आत्मबल जगाने की जयंती

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देवदत्त दुबे

भले ही इस बार हनुमान जयंती पर मंदिरों में बड़े-बड़े आयोजन ना हो पाए और ना ही भीड़-भाड़ दिखी लेकिन घरों में रहकर जिस तरह से हनुमान जी की आराधना की गई, हनुमान चालीसा सुंदरकांड का पाठ किया गया, उससे कोरोना से छाई निराशा को दूर करने और आत्मबल जगाने की संजीवनी जरूर मिल गई होगी।

दरअसल जिस तरह से महापुरुषों और भगवान तक की जयंती शक्ति प्रदर्शन के रूप में मनाई जाने लगी थी उससे वास्तविक प्रार्थना या कहें भगवान को मानने वालों की जगह भगवान की मानने वालों संख्या घट रही थी। लेकिन इस बार नवरात्रि पर्व और हनुमान जयंती लगता है सही अर्थों में मनाई गई सात्विकता को लिए हुए सच्चे मन से प्रार्थनाएं की गई बजाएं बड़े-बड़े आयोजनों के यह भी देखने में आ रहा था की मंदिरों में भीड़ बढ़ रही थी, धार्मिक आयोजन भव्य और विशाल होते जा रहे थे लेकिन समाज में कटुता अपराध अविश्वास अस्वस्थता बढ़ते जा रहे थे। इस बार भले ही आयोजन फीके रहे हो लेकिन भगवान के प्रति आस्था और प्रार्थना गहराई को लिए हुए थे।
“दुख में सुमिरन सब करें सुख में करे न कोई जो सुख में सुमिरन करें तो दुख काहे को होय” इसमें केवल ईश्वर का सुमिरन ही ना माने इसमें उस स्मरण को शामिल करें जो हम जिंदगी की आपाधापी में भूलते जा रहे हैं। पीछे छोड़कर जा रहे हैं ऐसे उदाहरण हैं जिनकी याद कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट के समय याद आई मसलन जो लोग अपने गांव को छोड़कर महानगरों की तरफ रुख कर गए थे उन्हें गांव की बहुत याद आई और अधिकांश लोग अपने अपने गांव की ओर लौट भी गए। हम परिवार के साथ रहना ही भूल गए थे इस संकट में परिवार ही संभल बना हम प्रकृति का दिन रात दोहन कर रहे थे जोकि लॉक डाउन के चलते ही रुक पाया ऐसे ही आने का उदाहरण है जिन की उपयोगिता मानव समझ पाया।

हनुमान जयंती पर जिस तरह से कोरोना वायरस से छुटकारा पाने के लिए बल बुद्धि और विद्या की मांग की गई है, वह तभी सार्थक होगी जब हम इस संकट से निपटने के बाद सदुपयोग करेंगे अन्यथा बल बुद्धि का जितना दुरुपयोग हमने किया है उसका खामियाजा पूरा मानव समाज भुगत रहा है। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए हम स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण दे सके इसके लिए जरूरी है कि जो आत्मबल हमने हनुमान जयंती के बहाने जगाया है उसको सद कार्यों में लगाएं।

इस समय टीवी पर रामायण, महाभारत सीरियल प्रसारित किए जा रहे हैं घर में रहकर सबके पास पर्याप्त समय है इन सीरियलों को देखकर आगे का जीवन सुधारा जा सकता है। जिस तरह से कन्या, महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र से सीखा जा सकता है। जिन लोगों को पद पैसा सत्ता का अहंकार है वे रावण के अहंकार से सबक ले सकते हैं।


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