कौन हैं वीरेंद्र सिंह जिन्होंने मोदी के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया

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मोहब्बत कौन करता है ,
सियासत कौन करता है।
मुझे पता है,
मेरी हिफाजत कौन करता है।।

2018 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एस सी एस टी एक्ट में संशोधन कर संसद से ऐसा बिल पास कराया जिसके कानून बन जाने पर एस सी एस टी एक्ट लागू होने पर पर तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान था, बिल पास हो गया और कानून बन गया परंतु इसका पूरे देश में व्यापक स्तर पर विरोध हुआ परंतु वर्तमान प्रयागराज और तत्कालीन इलाहाबाद में इसका विरोध अलग तरीके से हुआ, जहां पर आरक्षण समीक्षा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक वीरेंद्र सिंह ने 6 अगस्त और 9 अगस्त को प्रयागराज में बड़ा आंदोलन किया।इसके बाद उन्होंने 30 अगस्त को प्रयागराज के सिविल लाइंस में सुभाष चौराहे से देश की लोकसभा के 543 लोकसभा सांसदों की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली जिसमें से आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शव था। हालांकि शव यात्रा संपन्न हुई परंतु इसकी चर्चा पूरे देश में हुई क्योंकि नरेंद्र मोदी के शव का दहन करना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी। वह भी तब जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की मजबूत सरकार हो । वीरेंद्र सिंह ने इस शव यात्रा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के पिता भदरी नरेश राजा उदय प्रताप सिंह(बड़े महराज) को आमंत्रित किया था और वह शव यात्रा में शामिल लोगों का उत्साहवर्धन कर रहे थे साथ ही साथ शवयात्रा में पैदल मार्च भी किये थे। सदैव राजनीतिक कार्यक्रम से दूर रहने वाले बड़े महाराज के लिए यह सार्वजनिक रूप से पहला ऐसा कोई मामला था जिसमें राजा उदय प्रताप सिंह शामिल हुए थे, परंतु इन सब से बड़ी बात यह थी कि उस समय वीरेंद्र सिंह एक रोड एक्सीडेंट में घायल हो गए थे और उनके पैर और हाथ दोनों में प्लास्टर चढ़ा हुआ था डॉक्टरों के कई बार मना करने के बावजूद भी उन्होंने यह आंदोलन किया और राष्ट्रीय फलक पर अपने आप को और इस आंदोलन को चर्चा का विषय बनाया तथा मीडिया की सुर्खियां भी बनी। वीरेंद्र सिंह यहीं नहीं रुके तेरहवें दिन यानी 12 सितंबर 2018 को उन्होंने प्रयागराज उन सबकी तेरहवीं की जिसमें उन्होंने काशी, अयोध्या और प्रयागराज के ब्राह्मणों को आमंत्रित किया,इन ब्राह्मणों ने श्राद्धकर्म कराया लोगों ने मुंडन कराया , पिण्ड दान भी किया गया परंतु ब्राह्मणों ने भोजन नहीं किया, उनके द्वारा कहा गया कि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के साथ साथ विपक्ष के सांसदों के द्वारा भी बिल के खिलाफ एक शब्द ना बोलकर समाज में वैमनस्यता फैलाने का जो कृत्य किया गया है वो शर्मनाक है इस कारण हम सभी इन सांसदों की तेरहवीं में भोजन कर पाप के भागी नहीं बनना चाहते हैं।

2 महीने बाद रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने लखनऊ में 15 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जिसमें उन्होंने एससी एसटी एक्ट में केंद्र सरकार के द्वारा किये गये संशोधन, प्रमोशन में आरक्षण और शहीदों के परिवार को दिए जाने वाले सहायता राशि में भेदभाव का मुद्दा उठाया तब वीरेंद्र सिंह को लगा कि राजा भैया से जुड़कर इन मुद्दों का राजनीतिक रुप से समाधान किया जा सकता है क्योंकि यह वही मुद्दे थे जिन पर वीरेंद्र सिंह एक लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे और नई दिल्ली स्थित मयूर विहार कॉलोनी में भारत के 16 प्रांतों से आए हुए लोगों ने उन्हें “आरक्षण समीक्षा मोर्चा” का राष्ट्रीय संयोजक बनाया था।

