आत्मसात किया। यात्रा में शामिल लोग करीब पांच हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करके कुंभनगरी तीर्थराज प्रयाग पहुंचे।

कैवल्य धाम आश्रम झूंसी में कुंभ पर आधारित संतों की गोष्ठी

कैवल्य धाम आश्रम झूंसी में कुंभ पर आधारित संतों की गोष्ठी हुई। टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि कुंभ संदेश यात्रा सनातन धर्म से जन-जन को जोडऩे का सशक्त माध्यम है। इस सार्थक पहल को अनवरत जारी रखने की जरूरत है। डॉ. रामनरेश त्रिपाठी ने कुंभ के वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। तक्षक पीठाधीश्वर रविशंकर जी महाराज ने कुंभ के धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व को आम लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया। यात्रा का नेतृत्व कर रहे श्रीनिवास रेड्डी ने अभी तक के सफर के सार्थक परिणाम की जानकारी दी।

यात्रा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय ने कहा कि दुनिया कोरोना महामारी से भयभीत है। ऐसी स्थिति में लोगों को भय से मुक्त करके जीवन में नई चेतना लाने के लिए कुंभ संदेश यात्रा निकाली गई है। यात्रा में दिल्लीवसंत, बालकृष्ण रेड्डी, मधुसूदन अर्गे, मस्तान रेड्डी सहित दर्जनभर लोग शामिल हैं।

कुंभ संदेश यात्रा का एकलव्य चौराहा पर हाई कोर्ट के वकीलों ने स्वागत किया। वहीं, प्रयाग संगीत समिति के पास डॉ. बीबी अग्रवाल के नेतृत्व में यात्रा में शामिल लोगों का माल्यार्पण किया गया। भारद्वाज आश्रम पर विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी के नेतृत्व में स्वागत हुआ। हर्षवर्धन ने कहा कि यह यात्रा समाज में कोरोना के निराशा भरे माहौल में नई जागृति फैला रही है। डॉ. रंजना वाजपेयी ने यात्रा में शामिल लोगों को गंगाजली भेंट किया। शंकरविमान मंडपम् में बृजेंद्र मिश्र के नेतृत्व में स्वागत किया गया।

कुंभ संदेश यात्रा मंगलवार को वाराणसी रवाना हो गई। आचार्य अविनाश राय ने बताया कि 24 मार्च को यात्रा दिल्ली पहुंचेगी। वहां से वाहन छोड़कर पदयात्रा करते हुए 31 मार्च को हरिद्वार पहुंचेंगे। हरिद्वार में गंगा का पूजन करके संतों व अखाड़ों से यात्रा का अनुभव तथा परिणाम को साझा किया जाएगा। फिर उनसे कुंभ को लेकर चर्चा की जाएगी। सारे मुद्दों पर विमर्श करके प्रस्ताव बनाकर उसे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को दिया जाएगा, जिससे वो कुंभ को बढ़ावा देने के लिए उसके अनुरूप काम करें।


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