बिहार : PMCH के रिसर्च HOD का दावा खून के टेस्ट से कोरोना के 6 स्टेज का पता चलेगा

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डा अजय ओझा ।

बिहार ने फिर दिखाया रास्ता:PMCH ने रिसर्च कर किया दावा- हमारे जांच मॉडल में एक बूंद खून के टेस्ट से कोरोना के 6 स्टेज का पता चलेगा, ऐसा करके तीसरी लहर को रोक पाएंगे ।

PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के HOD डॉ. एसएन सिंह ने देश को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने का तरीका तलाश किया है। रिसर्च के आधार पर उनका दावा है कि रैपिड एंटिजन और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को एक साथ करने से कोरोना की तीसरी लहर देश में नहीं आ सकती है। उसे समय से रोका जा सकता है।

डॉ. सिंह का दावा है कि इस मॉडल से कोरोना के 6 स्टेज का पता चलेगा। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मॉडल के 5 फायदे भी गिनाए हैं। साथ ही पूरे देश में इसे लागू करने की अपील की है। उन्होंने पहले खुद, फिर पत्नी पर रिसर्च किया। इसके बाद करीब 100 लोगों पर रिसर्च के बाद वे तीसरी लहर को रोकने का दावा कर रहे हैं।

पहले खुद पर फिर पत्नी पर किया रिसर्च

एचओडी डॉ. एसएन सिंह ने पीएम के अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव और नीति अयोग के सदस्य वीके पाॅल को भी पत्र लिखा है। उन्होंने रिसर्च की शुरुआत सबसे पहले खुद पर ही की। एक सप्ताह, दो सप्ताह और तीन सप्ताह तक एंटीबॉडी जांच करते गए। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी पर जांच को लेकर शोध किया।

परिवार के अन्य सदस्यों पर शोध करते-करते 100 लोगों की जांच की। इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली और वह मॉडल मिल गया। जिस पर चाइना और साउथ कोरिया भी काम कर चुका है। डॉ. एसएन सिंह बिहार के काफी चर्चित और प्रतिष्ठित शोधकर्ता हैं। वे अब तक कई शोध कर चुके हैं।

कैसे किया रिसर्च

डॉ. एसएन सिंह ने एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट के साथ एलाइजा IGM का टेस्ट किया। इस बड़े शोध में पाया कि दोनों टेस्ट की संयुक्त पहचान 90 से 100 प्रतिशत तक रही, जो RT-PCR जांच से लगभग 50 गुणा अधिक रही। जिन लोगों का दोनों टेस्ट निगेटिव आया। उस पर फिर से एलाइजा IGM टेस्ट कराया। एक- एक कर किए गए 100 लोगों पर शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट को संयुक्त रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट में इस्तेमाल किया जाए तो देश का करोड़ों रुपए बचेगा। साथ ही काफी तेजी से जांच हो जाएगी। मरीज का इलाज और आइसोलेशन भी उतनी ही तेजी से हो सकेगा। इससे RT-PCR की जांच रिपोर्ट के लिए होने वाला लंबा इंतजार और इससे फैलने वाले संक्रमण पर रोक लग जाएगा।

रैपिड एंटीबॉडी का ऐसे आ जाएगा रिजल्ट

टेस्ट कार्ड में M और G एंटीबॉडी की लाइन दिखाई पड़ती है। जिसकी गिनती बड़ी आसानी से की जा सकती है। अगर हल्की M लाइन दिखती है तो 7 दिनों के आसपास का कोरोना है। अगर गाढ़ी M लाइन दिखी तो कोरोना एक से दो सप्ताह के बीच का है।
अगर गाढ़ी M लाइन और हल्की G लाइन दिखी तो कोरोना दो से तीन सप्ताह का है।अगर गाढ़ी M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 3 से 4 सप्ताह का है।
अगर हल्की M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो 4 से 6 वीक का कोरोना है। अगर केवल गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 6 वीक के बाद का है जो एंटीबॉडी के रूप में है। यह एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक रह सकती है। यह पोस्ट कोरोना का संकेत होगा।

जांच के नए मॉडल का PM को बताया 5 फायदा

PM नरेंद्र मोदी को भेजे गए रजिस्टर्ड पत्र और ईमेल में लिखा है कि ऐसे ही मॉडल से चाइना और साउथ कोरिया के साथ दुनिया के कई देश कोरोना पर काबू पा चुके हैं। उन्होंने PM को भेजे पत्र में बताया है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट और रैपिट एंटीबॉडी टेस्ट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों टेस्ट का एक साथ स्क्रीनिंग टेस्ट शुरू करने से देश को 5 बड़े फायदे होंगे।

