कम्पलीट स्टोरी :ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से निष्कासित, भाजपा मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी

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संदीप मित्र

कांग्रेस विधायक त्याग पत्र के साथ

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं के बीचे इस साल की होली राजनीतिक रंग और सत्ता का सुख लेकर भी आई है। अब तक रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में इस वक्त ऐसा माहौल नजर आ रहा है कि जैसे भाजपा की वापसी सत्ता में हो गई हो।
दरअसल भाजपा के बड़े नेता बार-बार यह कहते हुए सुनाई देते थे कि वह जब चाहे तब सरकार बना लेंगे और कांग्रेस की सरकार तो अल्पमत की सरकार है, यह ज्यादा दिन नहीं रहेगी। यह तो अपने ही कर्मों से और अपने ही लोगों द्वारा किए जा रहे कार्यों से ही गिर जाएगी। वास्तव में यह आज सच होता नजर आ रहा है। 
मध्य प्रदेश की राजनीति में विधायकों का गणित देखें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब अपना इस्तीफा कांग्रेस की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा तो उसी के साथ यह तय हो गया कि अब फिर एक बार मध्यप्रदेश में कमल खिलने जा रहा है। इसी के साथ यह देखने लायक है कि आज ही सिंधिया के पिताजी स्वर्गीय माधवराव सिंधियाजी की जयंती है और उन्होंने यह कदम उनके जन्मदिन के अवसर पर उठाया है। उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा भी है कि वह एक नई शुरुआत कर रहे हैं, इसकी पटकथा तो कांग्रेस ने उनके लिए एक साल पहले से ही लिखना शुरु कर दी गई थी।आज इतना जरूर हुआ है कि उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 
उधर, इस पूरे मामले को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त कर दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जनकल्याणकारी योजनाओं को छल के साथ बंद करने की जुगत में लगी सरकार को जनता माफ नहीं करेगी। इस छलिया सरकार के पाप ही इसे एक दिन ले डूबेंगे। 
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। प्रदेश में जो हालत राजनीतिक तौर पर दिखाई दे रहे हैं, यह कमलनाथ सरकार और कांग्रेस पार्टी के भीतर की अपनी कमियों का परिणाम है। हम तो पहले ही दिन से कह रहे हैं कि यह सरकार अपने ही कर्मों से गिरेगी। पिछले 16 महीनों में मध्य प्रदेश की जो दुरावस्था दिखाई दे रही है, वह कांग्रेस सरकार की देन है। इसे तो आज नहीं, कल जाना ही है। 
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाराज होने के बाद से उनसे जुड़े विधायक एवं मंत्रियों ने बेंगलुरु का रुख किया है। उसके बाद से जैसे प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। मध्य प्रदेश में सियासी हलचल के चलते सोमवार देर रात कमलनाथ सरकार के 20 मंत्रियों ने सामूहिक तौर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने इस्तीफे सौंप दिए थे। सभी ने राज्यपाल को भी अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं जिसके बाद अब कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ कभी भी अपना  इस्तीफा राज्यपाल को सौंप सकते हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया का त्याग पत्र

कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते मध्य प्रदेश के नेता और पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। 
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दें। विज्ञप्ति के अनुसार कांग्रेसी अध्यक्ष पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उनके निष्कासन को अपनी मंजूरी दे दी है और उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर कर दिया गया। 
9 मार्च के अपने पत्र में सिंधिया ने कहा, “जबकि मेरा उद्देश्य एक ही है और वह हमेशा से ही राज्य और देश के लोगों की सेवा करने का रहा है, मुझे लगता है कि पार्टी में रहते यह उद्देश्य पाने में मैं असमर्थ हू।”
इससे पहले 18 साल तक पार्टी में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा दिया था अपने अस्तित्व में उन्होंने कहा था कि यह समय जीवन में कुछ और तलाशने के लिए है। इससे पहले सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की थी। सारा घटनाक्रम राज्यसभा की 2 सीटों के लिए है जिसे कांग्रेस राज्य से खाली हो रही 3 सीटों में से जीत सकती है। माना जा रहा है कि सिंधिया का 17 में से 17 या 20 विधायकों का समर्थन है। अमित शाह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य सभा सदस्य और कैबिनेट मंत्री मंडल में शामिल करने का वादा किया है ।