फिर क्या था प्रेस कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन उन्होंने प्रयागराज के सिविल लाइंस स्थित अपने कार्यालय पर एक बैठक की और उसमें फैसला लिया गया कि राजा भैया के द्वारा उठाए गए मुद्दे जनहित में हैं और उसका समर्थन किया जाना चाहिए, इस बैठक में ब्राह्मण क्षत्रिय एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गोरखपुर पीठ से जुड़े राजकुमार शुक्ल और संयोजक क्रांतिगुरु गणेश बल्लभ द्विवेदी भी मौजूद थे। फिर 17 नवंबर को वह राजा भैया के लखनऊ में कैंट एरिया स्थित आवास रामायण पर अपने सैकड़ों साथियों के साथ पहुंच गये और उनको अपना समर्थन दिया जिसमें उनके साथ 27 गाड़ियों से उत्तर प्रदेश के 12 जनपदों के लोग शामिल थे।30 नवंबर 2018 को रजत जयंती समारोह जिसका आयोजन लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में हुआ उस आयोजन में भी वीरेंद्र सिंह अपने तमाम संगठनों के साथ रैली में शामिल हुए। वहां से आनेेे के बाद वीरेंद्र सिंह और उनके कार्यकर्ताओंं ने जगह जगह पर समानता के अधिकार की बात उठाने के लिए राजा भैया के लिए धन्यवाद पद यात्राओं का आयोजन भी किया और उन्होंने 20 से अधिक धन्यवाद पद यात्राओं का आयोजन किया जो प्रयागराज की प्रत्येक तहसील और शहर में किया गयाा।इसी बीच पद्मावती फिल्म के विरोध कौशांबी प्रतापगढ़, फतेहपुर, प्रयागराज आदि जिलों में किया और वीरेंद्र सिंह पर मुकदमा दर्ज हुआ।

इसके बाद कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के लिए जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा की कई चरणों में चुनाव होने थे कौशांबी लोकसभा सीट से शैलेंद्र कुमार प्रत्याशी थे उनके चुनाव प्रचार में आरक्षण समीक्षा मोर्चा के बैनर तले वीरेंद्र सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी।चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत 25दिसंबर से हुई, उसमें वीरेंद्र सिंह अपने तमाम कार्यकर्ताओं और अपने करीबी किसान नेता सर्वजीत सिंह के साथ तन,मन और धन के साथ पार्टी के लिए प्रचार के लिए एक सप्ताह पूर्व कौशांबी में डेरा डाल दिया था । कौशांबी जनपद के प्रधान संघ के पूर्व अध्यक्ष और कुंवर रघुराज प्रताप सिंह के करीबियों में शुमार वीरेंद्र सिंह टेवां कहते हैं कि वीरेंद्र सिंह ने कौशांबी में डेरा डाल दिया था और पूर्व चुनाव प्रचार के दौरान वह समर्पित रहे। वहीं पर कौशांबी के सिराथू तहसील के बार एसोसिएशन के 40 वर्षों से लगातार अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता बसंत सिंह के अनुसार वीरेंद्र सिंह की संगठनात्मक शक्ति बड़ी अद्भुत है। उनके पास लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता है। वीरेंद्र सिंह ने शैलेंद्र कुमार के समर्थन में कौशांबी के मंझनपुर में होने वाली रैली जिसमें राजा भैया भी शामिल हुए थे उसमें जोरदार भाषण दिया और वह भाषण जनता के बीच चर्चा का विषय बना। 12 अप्रैल को शैलेंद्र कुमार को नामांकन के दौरान वीरेंद्र सिंह के साथ अखिल भारतीय ब्राह्मण उत्थान सभा के राजीव शुक्ला, ब्राह्मण क्षत्रिय एकता मंच के संयोजक क्रांतिगुरु गणेश बल्लभ द्विवेदी, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कौशांबी जनपद के जिलाध्यक्ष व वर्तमान ग्राम प्रधान श्याम सिंह राजू, सवर्ण विकास सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामबाबू मिश्रा, सवर्ण आर्मी के राघवेंद्र सिंह रोहित एडवोकेट साहू महासभा के आरके साहू, पटेल स्वाभिमान मंच के जवाहर पटेल ,निषाद उत्थान समिति के राजू निषाद, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के मंडल उपाध्यक्ष शैलेंद्र प्रताप सिंह मंडल महामंत्री आर ०पी०सिंह के साथ सैकड़ों लोग शामिल हुए।इन लोगों ने एक माह तक कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के सिराथू, चायल, मंझनपुर, कुंडा और बाबागंज में जमकर प्रचार किया।

