जज और वकीलों के निजी स्वार्थ के कारण न्याय कोसो दूर, आखिर क्यों ?

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दिनेश शर्मा “अधिकारी”।

कार्यपालिका और न्यायपालिका के ठोस निर्णय लेने के लिए मील का पत्थर साबित होगी जयपुर की “ 18 वी विधिक मीट -2022 “
वकील का चेहरा देखकर ही निर्णय क्यों…???
रिटायरमेंट के बाद क्या बनना है….!!!!
जजों की इसी चिंता से देश के हालात यहां तक पहुंचे……!!!!!
चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के अमेरिका में दिए गए भाषण को आधार बनाकर सीएम गहलोत ने कहा कि आप लोग देश के हालात सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने से लोग वोट देते हैं। मैं एक बार फिर पीएम मोदी से अपील करना चाहता हूं कि वे देश में प्रेम, भाई चारा वाला वक्तव्य दें। लोग धर्म के नाम पर हिंसा न करें, ऐसी अपील भी पीएम को करनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू यहां बैठे हैं मैं उनसे भी अपील करता हूं कि वे मेरी भावनाओं को पीएम मोदी तक पहुंचाएं। गहलोत ने कहा कि चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि लोकतंत्र खतरे में हैं। इन चार जजों में से एक गोगोई जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए तो भी हालातों में सुधार नहीं हुआ। रिटायरमेंट के बाद क्या बनना है….??? यदि जजों को यहीं चिंता रहेगी तो फिर देश के हालात कैसे सुधरेंगे। आज चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है। यह तो अच्छा हुआ कि मेरी सरकार नहीं गिरी। यदि उस समय मेरी सरकार गिर जाती तो आज मैं मुख्यमंत्री के तौर पर इस सम्मेलन में उपस्थित नहीं होता। मेरी मोदी या भाजपा से कोई दुश्मनी नहीं है। हमारे बीच विचारधारा की लड़ाई है। हम सब चाहते हैं कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी रहे। जजों को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि वकील का चेहरा देखकर निर्णय क्यों होता है।

राजस्थान के जयपुर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का “18 वां राष्ट्रीय सम्मेलन “ में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के साथ 15 जजों और हाईकोर्टों के करीब 75 ज्यादा जज भी उपस्थित मै कहा कि देश के हालात बहुत खराब है आप ही कुछ कीजिए। देश में न्यायिक व्यवस्था के विकास और सुधार के लिए इस सम्मेलन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

एक पेशी की 15 से 20 लाख की फीस:

सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव में हो रहा है। उन्होंने माना कि सरकार और ज्यूडीशियरी के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए। आज आम आदमी और न्याय के बीच दूरी है जिसे खत्म करने की आवश्यकता है। अमीर लोग तो अच्छा वकील कर न्याय प्राप्त कर लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट में कुछ वकील एक पेशी के 10-15 लाख रुपए की फीस लेते हैं। जब इतनी फीस ली जाएगी तो आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा। रिजिजू ने कहा कि मौजूदा समय में देश भर में पांच करोड़ मुकदमे लंबित हैं। मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए सरकार और अदालतों को मिल कर काम करना चाहिए।

आम आदमी को न्याय कैसे मिले……????
सम्मेलन में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रयास है कि आम आदमी को न्याय मिले। पिछले कुछ वर्षों में प्राधिकरण ने अपने कार्यों का विस्तार किया है। इसके अंतर्गत लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।


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