पूरे घटनाक्रम की संपूर्ण जानकारी

मध्य प्रदेश में सियासी हलचल के चलते सोमवार देर रात कमलनाथ सरकार के 20 मंत्रियों ने सामूहिक तौर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने इस्तीफा सौंपेे हैं।ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दिया सोनिआ गाँधी को इस्तीफा ।दरअसल, मध्यप्रदेश में जिस तरीके से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाराज होने के बाद उनसे जुड़े विधायक एवं मंत्रियों ने बेंगलुरु का रुख किया है, उसके बाद से जैसे राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है।   जानकारी के अनुसार सीएम कमलनाथ एवं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के प्रयासों के बावजूद अब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया से कोई संपर्क उनका नहीं हो सका है। उधर, उनसे जुड़े विधायकों एवं मंत्रियों के नंबर भी बंद आ रहे हैं। ऐसे में अपनी सरकार को खतरे में देख कमलनाथ मंत्रिमंडल से जुड़े 20 मंत्रियों ने देर रात अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंप दिया और सामूहिक रूप से कहा है कि वह फिर से एक बार मंत्रिमंडल का गठन करें। 


इस दौरान कुछ मंत्रियों ने मीडिया से भी बात की जिसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हमें 5 साल सरकार चलाने का दायित्व जनता ने सौंपा है और इसके लिए जरूरी नहीं है कि हम स्वयं मंत्री बने रहें। हमारी सरकार प्रदेश में 5 साल बची रहना जरूरी है और इसीलिए हम सभी ने अभी-अभी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस मौके पर मीडिया के बीच जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार को 5 साल तक चलेगी। प्रदेश में किसी से कोई खतरा कमलनाथ की सरकार को नहीं है। सरकार कमलनाथ जी की रहेगी आप आगे आगे देखिए होता है क्या। उन्होंने भी मंत्री वर्मा की बातों को आगे बढ़ाते हुए इस बात की ओर इशारा किया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना नया मंत्रिमंडल गठन करें और जो सियासी संकट कांग्रेस के सामने आज प्रदेश में सत्ता का खड़ा हुआ है उससे सभी मिलजुल कर मुकाबला करते हुए सफलता के साथ बाहर निकले।इधर  जानकारी के अनुसार सीएम कमलनाथ एवं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के प्रयासों के बावजूद अब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया से कोई संपर्क उनका नहीं हो सका है।

मुक्यमंत्री कमलनाथ का विचार:

मुख़्यमंती कमल नाथ : सत्ता हाथ से जाता हुआ

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि मैंने अपना समूचा सार्वजनिक जीवन जनता की सेवा के लिए समर्पित किया है। मेरे लिए सरकार होने का अर्थ सत्ता की भूख नहीं, जन सेवा का पवित्र उद्देश्य है। पंद्रह वर्षों तक भाजपा ने सत्ता को सेवा का नहीं, भोग का साधन बनाए रखा था वो आज भी अनैतिक तरीके से मध्यप्रदेश की सरकार को अस्थिर करना चाहती है। सौदेबाजी की राजनीति मध्यप्रदेश के हितों के साथ कुठाराघात है।
उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सामूहिक इस्तीफे के बाद कहा कि 15 साल में भाजपा के राज में हर क्षेत्र में माफिया समानांतर सरकार बन गया था। प्रदेश की जनता त्रस्त थी और उसने माफिया रूप से छुटकारा पाने के लिए कांग्रेस को सत्ता सौंपी। मैंने जनता की अपेक्षा पर माफिया के खिलाफ अभियान चलाया। माफिया के सहयोग से भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौदेबाजी की राजनीति से किसी दल या प्रदेश और जनता को कोई फायदा नहीं होता। इसके उलट अहित होता है। 
श्री कमल नाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मेरा लक्ष्य था कि मध्यप्रदेश की नई पहचान पूरे देश और दुनिया में बने। इससे प्रदेश के लोगों नौजवानों का हित जुड़ा है। भाजपा सिर्फ़ और सिर्फ़ सत्ता की भूखी है। उसे प्रदेश के नागरिकों और उसके विकास से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि भूमाफिया से त्रस्त जनता को हमने राहत दिलाई, नकली दवाईयांं, नकली खाद बेचकर लाभ कमाकर अमानवीय व्यवसाय में लगे माफिया के खिलाफ हमने अभियान चलाया। लोगों को प्रतिदिन उपयोग में आने वाली वस्तुएंं शुद्ध मिले इसके लिए ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान चलाया। ये वही लोग है जो पिछले 15 साल में भारतीय जनता पार्टी के राज में पनपे और उनका संरक्षण पाकर पोषित हुए। रेत माफिया ने तो भाजपा राज में 15 हजार करोड़ का डाका मध्यप्रदेश के राजस्व पर डाला। मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद रेत माफिया की भी कमर टूट गई। नापाक इरादे रखने वाले लोगों को यह रास नहीं आया। भाजपा माफिया के हाथ का खिलौना बन गई है।
अपनी एक साल की सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कमल नाथ ने कहा कि इंदिरा गांधी गृह ज्योति योजना में बिजली बिल कम करके मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत पहुंंचाना, 23 लाख किसानों की कर्ज माफी निरंतर जारी है, निवेश के लिए विश्वास का वातावरण पैदा करने, प्रदेश के युवा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने, बुजुर्गों को पेंशन, गरीब कन्या की विवाह की राशि में वृद्धि जैसे ऐतिहासिक निर्णय लेने के अलावा जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप शासन प्रशासन की एक नई कार्य संस्कृति ‍ प्रदेश में विकसित की। कम समय में एतिहासिक सफलताएंं भी मिली। कई प्रयासों के परिणाम भी सामने आना शुरू हो गए थे। माफिया राज के कारण भाजपा मध्यप्रदेश को उस स्थान पर नहीं ले पाई जिसकी लोगों को उम्मीद थी। जाहिर है कि भाजपा का जनाधार खिसकना शुरू हो गया था। भारतीय जनता पार्टी ने पिछले माहो में सात राज्यों में अपनी सरकार गवा दी। इससे बौखलाकर कांग्रेस सरकार को 5 साल पूरा न करने देने की कुत्सित और घिनौनी कोशिशे पहले दिन से ही शुरू हो गई थी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता का विश्वास और उनका प्रेम मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। जनता की जनता के द्वारा बनाई गई सरकार को किसी भी कीमत पर अस्थिर करने वाली ताकतों को सफल नहीं होने दूंंगा। मेरी कोशिश है कि मध्यप्रदेश की पहचान व्यापम, ई-टेंडर जैसे भ्रष्टाचार, कुपोषण, बच्चों की मृत्यु दर या बलात्कार से न होकर देश के विकसित राज्य के रूप में हो। गंभीर आर्थिक बदहाली में मध्यप्रदेश को भाजपा सरकार छोड़ कर गई थी, उसमें कोई सरकार चलाने का साहस भी नहीं कर सकता था। मगर मैंने हिम्मत के साथ एक तरफ़ किसान कर्ज माफी प्रारंभ की, दूसरी ओर निवेश आकर्षित किया और प्रदेश को विकास की पटरी पर ले कर आया। 
इस दौरान कमलनाथ का यह भी कहना था कि मैंने हमेशा मूल्यों की राजनीति की है। उससे मैं कभी समझौता नहीं कर सकता। भाजपा मध्यप्रदेश के भविष्य के साथ भी धोखा कर रही है और प्रदेश के विकास की असीम संभावनाओं को भी आघात पहुंंचा रही है।

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार मामूली बहुमत के आधार पर सरकार चला रही है। सीएम कमलनाथ समेत कई नेता आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश करके उनकी सरकार गिराना चाहती है।पूरे घटनाक्रम को कुछ बिंदुओं के सहारे समझते है :


सिंधिया समर्थक मंत्रियों का नया पैंतरा, फोन किए बंद इस बीच सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों का नया पैंतरा सामने आया है। सिंधिया खेमे के मंत्रियों और विधायकों के फोन स्विच ऑफ हैं। इसमें विधायक जसवंत जाटव, मुन्नालाल गोयल, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया के अलावा कमलनाथ सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महिला विकास मंत्री इमरती देवी और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट शामिल हैं। पता चला है कि ये 6 मंत्री और 12 विधायक बंगलुरू में हैं। 


ये हैं गायब 6 मंत्री और 12 विधायक 

सिंधिया के समर्थक मंत्रियों में तुलसी सिलावट, गोविन्द सिंह राजपूत, प्रधुम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी और महेन्द्र सिसोदिया शामिल हैं। विधायकों में मुन्ना लाल गोयल, गिरिराज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, विरजेंद्र यादव, जसपाल जजजी, कमलेश जाटव, राजवर्धन सिंह, रघुराज कंसना, सुरेश धाकड़, हरदीप डंग और रक्षा सिरोनिया जसवंत आदि शामिल हैं। 

युवा कांग्रेस के चुनाव टाले गए 

सियासी घमासान के बीच मध्य प्रदेश में युवा कांग्रेस के चुनाव भी टाल दिए गए हैं। कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी नेताओं से मुलाकात की और उसके बाद चुनाव टालने का फैसला लिया गया। अब राज्यसभा चुनाव के बाद कार्यक्रम बनेगा। 