इसी तरह से प्रतापगढ़ लोकसभा चुनाव में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी और विधान परिषद सदस्य कुंवर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी के चुनाव में भी उन्होंने पूरी ताकत के साथ प्रचार किया प्रतापगढ़ के संग्रामगढ़ के दीवानगंज बाजार में उन्होंने ब्राह्मण क्षत्रिय एकता पर दमदार भाषण दिया जिसे सोशल मीडिया पर आज भी लोग शेयर करते रहते हैं।उन्होंने वह मुद्दा उठाया जिसमें कौशांबी के मंझनपुर तहसील के बारां गांव में भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर के काफिले के लोगों ने प्रभात त्रिपाठी नाम के युवक को पीट दिया था, इसके अलावा भाजपा के भदोही लोकसभा सीट के प्रत्याशी रमेश बिंद ने ब्राह्मणों को जनेऊ देखकर पीटने की बात कही थी।इस पर भी मंच से वीरेंद्र सिंह ने रमेश बिंद को जमकर ललकारा था। इस बात के साक्षी उमाशंकर परिहार ,डब्लू गिरि और रायबरेली जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष अशोक परिहार है। परंतु नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की लहर के चलते शैलेंद्र कुमार और गोपाल जी को पराजय का सामना करना पड़ा। बाद में वीरेंद्र सिंह ने अपने सिविल लाइंस प्रयागराज स्थित प्रापर्टी के कार्यालय को बगल के फ्लैट में स्थानांतरित कर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को समर्पित कर दिया उसी में प्रयागराज का जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का प्रधान कार्यालय है, जिसका उद्घाटन कुंवर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने 13 अक्टूबर को किया था। इस कार्यालय के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह के निर्देश के अनुसार स्वयं राजा भैया को छोड़कर जनसत्ता दल के सारे कद्दावर नेता उपस्थित थे। वर्तमान समय में वीरेंद्र सिंह हर वक्त उसी कार्यालय में उपस्थित मिलते हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान करते रहते हैं।इसी कार्यालय में उन्होंने बड़े महाराज राजा उदय प्रताप सिंह की प्रेरणा से देश और प्रदेश से आने वाले लोगों के लिए भोजन ,नाश्ता और सोने का प्रबंध निशुुुल्क किया है। वीरेंद्र सिंह के करीबी शैलेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि प्रयागराज में उच्च न्यायालय, पुलिस हेड क्वार्टर ,बेसिक शिक्षा परिषद ,माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रधान कार्यालय , मेडिकल कॉलेज और अस्पताल होने के कारण विभिन्न जनपदों से लोग आते हैं, और यहां रुक करके अपना काम करके चले जाते हैं और वे सभी यहां आकर माननीय राजा भैया जी के विचार से भी अवगत होते हैं।

