सीजेआई के सामने जज, वकीलों पर तीखी टिप्पणियां
दिनेश शर्मा “अधिकारी”।
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कई जज फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं। वकीलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब आदमी सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने गहलोत का समर्थन करते हुए कहा- जो लोग अमीर होते हैं, वे लोग अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिनकी भारी भरकम फीस आम आदमी झेल नहीं सकता है।
वहीं, भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने देश में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या और अदालतों में पेंडिंग मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने को कहा है। उन्होंने कहा- हम जहां जाते हैं, लोग हमसे भी पेंडिंग केस का सवाल पूछते हैं। केस कब तक चलेगा? हम सब जानते हैं पेंडेंसी का कारण क्या है? पेंडेंसी का मुख्य कारण न्यायिक रिक्तियां नहीं भरना और बुनियादी ढांचे का सुधार नहीं होना है। हमारे देश में आपराधिक न्याय की प्रक्रिया ही सज़ा है।
शनिवार को जयपुर में हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा छाया रहा। एक सुर में गहलोत और रिजिजू ने वकीलों की महंगी फीस पर चिंता जताई। सीजेआई और देशभर के हाईकोर्ट के जजों की मौजूदगी में गहलोत ने वकीलों की महंगी फीस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- गरीब आदमी क्या, अच्छे-अच्छे लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते। वकीलों की फीस की भी हद होती है। एक करोड़, 80 लाख, 50 लाख रुपए। पता नहीं देश में क्या हो रहा है? यह बात मैंने एक बार चीफ जस्टिस की बैठक में भी उठाई थी। यह जो स्थिति बनी है, उस पर भी चिंतन करें। कोई कमेटी बने। कुछ तरीका तो हो।
गहलोत ने कहा- जज भी फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं तो आदमी क्या करेगा। अमुक (खास व्यक्ति) वकील को खड़ा करेंगे तो जज साहब प्रभावित होंगे। अगर यह स्थिति है तो इसे भी आपको समझना होगा। संविधान की रक्षा करना हम सबका दायित्व है।
किरण रिजिजू ने कहा- जो लोग अमीर होते हैं वे लोग अच्छा वकील कर लेते हैं। एक-एक केस में सुनवाई के एक वकील 10 लाख, 15 लाख रुपए चार्ज करेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा। कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है।