दोनों टेस्ट की संयुक्त पहचान क्षमता 90 से 100 प्रतिशत है, जो RT-PCR की 50 प्रतिशत की क्षमता से लगभग दोगुनी अधिक है। दोनों रैपिड टेस्ट निगेटिव आने के बाद एलाइजा IGM एंटीबॉडी टेस्ट करना होगा। ऐसा करने से कोरोना मरीजों की पहचान काफी तेजी से होगी।
कोरोना जांच सभी जगह आसानी से हो पाएगी। कोई भी व्यक्ति मिनटों में ट्रेनिंग लेकर जांच दोनों रैपिड टेस्ट से कर सकेगा। यह टेस्ट बिना किसी लैब सेटअप के शहरों और ग्रामीणें इलाकों में किया जा सकता है।
कोरोना की जांच की संख्या में हर दिन कई गुना बढ़ोत्तरी की जा सकेगी। मरीजों की तेजी से पहचान कर उन्हें तत्काल आइसोलेशन में रखा जा सकेगा। जांच बढ़ाने के लिए कोई बड़ा उपाय भी नहीं करना होगा।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर पूरी तरह से ब्रेक लगाया जा सकेगा और अंततः: हमें कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी। कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा ही कोरोना में संवेदनशील होता है और इस पर तो मिनटों में काबू पाया जा सकेगा।
इकोनॉमिक रिवाइवल का बड़ा फायदा होगा। दोनों रैपिड किट और एलाइजा IGM किट RT PCR की तुलना में 50 से 100 गुणा सस्ते हैं। यह अत्यंत सरल भी हैं। इस तरह राज्य और देश का करोड़ों रुपए हर दिन का बचत होगा। इससे कोरोना के कहर से लड़खड़ाती हमारी अर्थ व्यवस्था पुनर्जीवित हो उोगी।

पूरे देश में लागू करने की मांग

डॉ. एसएन सिंह कहते हैं कि जब रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट 6 स्टेज बता रहा है तो क्यों न इसे पूर देश में तत्काल लागू कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि RT-PCR के एक जांच पर लगभग 2500 से 5000 का खर्च आता है। जबकि, किट से आसानी से 10 से 20 रुपए में उससे अधिक तेज और 6 स्टेज की जांच हो जाएगी। इसके बाद भी इसे क्यों नहीं जांच में लाया जा सका है।

उन्होंने कहा कि CM नीतीश कुमार को भी पत्र लिखा है, जिसमें 15 से 20 दिन में कोरोना कंट्रोल करने का तरीका सुझाया है। CM ने इस पत्र की कॉपी राज्य के सभी सिविल सर्जन, मेडिकल कॉलेजों, डीएम, पुलिस अधिकारियों, चिकित्सा संस्थानों के साथ हर स्वास्थ्य व सुरक्षा से जुड़े सभी विभाग के आला अफसरों को सर्कुलेट कराई है। इसमें कोरोना को काबू करने को लेकर हर उपाए सुझाए गए हैं। टीकाकरण से लेकर टेस्टिंग तक की टिप्स है।

जानें डॉ. एसएन सिंह के बारे में

PMCH के माइक्रोबायोलॉजी के HOD डॉ. एसएन सिंह बिहार के रोहतास जिले के नोखा के रहने वाले हैं। 1980 में उन्होंने नालंदा मेडिकल कॉलेज से MBBS किया था। वे MBBS में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। उन्होंने MD माइक्रो एंड पैथ की डिग्री ली है। साथ ही डिप्लोमा इन क्लीनिकल पैथ भी किया है। कालाजार का रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका रही है। अमेरिका के डॉ. एस बी चौधरी के निर्देशन में उन्होंने कालाजार के रैपिड एंटीजन किट के लिए बड़ा योगदान दिया है। बोन मेरो से ट्यूबर क्लोसिस की भी उन्होंने खोज की थी। यह ब्रिटिश जनरल में भी प्रकाशित हुआ था। वे दुनिया के पहले ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने एक लाख से ज्यादा बोन मैरो और एस्क्लीरिक फंक्शन टेस्ट किए हैं।


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