शिवराज चुने जा सकते हैं विधायक दल के नेता 

कांग्रेस खेमे में हलचल को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी भी सक्रिय हो गई है। होली पर्व होने के बावजूद मंगलवार को भाजपा ने विधायक दल की बैठक बुला ली है। मंगलवार को भोपाल में शाम 7 बजे भाजपा विधायक दल की बैठक होने वाली है जिसमें पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को भाजपा विधायक दल का नेता चुना जा सकता है। फिलहाल गोपाल भार्गव एमपी में विधायक दल के नेता हैं। भाजपा ने इस विधायक दल की बैठक में अपने सभी 107 विधायकों को मौजूद रहने को कहा है। इस मीटिंग में मध्य प्रदेश भाजपा के सभी सांसद भी मौजूद रहेंगे। भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुद्धे भी मंगलवार को भोपाल आ रहे हैं। 

जेपी नड्डा और शिवराज के बीच हुआ मंथन 

मध्य प्रदेश के सियासी हलचल पर भाजपा ने भी अपनी रणनीति शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। दोनों नेताओं के बीच राज्य के ताजा घटनाक्रम पर बातचीत हुई है। दोनों के बीच यह मुलाकात सोमवार को दिल्ली मुख्यालय में हुई है। 

छह मंत्री समेत 16 कांग्रेस विधायक पहुंचे बेंगलुरु 

इससे पहले खबर आई थी कि सिंधिया 16 विधायकों के साथ लापता हैं। बाद में रिपोर्ट आई कि ये विधायक एक चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचे थे। ताजा जानकारी के मुताबिक अब ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली स्थित अपने निवास पहुंच गए हैं। इस बीच खबर है कि एमपी भाजपा के भी 6 विधायक बेंगलुरु पहुंच गए हैं।

दिल्ली से लौटकर कमलनाथ ने भोपाल में की आपात बैठक 

‘हिन्दुस्थान समाचार’ को मिली जानकारी के मुताबिक सीएम कमलनाथ अपना दिल्ली का दौरा बीच में ही खत्म करके भोपाल लौट आए हैं। इधर, कांग्रेस नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने में जुट गया है और उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस घटनाक्रम के मद्देनजर भोपाल में सीएम कमलनाथ ने आपात बैठक बुलाई है। बैठक में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और दूसरे मंत्री मौजूद हैं। कमलनाथ को समर्थन करने वाले कई विधायक भी इस बैठक में पहुंच रहे हैं। हालांकि कमलनाथ के नजदीकी सूत्रों ने बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार को कोई खतरा नहीं है।

16 मार्च से बजट सत्र, 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव 

आने वाले दिन मध्य प्रदेश की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम हैं। अगर राज्य में कांग्रेस का संख्याबल कमजोर होता है तो भाजपा आगामी बजट सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है। मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरू हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में कमलनाथ सरकार के सामने मुश्किल पैदा हो सकती है। 

पल-पल बदल रहा सियासी घटनाक्रम 

मध्य प्रदेश में तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे सीएम हाउस पहुंचे। सामान्य प्रशासन मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह भी भिंड से तत्काल लौटे और सीएम हाउस पहुंचे। उनके साथ वित्त मंत्री तरुण भनोत, मंत्री लाखन सिंह और मंत्री हुकुम सिंह किराड़ा, मंत्री आरिफ अकील, जीतू पटवारी भी मौजूद हैं। कमलनाथ की मीटिंग में बाला बच्‍चन, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के मौजूद होने की जानकारी मिल रही है। इसके अलावा सीएम की बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव के अलावा मुख्य सचिव एसआर मोहंती भी मौजूद हैं। 

क्या है एमपी का राजनीतिक समीकरण

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। एमपी के 2 विधायकों का निधन हो गया है। इस तरह से विधानसभा की मौजूदा शक्ति 228 हो गई है। कांग्रेस के 114 विधायक हैं। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी और एक एसपी विधायक का समर्थन मिला है। इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है जबकि भाजपा के पास 107 विधायक है। 26 मार्च को एमपी में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव है। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां जोर आजमाइश कर रही है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का राज्यसभा में कार्यकाल 9 अप्रैल को पूरा हो रहा है। अगर इससे पहले किसी भी पार्टी के विधायक टूटते हैं तो इसका असर राज्यसभा चुनाव में दिख सकता है।



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