कौन हैं वीरेंद्र सिंह

स्वभाव से समाजवादी विचारधारा को मानने वाले वीरेंद्र सिंह अपना राजनीतिक गुरु अनुग्रह नारायण सिंह को मानते हैं,। वे समाजवादी भूमिहार नेता बिहार के रहने वाले बाबू कपिल देव सिंह, छोटे लोहिया जनेश्वर मिश, इलाहाबाद विश्व विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष देवरिया जिले के मोहन सिंह,और समाजवादी विचारक रघु ठाकुर समाजवादी विचारक विजयनारायण जी और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को अपना आदर्श मानते हैं। रेवती रमण सिंह, जनेश्वर मिश्र और लल्लन राय के साथ संघर्ष करते हुए जेल भी जा चुके वीरेंद्र सिंह संघर्षशील ,व्यवहार कुशल और लोगों के सुख-दुख में खड़े रहने वाले मूल रुप से आंदोलनकारी और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं । हालांकि एक समय में अमर सिंह के जमाने में वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव के साथ-साथ आजमगढ़ और फैजाबाद मंडल प्रभारी हुआ करते थ।े समाजवादी पार्टी में उस समय अमर सिंह मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबियों में शुमार होने के साथ-साथ बड़े नेता माने जाते थे। अमर सिंह वीरेंद्र सिंह को छोटे भाई की तरह पूरा प्यार देते थे, और पूरे समाजवादी पार्टी को अमर सिंह और वीरेंद्र सिंह की नजदीकियां पता थी। यह वह दौर था जब कई कैबिनेट मंत्री व विधायक गण भी अमर सिंह से पैरवी कराने के लिए वीरेंद्र सिंह के पास आया करते थे। वीरेंद्र सिंह ने अखिलेश यादव के प्रथम लोकसभा चुनाव प्रचार कन्नौज में भी बड़ी भूमिका निभाई थी।यह वह दौर था जब वीरेंद्र सिंह के सितारे बुलंदियों पर थे। परंतु वीरेंद्र सिंह ने उस का नाजायज फायदा कभी नहीं उठाया उस समय के कद्दावर समाजवादी नेता बाबू कपिल देव सिंह और जनेश्वर मिश्रा वीरेंद्र सिंह को अपने बेटे की तरह मानते थे। एक दौर ऐसा भी आया जब अमर सिंह को समाजवादी पार्टी छोड़नी पड़ी और वीरेंद्र सिंह ने भी समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया और अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोक मंच नामक नये राजनीतिक दल का गठन किया।इस दौरान वीरेंद्र सिंह को पूरे प्रदेश में किये जाने वाले दौरे (इलाहाबाद से बलिया)की टीम का संरक्षक बनाया गया।

इसी बीच वीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय राजनीतिक पत्रिका शार्प रिपोर्टर और साहित्यिक पत्रिका मनमीत का प्रकाशन आरंभ किया और वे उसके संस्थापक बने। शार्प रिपोर्टर पत्रिका आज हिंदुस्तान के 18 हिंदी भाषी प्रांतों में पढ़ी जाती है और प्रत्येक जिलोे में उसके संवाददाता मौजूद हैं इसके अलावा मनमीत हिंदी साहित्य में लगाव रखने वाले छात्रों और अन्य व्यक्तियों में अधिक मांग वाली पत्रिका हैं । मनमीत प्रेम, अनुभूति और साहित्य पर आधारित पत्रिका है। पत्रकारिता के साथ-साथ वीरेंद्र सिंह ने संगठन की राजनीति भी शुरू कर दी और उन्हें भारतीय पत्रकार संघर्ष मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा सामाजिक क्षेत्र में वीरेंद्र सिंह प्रयाग सामाजिक मानव उत्थान समिति, प्रयाग कौमी एकता समिति, भारतीय संस्कृति संरक्षण संवर्धन समिति और बुद्धिजीवी मंच प्रयागराज के अध्यक्ष होने के साथ-साथ अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा प्रयागराज मंडल अध्यक्ष भी हैं।

वहीं पर यदि राजनीतिक संगठनों की बात की जाए तो वीरेंद्र सिंह 6 वर्ष तक समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव और आजमगढ़ और फैजाबाद मंडल के प्रभारी रह चुके हैं इसके अलावा हिंद मजदूर सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष और वर्तमान में सवर्ण आर्मी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं हिंद मजदूर सभा का प्रदेश उपाध्यक्ष होने के दौरान उन्होंने प्रयागराज के इंडस्ट्रियल एरिया नैनी में मजदूरों के हितों की लड़ाइयां लड़ी। प्रयागराज में सागरपेशा वालो की लड़ाई अनुग्रह नारायण पूर्व विधायक के साथ लड़ी और उन्हें न्याय दिलाया। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के निर्वाचित अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह एडवोकेट के अनुसार वीरेंद्र सिंह अपने लोगों के लिए जी जान से काम करने वाले व्यक्ति हैं।अमरेंद्र नाथ सिंह कहते हैं कि कोई ऐसा संगठन नहीं है जिस के चुनाव में वीरेंद्र सिंह का हस्तक्षेप ना हो क्योंकि वीरेंद्र सिंह के लोग हर जगह हैं क्योंकि उनका मूल स्वभाव ही समाज सेवा है,शायद इस कारण से लोग वीरेंद्र सिंह को पसंद करते हैं।

सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम, महोबा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री बादशाह सिंह, गाजीपुर जिले से आने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, फैजाबाद के अभय सिंह, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह, कांग्रेस नेता राज बब्बर , वर्तमान मंत्री अनिल राजभर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रतापगढ़ लोकसभा से पूर्व सांसद कुंवर हरिवंश सिंह , मछली शहर से पूर्व सांसद सी एन सिंह और सपा के राजेंद्र चौधरी आजमगढ़ के दुर्गा प्रसाद यादव देवरिया के पूर्व मंत्री ब्रम्हा शंकर त्रिपाठी हाथरस के राकेश सिंह राना आदि से वीरेंद्र सिंह के अच्छे संबंध हैं। समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आसिम आजमी से भी अच्छे ताल्लुकात रखने वाले वीरेंद्र सिंह ने उस समय राज ठाकरे पर आजमगढ़ में मुकदमा दर्ज कराया जब मराठी में शपथ न लेने पर महाराष्ट्र विधानसभा में आजमी की कथित पिटाई की गई। राष्ट्रीय जनता दल प्रदेश अध्यक्ष स्वर्गीय बाबू भोला सिंह और रायबरेली के सदर विधायक स्वर्गीय अखिलेश सिंह से भी अच्छे संबंध वीरेंद्र सिंह के थे।

वीरेंद्र सिंह और बड़े महाराज राजा उदय प्रताप सिंह

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता भदरी नरेश राजा उदय प्रताप सिंह का भी आशीर्वाद लगातार वीरेंद्र सिंह को मिलता रहा है।हर वर्ष मुहर्रम के दौरान जब राजा उदय प्रताप सिंह को नजरबंद किया जाता है तब वीरेंद्र सिंह अपनी पूरी टीम के साथ राजा उदय प्रताप सिंह से मिलने के लिए अवश्य जाते हैं इसके अलावा कभी-कभी राजा उदय प्रताप सिंह स्वयं वीरेंद्र सिंह को मिलने के लिए बुलाते हैं और विभिन्न मुद्दों पर बातें करते हैं जनवरी महीने में विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण तोगड़िया जब बड़े महाराज राजा उदय प्रताप सिंह से मिलने के लिए आ रहे थे तब 3 दिन पहले राजा उदय प्रताप सिंह ने वीरेंद्र सिंह को बुलाया था और कहा कि प्रवीण तोगड़िया के आने के दौरान आपको अपनी पूरी टीम के साथ उपस्थित रहना है इसके अलावा सदैव सोशल मीडिया और मीडिया से दूर रहने वाले राजा उदय प्रताप सिंह वीरेंद्र सिंह से खुल कर बात करते हैं और हर मुद्दे पर अपने विचार रखते हैं यह कोई संयोग नहीं है कि कभी भी किसी राजनीतिक कार्यक्रम में भाग न लेने वाले राजा उदय प्रताप सिंह ने एससी एसटी एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण के विरुद्ध होने वाले आंदोलन में वीरेंद्र सिंह के आमंत्रण को स्वीकार किया और आंदोलन में शामिल होकर वीरेंद्र सिंह को और उनके संघर्षों के साथियों को पूरा आशीर्वाद दिया। 2019 में जब राजा उदय प्रताप सिंह के ऊपर मोहर्रम के दौरान भाजपा सरकार ने मुकदमा दर्ज कराया था वीरेंद्र सिंह ने इसकी तीखी आलोचना की।नजरबंदी के समय लगातार अपने साथियों के साथ भदरी बड़े महराज से मिलने जाते है और दिन भर महराज के साथ रहते है।कई बार तो पुलिस प्रशासन से झड़प भी हो जाती हैं।

सौरभ सिंह सोमवंशी

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